पटना बिहार सरकार की स्पेशल विजिलेंस यूनिट ने सोमवार को मगध विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार पुष्पेंद्र प्रसाद वर्मा, प्रॉक्टर जयनंदन प्रसाद सि...
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पटना बिहार सरकार की स्पेशल विजिलेंस यूनिट ने सोमवार को मगध विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार पुष्पेंद्र प्रसाद वर्मा, प्रॉक्टर जयनंदन प्रसाद सिंह, पुस्तकालय प्रभारी विनोद कुमार और कुलपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद के निजी सचिव सुबोध कुमार को गिरफ्तार कर लिया। 30 करोड़ का घोटाला 16 नवंबर को SUV ने जो FIR दर्ज की थी, उसमें मगध विश्वविद्यालय के कुलपति राजेन्द्र प्रसाद को इस घोटाले का मुख्य आरोपी बनाया गया है। इसके बाद सोमवार को इन चारों से पटना में कई घंटों की पूछताछ की गई और फिर रजिस्ट्रार पुष्पेंद्र प्रसाद वर्मा, प्रॉक्टर जयनंदन प्रसाद सिंह, पुस्तकालय प्रभारी विनोद कुमार और कुलपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद के निजी सचिव सुबोध कुमार को गिरफ्तार कर लिया गया। सूत्रों ने कहा कि चारों आरोपी वीसी के साथ मिलीभगत में अनियमितताओं में शामिल थे और गिरफ्तार नहीं होने पर रिकॉर्ड से छेड़छाड़ कर सकते थे। 17 नवंबर को कुलपति के ठिकानों पर हुई थी छापेमारी17 नवंबर को एसवीयू के उनके परिसरों पर छापेमारी के कुछ दिनों बाद वीसी छुट्टी पर चले गए थे। विजिलेंस के अफसरों ने कुलपति की 3 करोड़ रुपये की आय से अधिक संपत्ति का जांच में पता लगाया था। हालांकि अभी तक इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि वीसी ने इस्तीफा दिया है या चांसलर कार्यालय ने उन्हें बर्खास्त करने का कोई फैसला लिया है। गिरफ्तारी से पहले लंबी पूछताछ एसवीयू के एडीजी नैयर हसनैन खान ने कहा कि मगध विश्वविद्यालय के चार अधिकारियों को लंबी पूछताछ के बाद पटना में गिरफ्तार किया गया। उन्होंने कहा कि उन्हें जल्द ही अदालत में पेश किया जाएगा।सूत्रों ने कहा कि जांच से पता चला है कि जयनंदन ने बिना किसी निविदा के विश्वविद्यालय के लिए किताबें खरीदने में वीसी के साथ मिलीभगत की थी। सूत्रों का कहना है कि 'वित्तीय अनियमितताओं को करने में प्रॉक्टर ने वीसी के साथ भी मिलीभगत की। उन्होंने फाइलों में निजी गार्डों की अधिक संख्या दिखाई जबकि विश्वविद्यालय में वास्तविक संख्या कम थी। उन्होंने गार्डों को फाइलों में उनकी संख्या के अनुसार वेतन देने के एवज में और पैसे निकाले। जबकि गार्डों का वास्तविक वेतन काफी कम था।' सूत्रों ने कहा कि विनोद ने वीसी के साथ मिलकर 2.5 करोड़ रुपये की ई-बुक्स खरीदी, जबकि मगध विवि में कोई ई-लाइब्रेरी नहीं है। इन्हीं सूत्रों ने जानकारी दी है कि 'खरीद वीसी के निर्देश पर और अनधिकृत तरीके से परीक्षा अनुभाग से धन को डायवर्ट करके की गई थी। एसवीयू को सौंपी गई मगध विवि की जांच रिपोर्ट से यह स्पष्ट हो गया कि पुष्पेंद्र ने भुगतान आदेश पर हस्ताक्षर नहीं किए थे, लेकिन उस चेक पर हस्ताक्षर किए थे जिसके माध्यम से ई-बुक्स के लिए भुगतान किया गया था।'
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