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Fuel Price Hike : बिहार में सिर्फ अक्टूबर में पेट्रोल-डीजल का रेट बढ़ गया 8 रुपये से भी ज्यादा, बोले पटनावाले- अब साइकिल ही खरीद लेंगे

पटना पटना में रविवार को पेट्रोल 113.31 रुपये प्रति लीटर और डीजल 104.91 रुपये प्रति लीटर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर बिका। खुदरा ईंधन स्टेशन...

पटना पटना में रविवार को पेट्रोल 113.31 रुपये प्रति लीटर और डीजल 104.91 रुपये प्रति लीटर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर बिका। खुदरा ईंधन स्टेशनों के अधिकारियों के मुताबिक, अक्टूबर में 24 दिनों में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में वृद्धि हुई। अक्टूबर ने तोड़ा बढ़ोतरी का रिकॉर्डयह पिछले साल मई के बाद एक महीने में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी है। रविवार को क्रमश: 33 और 36 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी के बाद अक्टूबर में पेट्रोल और डीजल 8.45 रुपये और 8.30 रुपये प्रति लीटर महंगा हो गया है। गांधी मैदान के पास एक ईंधन स्टेशन के बिक्री कार्यकारी विजय कुमार ने कहा कि सितंबर की तुलना में इस महीने दैनिक बिक्री में 15-20% की गिरावट आई है। उन्होंने कहा कि 'जो ग्राहक अपनी गाड़ियों की टंकी फुल कराते थे, उन्होंने अब कम तेल लेना शुरू कर दिया है' कैब ड्राइवर तक परेशान ईंधन की आसमान छूती कीमतें आम आदमी की जेब में छेद कर रही हैं। कैब ड्राइवर मोहन कुमार ने कहा कि टैक्सी चलाना अब फायदे का सौदा नहीं रहा। क्योंकि भाड़ा बढ़ाने के बाद भी ईंधन की कीमतों में वृद्धि के साथ कार की रखरखाव लागत में वृद्धि हुई थी। उन्होंने बताया कि 'प्रति सवारी 30 रुपये से 60 रुपये तक की दर में वृद्धि के बावजूद, मुझे अभी भी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। सब कुछ महंगा है और परिवार चलाना मुश्किल है।' कई ग्राहक साइकिल खरीदने के मूड में कदमकुआं के पंकज कुमार ने कहा कि वह अब साइकिल लेने की योजना बना रहे हैं क्योंकि उनके लिए बाइक रखना ही मुश्किल हो रहा है। उन्होंने कहा कि 'पटना में भी, पेट्रोल पंपों को ईंधन की कीमतों में बढ़ोतरी का विरोध करने के लिए कोलकाता की तरह 30 मिनट के लिए बिक्री बंद कर देनी चाहिए।' क्या कह रहे अर्थशास्त्री सेंटर फॉर इकोनॉमिक पॉलिसी एंड पब्लिक फाइनेंस, पटना के एक अर्थशास्त्री सुधांशु कुमार ने कहा कि कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि के कारण ईंधन की कीमतों में तेजी का रुझान दिखा है। इनके मुताबिक वैश्विक मांग में वृद्धि के कारण अंतरराष्ट्रीय कीमतों में बढ़ोतरी जारी रह सकती है। फिलहाल उपभोक्ताओं को राहत प्रदान करने के लिए सरकार के पास करों को कम करना ही एकमात्र विकल्प है। इससे अर्थव्यवस्था में मांग को भी बढ़ावा मिलेगा। कम करों के कारण होने वाले राजकोषीय घाटे की भरपाई सरकारी उधारी और विनिवेश से की जा सकती है।


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