पटना बिहार की दो विधानसभा सीटों (तारापुर, कुशेश्वरस्थान) पर चुनाव से पहले पासवान परिवार में जुबानी जंग और तेज हो गई है। शनिवार को चुनाव आ...
पटना बिहार की दो विधानसभा सीटों (तारापुर, कुशेश्वरस्थान) पर चुनाव से पहले पासवान परिवार में जुबानी जंग और तेज हो गई है। शनिवार को चुनाव आयोग ने LJP का बंगला चुनाव चिन्ह फ्रीज कर दिया तो इस पर पारस ने लगे हाथ कहा कि उन्होंने ही ऐसा करने के लिए चुनाव आयोग से अपील की थी। अब चिराग पासवान के कैम्प ने पारस को इसी बयान पर घेर लिया है। चुनाव आयोग को बदनाम कर रहे पारस- धीरेंद्र मुन्ना पशुपति पारस के इस बयान के बाद चिराग खेमे वाली LJP के राष्ट्रीय प्रवक्ता धीरेंद्र कुमार सिन्हा उर्फ मुन्ना ने तीखा हमला किया है। उन्होंने कहा है कि अपने फायदे के लिए पारस चुनाव आयोग को बदनाम कर रहे हैं। धीरेंद्र मुन्ना ने ट्वीट किया है कि 'माननीय पारस जी अपने व्यक्तिगत स्वार्थ में चुनाव आयोग को बदनाम कर रहे हैं। उन्होंने परिवार की लड़ाई को सरकार की लड़ाई बना दिया है। नीतीश कुमार जी अब घर तोड़ने का काम कर रहे हैं ! स्व० रामविलास जी के आदर्शों का गला घोंट रहे हैं।जनता सब देख रही है। उप चुनाव में नीतीश जी को पता चलेगा।' इसलिए नीतीश पर हमला धीरेंद्र मुन्ना के मुताबिक नीतीश पारस के कंधे पर बंदूक रखकर निशाना लगा रहे हैं। ये कहना कि उपचुनाव में पता चलेगा, इससे साफ जाहिर है कि चिराग खेमे वाली एलजेपी इन दो सीटों पर भी नीतीश के उम्मीदवारों के लिए मुश्किल खड़ी करने में एड़ी-चोटी का जोर लगाने की तैयारी में है। कुल मिलाकर बिहार की दो विधानसभा सीटों पर होने वाला उपचुनाव भी दिलचस्प बनता दिख रहा है। क्या है पूरा मसला LJP के दोनो गुट को चुनाव चिन्ह देने पर अंतिम फैसला 4 अक्टूबर को होगा। इसके लिए चुनाव आयोग ने दोनों गुटों से 4 अक्टूबर तक जरूरी दस्तावेज लाने को कहा है। आयोग ने दोनों गुटों को विवाद खत्म हो जाने तक लोक जनशक्ति पार्टी के नाम या उसके चुनाव चिन्ह 'बंगले' का इस्तेमाल करने पर तब तक रोक लगा दी है। दोनों गुटों को अंतरिम उपाय के रूप में अपने-अपने समूहों के नाम और चुनाव चिन्ह चुनने के लिए कहा गया है। बिहार विधासभा उपचुनाव के चलते सारा बखेड़ालोक जनशक्ति पार्टी के संस्थापक राम विलास पासवान के निधन के बाद पार्टी पर कब्जे को लेकर चिराग पासवान और उनके चाचा पशुपति पारस के बीच घमासान जारी है। चिराग के चाचा पशुपति कुमार पारस ने पांच सांसदों के साथ मिलाकर न केवल संसदीय दल के नेता के पद पर कब्जा कर लिया, बल्कि अब पार्टी अध्यक्ष पद पर भी कब्जा करने के साथ पार्टी को भी अपने कब्जे में ले लिया था। चुनाव आयोग का यह फैसला ऐसे समय लिया गया है जब बिहार के तारापुर और कुशेश्वरस्थान विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं। बता दें कि लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) पर 18 जून 2021 में चुनाव आयोग के सामने चाचा पशुपति कुमार पारस और भतीजे चिराग पासवान दोनों ने पार्टी पर अपनी दावेदारी जताई थी। पशुपति कुमार पारस ने खुद के अध्यक्ष चुने जाने का दस्तावेज आयोग को भेजने की बात करते हुए, पार्टी पर दावा जताया और पार्टी का झंडा और चुनाव चिन्ह उपयोग की इजाजत मांगी थी। उसी दिन उनके दावे को गलत साबित करने के लिए चिराग भी चुनाव आयोग पहुंच गए थे। चिराग पासवान ने कहा था 2019 में एलजेपी ने राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव हुआ और मुझे जिम्मेदारी दी गई, हर 5 साल में राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होता है। इसलिए पार्टी पर उनका अधिकार है।
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