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तीर्थों के नए बोर्ड बनने को लेकर उत्‍तराखंड के पुजारियों में विरोध क्‍यों? जानें, पूरा मामला

देहरादून प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के केदारनाथ दौरे से ठीक दो दिन पहले देवस्थानम बोर्ड को भंग करने की मांग को लेकर तीर्थ पुरोहितों का गुस...

देहरादून प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के केदारनाथ दौरे से ठीक दो दिन पहले देवस्थानम बोर्ड को भंग करने की मांग को लेकर तीर्थ पुरोहितों का गुस्सा फूट पड़ा। नाराज तीर्थ पुरोहितों ने केदारनाथ में पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत को मंदिर जाने से रोक दिया। राज्य के कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक का तीर्थ पुरोहितों ने काफी देर तक घेराव किया। गंगोत्री में आंदोलन तेज करते हुए बाजार बंद किए और रैलियां निकालीं। तीर्थ पुरोहित बोर्ड के विरोध में 2019 से ही आंदोलन चल रहा है। लेकिन इन दिनों जिस तरह से उन्होंने अपना आपा खोया है, उससे सरकार की चिंताएं बढ़ गई हैं। चुनावी वर्ष होने के कारण बीजेपी के लिए इसे सुलझाना प्राथमिकता होगी। 51 मंदिरों का प्रबंधन सरकार ने लिया त्रिवेंद्र रावत के नेतृत्व वाली सरकार ने उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन अधिनियम-2019 के तहत एक भारी-भरकम बोर्ड का गठन कर चार धामों के अलावा 51 मंदिरों का प्रबंधन अपने हाथों में ले लिया। सरकार का कहना था कि लगातार बढ़ रही यात्रियों की संख्या और इस क्षेत्र को पर्यटन व तीर्थाटन की दृष्टि से मजबूत करने के उद्देश्य के मद्देनजर सरकार का नियंत्रण जरूरी है। सरकारी नियंत्रण में बोर्ड मंदिरों के रखरखाव और यात्रा के प्रबंधन का काम बेहतर तरीके से करेगा। पुरोहित बोले-हक खत्म कर रही सरकार तब से लेकर अब तक तीर्थ पुरोहितों के अलावा एक बड़ा तबका सरकार के इस फैसले के विरोध में है। उसका कहना है कि सरकार इस बोर्ड की आड़ में उसके हकों को समाप्त करना चाह रही है। समय-समय पर वह धरना, प्रदर्शन और अनशन के माध्यम से अपना विरोध दर्ज करते रहे हैं। 30 अक्टूबर तक मामला सुलझाने का था दावा तीर्थ पुरोहितों का गुस्सा इस बात पर है कि सरकार ने 2019 में जो देवस्थानम बोर्ड की घोषणा की थी उसे वापस नहीं लिया जा रहा है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपना कार्यभार संभालने के बाद 11 सितंबर, 2021 को तीर्थ पुरोहितों को अपने आवास में बुलाकर आश्वस्त किया था कि 30 अक्टूबर तक इस मामले को सुलझा लिया जाएगा। पुरोहितों को इस बात पर भी रोष है कि मनोहर कांत ध्यानी ने कहा है कि बोर्ड को किसी कीमत पर भंग नहीं किया जाएगा। अगर पुरोहित समाज को इसके प्रावधानों से दिक्कत है तो उस पर विचार किया जा सकता है। केदारनाथ धाम के पुरोहित ने लगाया आरोप बीते दिनों केदारनाथ धाम में पिछले 31 वर्षों से पूजा पाठ करवा रहे पुरोहित बृज बल्लभ बग्वाड़ी ने आरोप लगाया कि वर्तमान सरकार ने पिछली सरकार के कामों को मटियामेट कर अरबों रूपये की बर्बादी की है। 2013 की केंद्र सरकार ने दिया था पैकेज वर्ष 2013 में प्राकृतिक आपदा में तबाह हो गए केदारनाथ धाम में पुनर्वास और पुनर्निर्माण के लिए तत्कालीन मनमोहन सिंह की यूपीए सरकार ने 7500 करोड़ रुपये का पैकेज घोषित किया था जिसके बाद प्रदेश में सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार ने काम शुरू कराए। 2017 में प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केदारनाथ धाम के पुनर्निर्माण को अपनी प्राथमिकता में लेते हुए भव्य और दिव्य केदारपुरी बनाने का संकल्प व्यक्त किया। कब-कब क्या हुआ 27 नवम्बर 2019 को उत्तराखंड चार धाम बोर्ड विधेयक 2019 को मंजूरी 5 दिसंबर 2019 में सदन से विधेयक हुआ पास 14 जनवरी 2020 को देवस्थानम विधेयक को राजभवन ने मंजूरी दी। 24 फरवरी 2020 को देवस्थानम बोर्ड का सीईओ नियुक्त हुआ। 24 फरवरी 2020 से देवस्थानम बोर्ड का पुरोहितों ने शुरू कर दिया विरोध 11 सितंबर 2021 को पुष्कर धामी ने सीएम बनने के बाद संतों को बुलाकर विवाद खत्म करने का आश्वसन दिया था। 30 अक्टूबर 2021 तक विवाद निपटाने का आश्वासन दिया गया था लेकिन मुद्दा नहीं निपटा।


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