पटना 24 नवंबर 2005 को नीतीश कुमार ने पहली बार पूर्ण बहुमत वाली सरकार में बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। लालू प्रसाद यादव और राबड़ी दे...
पटना 24 नवंबर 2005 को नीतीश कुमार ने पहली बार पूर्ण बहुमत वाली सरकार में बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी के 15 साल के कथित जंगलराज के बाद राज्य की जनता ने नीतीश कुमार की अगुवाई में अपनी नई सरकार चुनी थी। इस सरकार और मुख्यमंत्री से बिहार के लोगों को काफी उम्मीदें थी। नीतीश कुमार का शपथ ग्रहण होने के साथ ही बिहार में सबसे बड़ा बदलाव लॉ एंड ऑर्डर के मोर्चे पर देखने को मिला। उदारहण के तौर पर राजधानी पटना के भूतनाथ रोड से अगर कोई शेयरिंग ऑटो करबिगहिया या पटना जंक्शन के लिए चलती तो ड्राइवर को करीब 3 जगह हर ट्रिप पर 2-2 रुपये रंगदारी देने होती थी। यह रंगदारी रास्ते में पड़ने वाले अलग-अलग इलाकों के स्थानीय गुंडे वसूलते थे। नीतीश कुमार की बहुमत वाली सरकार के शपथ ग्रहण के बाद उसी शाम से रंगदारी का यह धंधा लगभग पूरे बिहार में बंद हो गया। थानों में मुकदमें दर्ज होने लगे, अपराध के बाद सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंचने लगी। लॉ एंड ऑर्डर के मसले पर इन्हीं बदलाव के चलते मीडिया ने नीतीश कुमार को 'सुशासन कुमार' जैसे उपनाम से सबोधित करने लगी। 24 नवंबर 2005 से अब तक करीब 16 साल से नीतीश कुमार ही सरकार के मुखिया हैं। केवल 2014-15 में 10 माह के लिए जीतन मांझी सीएम रहे। मांझी की सरकार में भी कहीं ना कहीं नीतीश कुमार ही लीडिंग रोल में रहे। इतने लंबे कार्यकाल में नीतीश कुमार चुनावी मंच से एक से बढ़कर उपलब्धियां गिनवाते हैं। लेकिन यहां नीतीश सरकार की उन 3 बड़ी असफलताओं की ओर ध्यान दिलाने की कोशिश है, जिसमें सीधे-सीधे राज्य के गरीब तबके के लोगों की जिंदगी तबाह हुई है या हो रही है। जहरीली शराब से मौत पर कंट्रोल नहींनीतीश कुमार ने जब 2005 में सत्ता संभाली तो बिहार का राजस्व विभाग खस्ताहाल था। राज्य के खजाने में रकम की उपलब्धता बनाने के लिए सरकार ने खुले हाथों से शराब के ठेके के लाइसेंस बांटे। पूरे राज्य में शराब के ठेके खुलने का असर समाज पर होने लगा। विपक्षी दलों के साथ राज्य की महिलाएं शराब के ठेकों का विरोध करने लगीं। राज्य की महिलाओं की मांग को स्वीकारते हुए नीतीश कुमार ने सर्वसम्मती से अप्रैल 2016 से बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू कर दी। राज्य में पूर्ण शराबबंदी तो लागू हो गया लेकिन शराब की खपत बंद नहीं हुई। पिछले पांच साल में बिहार के शराब माफियाओं ने समांनतर अर्थव्यवस्था तैयार कर ली है। आज राज्य के लगभग हर हिस्से में अवैध तरीके से शराब की होम डिलिवरी होती है। आए दिन अलग-अलग थाना क्षेत्रों में लाखों की शराब जब्त की जा रही है। शराबंदी के बाद जब शराब का काला कारोबार शुरू हुआ तब उसके साथ ही जहरीली शराब का भी धंधा फलने-फूलने लगा। ब्लैक में शराब मिलने के चलते ब्रांडेड बोतलें ऊंची कीमतों पर मिलती हैं। ऐसे में गरीब तबके के शराबी कच्ची शराब पीकर अपनी जान को दांव पर लगाते हैं। अवैध कच्ची शराब को ज्यादा नशीला बनाने के लिए ऑक्सिटोसिन और यूरिया मिलाने का खेल चल पड़ा है। यह जहरीली शराब किस कदर लोगों की जान ले रहा है यह पिछले एक साल के मौत के आंकड़ों से समझ सकते हैं। जहरीली शराब पीने से हुई मौत के हालिया मामले
- समस्तीपुर: 6 नवंबर 2021 को BSF और आर्मी जवान समेत 4 लोगों की जहरीली शराब पीने से मौत की बात कही गई।
- बेतिया : नवंबर 2021 में जहरीली शराब पीने से करीब 17 लोगों की मौत। इससे जुलाई 2021 में ही देवरवा देवराज गांव में 16 लोगों की जहरीली शराब ने जान ले ली थी।
- गोपालगंज: नवंबर 2021 में जहरीली शराब पीने से 20 से ज्यादा लोगों की मौत
- 2021 में अब तक 16 अलग-अलग घटनाओं में जहरीली शराब से 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।
from Hindi Samachar: हिंदी समाचार, Samachar in Hindi, आज के ताजा हिंदी समाचार, Aaj Ki Taza Khabar, आज की ताजा खाबर, राज्य समाचार, शहर के समाचार - नवभारत टाइम्स https://ift.tt/3wke2RM
https://ift.tt/3wpyvVA
No comments