देवरिया/दिल्ली हेलीकॉप्टर दुर्घटना में एकमात्र जीवित बचे ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह ने शौर्यचक्र से सम्मानित होने के बाद अपने स्कूल के प्रिंस...

देवरिया/दिल्ली हेलीकॉप्टर दुर्घटना में एकमात्र जीवित बचे ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह ने शौर्यचक्र से सम्मानित होने के बाद अपने स्कूल के प्रिंसिपल को सितंबर में एक चिट्ठी लिखी थी। इस चिट्ठी में छात्रों से कहा था कि 'औसत दर्जे का होना ठीक होता है।' ग्रुप कैप्टन सिंह अभी बेंगलुरु के सैन्य अस्पताल में जीवन के लिए संघर्ष कर रहे हैं। तेजस की दुर्घटना टाली, शौर्य चक्र सम्मान हरियाणा के चंडीमंदिर में स्थित आर्मी पब्लिक स्कूल को लिखी चिट्ठी में ग्रुप कैप्टन ने उस घटना का भी जिक्र किया है, जिसके लिए उन्हें शौर्य चक्र सम्मान दिया गया। वरुण सिंह ने कहा कि 2019 में वो इसरो (ISRO) के ऐतिहासिक गगनयान कार्यक्रम में शामिल होने वाले 12 कैंडिडेट्स की पहली लिस्ट में भी शामिल थे, लेकिन एक मेडिकल कंडीशन के चलते वो इसका हिस्सा नहीं बन सके। दरअसल तेजस की एक उड़ान के दौरान फाइटर एयरक्राफ्ट में कुछ तकनीकी गड़बड़ी आ गई थी। एक समय ऐसा भी आया जब वो एयरक्राफ्ट से इजेक्ट होने की सोचने लगे मगर फिर सूझबूझ का परिचय देते हुए हिम्मत से सामना किया। एक भीषण दुर्घटना को टाल दिया, जिसके लिए उन्हें अगस्त में शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया था। एयरप्लेन और एविएशन का था पैशन इसी चिट्ठी में लिखा है कि लेकिन आप ऐसा नहीं कर पाते तो ये मत सोचिए कि आप औसत दर्जे का होने के लिए बने हैं। आप स्कूल में औसत दर्जे के हो सकते हैं लेकिन इसका कतई मतलब नहीं है कि जीवन में आने वाली चीजें भी ऐसी ही होंगी। उन्होंने लिखा है कि अपने मन की आवाज सुनिए। ये कला हो सकती है, संगीत हो सकता है, ग्राफिक डिजाइन, साहित्य इत्यादि। आप जो भी काम कीजिए उसके प्रति समर्पित रहिए, अपना सर्वोत्तम दीजिए। कभी ये सोचकर सोने मत जाइए कि आपने कम प्रयास किया। अपने बारे में चिट्ठी में ग्रुप कैप्टन लिखते हैं कि मैं बहुत ही औसत छात्र था जो मुश्किल से 12वीं क्लास में फर्स्ट डिविजन हासिल किया था। इसके बावजूद मैंने 12वीं क्लास में अपने अनुशासन में किसी भी तरह की कमी नहीं आने दी। मैं खेल और अन्य को-कैरिकुलर एक्टिविटीज में भी एवरेज था। लेकिन मुझमें एयरप्लेन और एविशन को लेकर पैशन था। मैंने दो बार एयरोनॉटिकल सोसाइटीज ऑफ इंडिया क्विज में अपने स्कूल का प्रतिनिधित्व किया। हम लोग उस प्रतियोगिता में एक बार सेकंड और एक बार थर्ड पोजिशन पर आए थे। उत्तर प्रदेश के देवरिया के रहने वाले वरुण सिंह चंडीमंदिर में स्थित आर्मी पब्लिक स्कूल के प्रधानाचार्य को लिखे पत्र में ग्रुप कैप्टन सिंह ने कहा था औसत दर्जे का होना ठीक बात है। स्कूल में हर कोई उत्कृष्ट नहीं होता और सभी 90 प्रतिशत अंक नहीं ला पाते। अगर आप ऐसा कर पाते हैं तो यह एक उपलब्धि है, उसकी सराहना होनी चाहिए। ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के रुद्रपुर तहसील के कन्हौली गांव के रहने वाले हैं। इस समय वरुण सिंह तमिलनाडु के वेलिंगटन में डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज (DSSC) के डायरेक्टिंग स्टाफ हैं। वरुण सिंह के पिता कर्नल केपी सिंह भी सेना से रिटायर्ड हैं। इस समय वरुण सिंह बेंगलुरू के मिलिट्री अस्पताल में इलाज चल रहा है।
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