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ड्रैगन की कुटिल चाल, अरुणाचल में गांव की आड़ में बनाया चीनी सैनिकों का ठिकाना!

गुवाहाटी पेंटागन अपनी रिपोर्ट में भारतीय सीमा के अंदर बने जिस कंस्ट्रक्शन को चीनी गांव बता रहा है, दरअसल वह लंबे वक्त से पीएलए का स्थायी ...

गुवाहाटी पेंटागन अपनी रिपोर्ट में भारतीय सीमा के अंदर बने जिस कंस्ट्रक्शन को चीनी गांव बता रहा है, दरअसल वह लंबे वक्त से पीएलए का स्थायी सैन्य कैंप बना हुआ है। इस बात की पुष्टि अरुणाचल प्रदेश के वरिष्ठ अधिकारी ने की है। पेंटागन की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि चीन ने अरुणाचल प्रदेश की सीमा में करीब 4.5 किमी अंदर घुसकर एक गांव बसा लिया है। इसमें 100 घर नजर आ रहे हैं। यह गांव अरुणाचल प्रदेश के ऊपरी सुबनसिरी जिले के त्सारी चू गांव में बसा है। ऊपरी सुबनसिरी के कडुका डिविजन में तैनात अडिशनल डेप्युटी कमिश्नर डीजे बोरा ने बताया कि जब उन्होंने 2020 में सर्वेक्षण किया था तब उस विवादित क्षेत्र में नागरिक बसाव कोसों दूर था। इस क्षेत्र में चीनी सेना (पीएलए) का कब्जा है। बोरा ने बताया, 'हमने सर्वे के दौरान उस क्षेत्र में काफी सारे बड़े घर हैं जो सैन्य उद्देश्यों के लिए बनाए गए प्रतिष्ठानों की तरह लग रहे थे। मुझे बताया गया कि जब चीनी सेना (पीएलए) ने 1962 में इस इलाके में कब्जा किया था, तब यहां उनके छोटे-छोटे पोस्ट थे।' 1962 से पहले वह जगह भारतीय सेना की अंतिम चौकी थी बोरा ने बताया, 'वह पहाड़ी क्षेत्र जहां चीनी सेना ने निर्माण किया है, 1962 के युद्ध तक भारतीय सेना की अंतिम चौकी हुआ करती थी। उस समय, पोस्ट को माजा कैंप कहा जाता था। क्षेत्र को विवादित क्षेत्र घोषित किए जाने के बाद, भारतीय क्षेत्र के 4-5 किमी अंदर मौजूदा सेना शिविर बनाया गया।' मूल रूप से टैगिन समुदाय की थी जमीन चीन ने जिस विवादित जमीन पर कब्जा किया है, वह मूल रूप से टैगिन समुदाय की है। अरुणाचल प्रदेश में, पूर्ण भूमि स्वामित्व 2018 से पहले अधिकाश जमीनों पर समुदाय, जनजाति या कबीलों के लिए विशेषाधिकार हुआ करता था। इसके बाद अरुणाचल प्रदेश (भूमि निपटान और रिकॉर्ड) (संशोधन) ने एक प्रावधान तैयार किया जिसके तहत बिना किसी दूसरे के दावे के लोगों को भूमि के मालिकाना हक का अधिकार प्रदान किया जाता है। 1914 में दो भागों में बंटी थी जमीन 1914 में जब सांकेतिक मैकमोहन रेखा की पहचान ब्रिटिश शासित भारत और तिब्बत के बीच सीमा के रूप में की गई, तो जमीन दो भागों में विभाजित हो गई। परिणामस्वरूप टैगिन भी बंट गए। ठीक उसी तरह जैसे भारत और म्यामांर के भौगोलिक सीमा से नागा समुदाय का बंटवारा हुआ था।


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