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Kashmir Killing: एक के बाद एक हत्याओं से बिहार के मेहनतकसों में डर, गुस्सा और बेबसी, आखिर अब क्या है रास्ता?

'वहां कमाने ही तो गया था, लेकिन आतंकियों ने उसकी हत्या कर दी।', अररिया के रहने वाले राजा ऋषिदेव की कश्मीर में हत्या के बाद बिहार में...

'वहां कमाने ही तो गया था, लेकिन आतंकियों ने उसकी हत्या कर दी।', अररिया के रहने वाले राजा ऋषिदेव की कश्मीर में हत्या के बाद बिहार में उनकी मां का बुरा हाल है। वो बार-बार बेसुध हो जा रही हैं। जब होश में आती हैं तो कहती हैं कि बेटे को उन्होंने जम्मू कश्मीर कमाने जाने से मना किया था। ये हाल सिर्फ राजा ऋषिदेव के घर का नहीं है। कश्मीर घाटी में एक के बाद हो रही आतंकी घटनाओं से यहां के गैर-स्थानीय के लोगों में डर, खौफ के साथ-साथ बेबसी नजर आ रही है। वहीं, उनके गांव के लोग अब अपने बच्चों को जम्मू कश्मीर छोड़कर वापस आने का दबाव डाल रहे हैं।

Bihar News: पिछले एक पखवारे में जम्मू कश्मीर में बिहार के चार लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी गई। आतंकियों की इस कायरतापूर्ण घटना को लेकर बिहार के उन लोगों की चिंताएं बढ़ गई हैं, जिनके परिजन दो जून की रोटी के जुगाड़ में जम्मू कश्मीर गए हैं। गांव के लोग उन्हें वापस आने का दबाव डाल रहे हैं।


Kashmir Killing: एक के बाद एक हत्याओं से बिहार के मेहनतकसों में डर, गुस्सा और बेबसी, आखिर अब क्या है रास्ता?

'वहां कमाने ही तो गया था, लेकिन आतंकियों ने उसकी हत्या कर दी।', अररिया के रहने वाले राजा ऋषिदेव की कश्मीर में हत्या के बाद बिहार में उनकी मां का बुरा हाल है। वो बार-बार बेसुध हो जा रही हैं। जब होश में आती हैं तो कहती हैं कि बेटे को उन्होंने जम्मू कश्मीर कमाने जाने से मना किया था। ये हाल सिर्फ राजा ऋषिदेव के घर का नहीं है। कश्मीर घाटी में एक के बाद हो रही आतंकी घटनाओं से यहां के गैर-स्थानीय के लोगों में डर, खौफ के साथ-साथ बेबसी नजर आ रही है। वहीं, उनके गांव के लोग अब अपने बच्चों को जम्मू कश्मीर छोड़कर वापस आने का दबाव डाल रहे हैं।



'टारगेट किलिंग' के बाद घर लौटने लगे हैं प्रवासी मजदूर
'टारगेट किलिंग' के बाद घर लौटने लगे हैं प्रवासी मजदूर

पिछले एक पखवारे में जम्मू कश्मीर में बिहार के चार लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी गई। आतंकियों की इस कायरतापूर्ण घटना को लेकर बिहार के उन लोगों की चिंताएं बढ़ गई हैं, जिनके परिजन दो जून की रोटी के जुगाड़ में जम्मू कश्मीर गए हैं। जम्मू कश्मीर में 5 अक्टूबर को भागलपुर के वीरेंद्र पासवान की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। शनिवार को बांका जिले के बाराहाट प्रखंड के रहने वाले अरविंद कुमार साह आतंकियों का निशाना बन गए। रविवार को बिहार के सीमांचल क्षेत्र अररिया के रहने वाले राजा ऋषिदेव और योगेंद्र ऋषिदेव की आतंकियों ने हत्या कर दी।



अररिया के दो युवकों की हत्या के बाद गांव में मातम का माहौल
अररिया के दो युवकों की हत्या के बाद गांव में मातम का माहौल

अररिया के बौंसी थाना इलाके के डाहटोला निवासी राजा ऋषिदेव की मौत की खबर सुनकर गांव में मातम पसर गया है। राजा रोजी रोजगार के लिए छह महीने पहले ही जम्मू कश्मीर गए थे। उनके परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। घटना की सूचना मिलने के बाद मृतक राजा की मां सजनी देवी को बार-बार बेहोश हो जा रही हैं। जब होश में आती हैं तो कहती हैं कि बेटे को उन्होंने जम्मू कश्मीर कमाने जाने से मना किया था। वहां कमाने ही तो गया था, लेकिन कायरों ने उसकी हत्या कर दी।

इसे भी पढ़ें:- कश्‍मीर में बिहारियों की आपबीती: 'आतंकियों ने आधार मांगा, पता देखा और बरसा दीं गोलियां'



अररिया के साथ-साथ बांका में भी अपनों के लिए खौफ में परिजन
अररिया के साथ-साथ बांका में भी अपनों के लिए खौफ में परिजन

इधर, बांका के बाराहाट प्रखंड के परघड़ी गांव के रहने वाले अरविंद कुमार साह के घर पर भी मातम पसरा है। आतंकियों ने शनिवार को उनकी गोली मारकर हत्या कर दी थी। इस गांव के करीब 150 से 200 लोग जम्मू कश्मीर में रहकर अपना और अपने परिवार को पेट पाल रहे हैं। अरविंद की मौत के खबर के दो दिन गुजर गए हैं, लेकिन गांव के अधिकांश घरों में चूल्हे नहीं जले हैं। गांव के लोग अब अपने गांव के बच्चों को जम्मू कश्मीर छोड़कर वापस आने का दबाव डाल रहे हैं।



असुरक्षा की भावना के बाद घाटी से घर लौटने लगे लोग
असुरक्षा की भावना के बाद घाटी से घर लौटने लगे लोग

ग्रामीण बताते हैं कि कई युवक वापस लौटने की योजना बना रहे हैं। गांव के लोग लगातार अपने जम्मू कश्मीर गए परिवार के सदस्यों को फोन कर उनके ठीक होने की जानकारी ले रहे हैं। हालांकि, गांव के लोगों को यह भी चिंता सता रही कि बेटे तो वापस आ जाएंगे, लेकिन उनका घर-परिवार कैसे चलेगा। यहां काम मिलता, तो उन्हें अन्य प्रदेशों में जाने की जरूरत ही क्यों पड़ती?

इन गांव के लोगों की दुविधा से चिंताएं बढ़ गई हैं। गांव के ही एक बुजुर्ग की पीड़ा उनके चेहरे पर स्पष्ट छलकती है। उन्होंने कहा कि हमलोग तो गांव में ही खेती-बाड़ी कर पेट पाल लेते थे, लेकिन अब ज्यादा पैसे ही चाह में लोग बाहर जा रहे हैं। उन्हें इस बात का भी मलाल है कि अगर अपने राज्य में ही काम मिल जाता तो गांव के बच्चे क्यों बाहर जाते। अरविंद जम्मू कश्मीर में गोलगप्पा बेचकर परिवार का भरण पोषण करते थे। गांव के लोग अब सवाल उठा रहे हैं कि आखिर इनकी आतंकियों से क्या दुश्मनी थी?

(एजेंसी से इनपुट के साथ)





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