मुंबई पीएम नरेंद्र मोदी की ओर से राष्ट्र के नाम संबोधन में पिछले साल लाए गए तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला लिए जाने की घोषणा की...

मुंबई पीएम नरेंद्र मोदी की ओर से राष्ट्र के नाम संबोधन में पिछले साल लाए गए तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला लिए जाने की घोषणा की गई। इसके बाद इसे किसानों की जीत के तौर पर पेश किया जा रहा है। वहीं, विपक्षी दल इस मामले को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व केंद्र सरकार को घेर रहे हैं। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री व शिवसेना प्रमुख ने इसे केंद्र सरकार के लिए शर्मिंदगी करार दिया है। विवादित तीनों कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने की केंद्र सरकार की घोषणा के कुछ घंटे बाद महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे ने केंद्र सरकार को भविष्य में इस प्रकार की शर्मिंदगी से बचने के लिए अन्य दलों को भी विश्वास में लेने की सलाह दे दी। पीएम मोदी ने घोषणा की है कि तीनों कृषि कानूनों को संसद के आगामी सत्र में निरस्त कर दिया जाएगा। इसकी कानूनी प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। आम आदमी की ताकत को दिखाता है फैसला सीएम ठाकरे ने केंद्र के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा देश में आम आदमी की ताकत को रेखांकित करता है। केंद्र सरकार को आज जैसी शर्मिंदगी से बचने के लिए बातचीत करनी चाहिए और अन्य दलों को विश्वास में लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की वास्तविक प्रक्रिया जल्द पूरी होगी। पूरे देश में है कानूनों पर नाराजगी मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि कानूनों के खिलाफ पूरे देश में नाराजगी है। आंदोलन हो रहा है और प्रदर्शनकारी किसान अब भी दिल्ली की सीमाओं पर हैं। इस आंदोलन में अन्नदाता कई किसानों ने जान गंवा दी। यहां तक राज्य की महाविकास आघाडी सरकार ने कृषि कानूनों पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि इन कानूनों, उनके प्रावधानों और संभावित समस्याओं पर महाराष्ट्र विधानसभा के सत्रों के दौरान विस्तार से चर्चा हुई। मैं आने वाले समय में इन कानूनों को वास्तविक रूप से वापस लेने के केंद्र सरकार के फैसले का स्वागत करता हूं।
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