जयपुर राजस्थान मंत्रिमण्डल पुर्नगठन के जरिए जहां कांग्रेस ने सचिन पायलट को मना लिया है। वहीं इसके साथ ही इससे पायलट की पावर भी कांग्रेस म...
जयपुर राजस्थान मंत्रिमण्डल पुर्नगठन के जरिए जहां कांग्रेस ने सचिन पायलट को मना लिया है। वहीं इसके साथ ही इससे पायलट की पावर भी कांग्रेस में बढ़ती दिखाई दे रही है। लेकिन जानकारों की मानें, तो राजस्थान में कैबिनेट विस्तार में एक महत्वपूर्ण बात और रही है, जिसका कांग्रेस पार्टी और हाईकमान की ओर से रखा गया है। राजनीति के विशेषज्ञों का कहना है कि राजस्थान कैबिनेट रिशफल के जरिए कांग्रेस ने एक तीर से दो निशाने साध दिए हैं। इसके जरिए जहां पायलट खेमे को खुश किया गया है। वहीं इससे यूपी चुनाव को भी अपने पक्ष में लाने की कोशिश की गई है। ऐसा इसलिए कहा जा सकता है, क्योंकि कांग्रेस यूपी में जिन विषयों को चुनावी मुद्दा बनाने में जुटी है। उसे पहले राजस्थान में पूरा करने की कोशिश की गई है। पार्टी ने राजस्थान मॉडल के जरिए यह बताने की कोशिश की है कि पार्टी को कहती है, वहीं करने में विश्वास रखती है। इसी क्रम में ऐसे पांच बड़े फैक्टर है, जिस पर ध्यान दिया गया है। दलित, जाट और महिलाओं को साधने की कोशिशयूपी चुनाव को ध्यान में रखते हुए पार्टी ने वोट बैंक को साधने की कोशिश की है। इसके तहत जहां राजस्थान में चार जाट नेताओं को मंत्रिमण्डल में जगह दी गई है वहीं महिलाओं और दलितों को भी बड़े अनुपात में कैबिनेट से जोड़ा है। रणनीति के आधार पर किसानों के मुद्दों को ध्यान में रखते हुए जाट समुदाय से मंत्रियों की संख्या बढ़ाई गई है। वहीं प्रियंका गांधी के अभियान 'लड़की हूं लड़ सकती हूं' को ध्यान में रखते हुए राजस्थान कैबिनेट में तीन महिला मंत्री बनाई गई है। इसी तरह यूपी में बढ़ते दलित अत्याचार पर आवाज उठाने के साथ राजस्थान में दलितों के उत्थान के लिए चार एससी वर्ग से मंत्री बनाए गए हैं। पूर्वी राजस्थान का बढ़ाया दबदबा राजनीति के जानकारों की मानें, तो दो बड़े फैक्टर्स के साथ राजस्थान के पूर्वी हिस्से के विधायकों को मंत्रिमण्डल में दबदबा बढ़ाया गया है। इसमें दोनों वजह सचिन पायलट से जुड़ी है। उल्लेखनीय है कि सचिन पायलट की ओर से बार-बार यह बात कही जा रही थी कि पूर्वी राजस्थान से सबसे ज्यादा कांग्रेस को सीट मिली है। इसे सचिन पायलट समर्थक बाहुल्य इलाका भी माना जाता है। लिहाजा उनकी इस बात को ध्यान में रखते हुए कैबिनेट में वहां के कांग्रेस विधायकों की जगह बढ़ाई है। वहीं यह भी माना जा रहा है इससे पूर्वी राजस्थान भरतपुर, करौली, धौलपुर अलवर जैसे जिलों में पैठ मजबूत करके पार्टी इससे सटे यूपी के दक्षिणी पश्चिमी जिले यानी आगरा, एटा, मैनपुरी, मथुरा में सचिन पायलट के जरिए पार्टी अपना कब्जा जमाने की कोशिश करेगी। निर्दलीय विधायकों को बनाया सीएम सलाहाकार राजस्थान मंत्रिमण्डल में एक बड़ी बात यह भी है कि पार्टी की ओर से सभी को खुश रखने की कोशिश की गई है। सियासी संकट के दौरान सरकार का साथ देने वाले निर्दलीय विधायकों को भी सीएम गहलोत ने खुश रखते हुए सीएम सलाहाकार के तौर पर जोड़ा है। इसके तहत चार विधायक डॉ. जितेंद्र सिंह, राजकुमार शर्मा, संयम लोढ़ा और बाबूलाल को सीएम सलाहकार बनाया है। 2023 को लेकर तैयार किया लक्ष्य उल्लेखनीय है कि पार्टी ने जहां यूपी चुनाव जीतने के लिए राजस्थान मॉडल को मजबूत किया है। वहीं राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 को लेकर भी कैबिनेट की नई टीम तैयार की है। प्रदेश प्रभारी अजय माकन ने खुद इस बात को तस्दीक कर दिया है कि पार्टी की ओर से मंत्रिमण्डल विस्तार में 2023 में चुनाव जीतने के लक्ष्य को रखा है। प्रियंका गांधी की यूपी रणनीति का रखा गया खयाल उल्लेखनीय है कि राजस्थान मंत्रिमण्डल और यूपी चुनाव दोनों में ही प्रियंका गांधी महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में देखी जाती रही है। शायद यही वजह है कि उनकी ओर से उठाए गए मुद्दों का राजस्थान मंत्रिमण्डल पुर्नगठन में ध्यान रखा गया है। साथ ही महिला, दलित और किसान सभी वर्गों का खास खयाल कैबिनेट विस्तार में देखने को मिल रहा है।
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