जयप्रकाशएमपी के छतरपुर जिले में हीरा खनन के लिए लाखों पेड़ काटे जाने हैं। इसे लेकर आंदोलन चल रहा है। इस बीच छतरपुर जिले में ही एक परिवार ने ...
निर्माण कार्यों के लिए हर दिन सैकड़ों पेड़ों की बलि देश में दी जाती है। एमपी के छतरपुर जिले में एक पेड़ को बचाने के लिए परिवार ने अपने कॉमर्शियल बिल्डिंग को नया रूप दे दिया है। मगर पेड़ को कटने से बचा लिया है।
जयप्रकाश
एमपी के छतरपुर जिले में हीरा खनन के लिए लाखों पेड़ काटे जाने हैं। इसे लेकर आंदोलन चल रहा है। इस बीच छतरपुर जिले में ही एक परिवार ने शानदान मिसाल पेश की है। 10 साल पहले मां ने घर के बीच जो आम का पेड़ लगाई थी, उसे बचाने के लिए बेटों ने अपने कॉर्मशियल बिल्डिंग का नक्शा बदल दिया है। मगर पेड़ को कुछ नहीं होने दिया है। छतरपुर शहर में यह भव्य बिल्डिंग बनकर तैयार है। साथ ही पेड़ भी बचा हुआ है। वहीं, इस बिल्डिंग में अब दो-दो शोरूम भी चल रहे हैं।
अचरज में पड़ जाते हैं लोग
अब आलीशान बिल्डिंग की छत पर आम का पेड़ दिखता है। घर के अंदर तना है। छत पर पेड़ देख लोग कभी-कभी तो अचरज में पड़ जाते हैं। लोग सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि छत के ऊपर इतना विशाल पेड़ कैसे उग गया है। बात में उन्हें बताया जाता है कि इसका तना नीचे हैं। छत के ऊपर सिर्फ पेड़ का उपरी हिस्सा है। इस पेड़ में फल भी लगता है। परिवार के लोग सालों से इसका स्वाद चख रहे हैं।
10 साल पहले मां लेकर आई थी आम का पेड़
दरसअल, घर के मालिक प्रशांत की मां 10 साल पहले एक आम पौधा घर में लाई थी। तब घर साधारण रूप से बना हुआ था। आम के पौधे को घर के बीचोबीच लगा दिया गया था। कुछ सालों में आम का पौधा पेड़ बन गया और फल देने लगा। इसी बीच परिवार के लोगों ने मकान को डेवलप करने का फैसला किया क्योंकि यह घर सड़क किनारे था। इसलिए जमीन भी यहां काफी कीमती है।
पेड़ काटने की दी सलाह
वहीं, कई लोगों ने इस बीच परिवार के लोगों को पेड़ काटने की सलाह दी। परिवार ने अब इस पुराने मकान को डेवलप कर कपड़े का शोरूम खोलने का फैसला लिया था। मगर बेटों ने निर्णय लिया कि हम इस पेड़ को नहीं काटेंगे। पेड़ को काटे बिना ही यहां निर्माण कार्य करेंगे। इसके बाद उसी हिसाब से नक्शा तैयार करवाया गया।
ग्राउंड से सेकंड फ्लोर तक फैला है पेड़
यह पेड़ ग्राउंड फ्लोर से लेकर दूसरी मंजिल तक फैला हुआ है। खास बात यह कि बिल्डिंग की छत को इस तरह से बनाया गया है कि आम के पेड़ को किसी तरह का कोई नुकसान न पहुंचे। यही वजह है कि आम का पेड़ दो छतों के पार करते सेकंड फ्लोर पर खड़ा हुआ है।
बिल्डिंग में चल रहे दो-दो शोरूम
जिस बिल्डिंग में यह आम का पेड़ लगा हुआ है, उस बिल्डिंग के अंदर दो-दो कपड़ों के शोरूम चल रहे हैं। कपड़े खरीदने वाले लोग इस पेड़ को भी देखने आते हैं। घर के सबसे बड़े बेटे प्रशांत महतो बताते हैं कि 10 साल पहले यह पेड़ उनकी मां लाई थी। यह पेड़ भी हमारे परिवार के सदस्य की तरह है। 10 सालों में हम सभी ने इसके साथ सुख-दुख बांटा है और अब हम व्यापार के लिए इस पेड़ को कैसे कटने देते। अभी इस बिल्डिंग की कीमत 25 करोड़ रुपये के करीब है।
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