जयपुर: राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (National Crime Records Bureau) आंकड़ों के हवाले से पिछले साल राजस्थान को देश में से सबसे ज्यादा रेप...

जयपुर: राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (National Crime Records Bureau) आंकड़ों के हवाले से पिछले साल राजस्थान को देश में से सबसे ज्यादा रेप और गैंगरेप वाले राज्य का तमगा मिला था। महिलाओं के साथ हैवानियत के साल 2020 में 5310 मामले दर्ज हुए। ये देश में सबसे ज्यादा थे। लेकिन तब राजस्थान पुलिस (Rajasthan Police) के मुखिया डीजीपी ने दलील दी कि प्रदेश में फ्री रजिस्ट्रेशन के कारण अपराध के आंकड़े बढ़े हैं। यह भी कह दिया कि रेप के 43 फीसदी मामले तो झूठे ही होते हैं। लेकिन अब प्रदेश की कांग्रेस सरकार (Rajasthan Congress Govt) की ओर से इस घिनौने अपराध के पीछे जो वजह बताई है वो और भी चौंकाने वाली है। राजस्थान विधानसभा (Rajasthan Vidhansabha) में सरकार के यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल (Shanti Dhariwal) ने कहा है कि ऐसी शर्मनाक घटनाओं के पीछे मुख्य कारण सोशल मीडिया (Social Media) पर परोसी जाने वाली अश्लील सामग्री है। इसी से ऐसी घटनाओं को बढ़ावा मिलता है। सरकार के सबसे पावरफुल विधायक और मुख्यमंत्री के सबसे करीबी मंत्री शांति धारीवाल के विधानसभा में इस जवाब से एक नई बहस छिड़ी है। क्या सोशल मीडिया पर अपराध का ठीकरा फोड़कर सरकार अपनी जिम्मेदारी से बच सकती है? दरअसल, सरकार का गृहमंत्रालय का महकमा स्वयं मुख्यमंत्री के पास है। और प्रदेश में कानून व्यवस्था और खासतौर पर महिलाओं पर अत्याचार के मामलों में रिकॉर्ड इजाफे के आरोप सीधे सीधे मुख्यमंत्री पर लगते हैं। ऐसे में सरकार के मंत्री का विधानसभा में इस जवाब को विपक्ष की ओर से सरकार और मुख्यमंत्री के महकमे की अपराध पर अंकुश लगाने में नाकामी को छिपाने वाला बताया गया है। यह भी सवाल उठे हैं कि यदि सोशल मीडिया से समाज में ऐसी गंदी मानसिकता पनप रही है तो फिर 1.33 करोड़ महिलाओं तक स्मार्टफोन के जरिए इस सोशल मीडिया को क्यों पहुंचाया जा रहा है? वो भी तब जब मामूली फीचर फोन से डिजिटल भुगतान बिना इंटरनेट के सुलभ है। हर दिन 5 लड़कियों से रेप, तीन साल में 5793 प्रकरण राजस्थान में हर दिन पांच लड़कियों के साथ रेप हो रहा है। इसी रफ्तार से पिछले 3 सालों में 5793 लड़कियों से दरिंदगी के केस दर्ज हुए हैं। यह आंकड़ा किसी भी प्रदेश के लिए शर्मनाक है। लेकिन ऐसे हालातों पर जब सरकार ये तर्क दे कि सोशल मीडियो की वजह से रेप बढ़ रहे हैं तो फिर क्या कहेंगे? वो ऐसे समय जब केंद्र और राज्य सरकारें डिजिटलाइजेशन का प्रमोट करें। राज्य की गहलोत सरकार प्रदेश की पहली और देश की दूसरी डिजिटल यूनिवर्सिटी शुरू करने में जुटी है। पुलिस की नाकामी, नाकाफी पॉक्सो कोर्ट फिर भी दोषी सोशल मीडिया! राजस्थान में पिछले 3 साल में नाबालिग बच्चियों के साथ रेप के 5793 प्रकरण दर्ज हुए हैं। इनमें से 4631 में चालान पेश किया गया। यानी 1162 मामलों में तो पुलिस ने अब तक चालान तक पेश नहीं किया। हालांकि जिन मामलों में पुलिस ने कार्रवाई की है उन मामलों में 6628 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। वहीं 879 प्रकरणों में पुलिस ने एफआर लगा दी है। मंत्री धारीवाल ने सदन में यह भी बताया 283 प्रकरण अब भी लंबित हैं। 129 मामलों में कोर्ट ने आरोपियों को सजा सुनाई है। प्रदेश में 54 पॉक्सो कोर्ट हैं और इन आंकड़ों के मुताबित एक कोर्ट साल भर में औसत एक ही मामले में सजा सुना पाया है। विपक्ष कोर्ट के कामकाज की गति पर भी इसी वजह से सवाल उठा रहा है। लेकिन सरकार के मंत्री इस मुद्दे पर कुछ कहने सुनने से पहले सोशल मीडिया का जिक्र करते हैं। रेप केस में सजा या कानूनी प्रक्रिया में देरी की वजह? देशभर में बदनाम अलवर रेपकेस में पुलिस आज तक ये मानने को तैयार नहीं कि पीड़िता से रेप हुआ। भले ही पीड़िता को मौत के मुंह से निकालने वाले डॉक्टरों की टीम कुछ भी कहे, लेकिन जब पीड़िता के साथ जब रेप ही नहीं माना गया तो दोषी को ढूंढ़ना और उसे सजा दिलाना तो दूर की बात है। लेकिन इस केस की बात छोड़ भी दी जाए तो प्रदेश में पिछले तीन साल में 1162 ऐसे केस हैं जिनमें पुलिस ने अब तक चालान तक पेश नहीं किया गया। यहां मंत्री शांति धारीवाल ने रेप के मामले लंबित रहने के कारण भी गिनाए। उन्होंने सदन में ये 4 कारण गिनाएं...
- हाईकोर्ट का स्टे
- एफएसएल की रिपोर्ट में देरी
- गिरफ्तारी पेंडिंग रह गई
- पुलिस के पास इंवेस्टिगेशन पेंडिंग रह गया
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