कानपुर उत्तर प्रदेश में लव जिहाद कानून लागू होने के बाद पहली बार किसी को सजा सुनाई गई है। यह सजा कानपुर की स्पेशल कोर्ट ने सुनाई है। दोषी...
कानपुर उत्तर प्रदेश में लव जिहाद कानून लागू होने के बाद पहली बार किसी को सजा सुनाई गई है। यह सजा कानपुर की स्पेशल कोर्ट ने सुनाई है। दोषी को दस साल जेल की सजा के साथ 30 हजार रुपये जुर्माना लगाया गया है। जुर्माने की राशि से 20 हजार रुपये पीड़िता को दिए जाएंगे। विशेष लोक अभियोजक पाॉक्सो चंद्रकांत शर्मा ने बताया कि मामला 15 मई 2017 का है। जूही थाना क्षेत्र के कच्ची बस्ती में रहने वाली 14 साल की किशोरी कक्षा 6 में पढ़ती थी। जावेद उर्फ मुन्ना की बहन किशोरी के क्लास में थी। इसी दौरान जावेद ने किशोरी को देखा और प्रेम का प्रस्ताव दिया। पांचवें दिन बरामद हुई थी किशोरी किशोरी जावेद का नाम मुन्ना जानती थी। धीरे-धीरे दोनों के बीच प्यार हो गया। जावेद ने किशोरी को शादी के लिए प्रपोज किया। वह उसे भगाकर ले गया। चार दिनों तक जावेद ने किशोरी को जंगली इलाकों में रखा। पांचवे दिन किशोरी बरामद हुई और उसने जावेद के खिलाफ 164 के बयान दर्ज कराए। किशोरी को पता चला मुसलमान है मुन्ना अडिश्नल डीजीसी अजय प्रकाश सिंह ने बताया कि किशोरी के मेडिकल में उसके साथ रेप की पुष्टि हुई। किशोरी ने भी बताया कि जब मुन्ना उसे लेकर गया तब उसे पता चला कि वह हिंदू नहीं, मुसलमान है और उसका नाम जावेद है। युवती ने भागना चाहा लेकिन उसे बंधक बनाकर रखा गया। निकाह से किया इनकार तो हुई पिटाई अजय प्रकाश ने बताया कि किशोरी को समय रहते बरामद कर लिया गया नहीं तो उसकी जबरन धर्म परिवर्तन करवाकर निकाह करवाने की तैयारी थी। इस पूरे षडयंत्र में जावेद का परिवार भी शामिल था। जब युवती ने निकाह करने से इनकार किया तो उसके साथ मारपीट भी की गई। कोर्ट ने सुनाई यह सजा युवती की गवाही और मामले की सुनवाई के बाद अपर जिला जज पॉक्सो ऐक्ट पवन कुमार श्रीवास्तव ने जावेद को दस साल की सजा सुनाई है। जावेद के ऊपर तीस हजार का जुर्माना लगाया गया है, इसमें से बीस हजार रुपये किशोरी को हर्जाने के तौर पर देने का आदेश जज पवन कुमार श्रीवास्तव ने किया है। कब बना था कानून? उत्तर प्रदेश में लव जिहाद पर सख्त कानून 24 फरवरी 2021 को लागू किया गया है। योगी सरकार उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्मांतरण प्रतिषेध अध्यादेश-2020 लाई है। इसके तहत जबरन धर्मांतरण पर पांच साल तथा सामूहिक धर्मांतरण कराने के मामले में 10 साल तक की सजा का प्रावधान किया गया है। यह अपराध गैरजमानती है। लव जिहाद कानून के खास प्रावधान
- 1.यदि लड़की का धर्म परिवर्तन सिर्फ विवाह के लिए किया गया तो विवाह शून्य घोषित किया जा सकता है।
- 2. धर्म परिवर्तन पर रोक संबंधी कानून बनाने को विधि आयोग ने उत्तर प्रदेश फ्रीडम ऑफ रीजनल बिल मुहैया करा दिया है।
- 3. यह अपराध गैरजमानती होगा। अभियोग का विचारण प्रथम श्रेणी मैजिस्ट्रेट की कोर्ट में होता है।
- 4. जबरन या विवाह के लिए धर्म परिवर्तन के मामले में 5 साल तक की सजा और 15 हजार रुपये तक जुर्माना है।
- 5. नाबालिग लड़की, अनुसूचित जाति-जनजाति की महिला के जबरन धर्म परिवर्तन के मामले में दो से सात साल तक की सजा और कम से कम 25 हजार रुपये जुर्माने का प्रावधान है।
- 6. सामूहिक धर्म परिवर्तन के मामलों में अधिकतम 10 साल की सजा और 50 हजार रुपये जुर्माने का प्रावधान है।
- 7. धर्म परिवर्तन के लिए जिला मैजिस्ट्रेट को एक माह पहले सूचना देना अनिवार्य है। इसके उल्लंघन पर 6 माह से तीन साल तक की सजा का प्रावधान।
- 8. अध्यादेश के उल्लंघन की दोषी संस्था या संगठन भी सजा के पात्र है।
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