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Muzaffarpur News : 16 साल बाद हुआ 'पाप' का हिसाब, अब होमियोपैथी के 302 डॉक्टरों की भी तलाश, जानिए पूरा मामला

संदीप कुमार, मुजफ्फरपुर : बिहार में आजकल एक से बढ़कर एक मामले सामने आ रहे हैं। खासकर मुजफ्फरपुर में। 16 साल बाद एक परीक्षा सहायक को गिरफ्...

संदीप कुमार, मुजफ्फरपुर : बिहार में आजकल एक से बढ़कर एक मामले सामने आ रहे हैं। खासकर मुजफ्फरपुर में। 16 साल बाद एक परीक्षा सहायक को गिरफ्तार किया गया। आरोप है कि इन्होंने बैचलर ऑफ मेडिसिन एंड होमियोपैथी सर्जरी के 302 फेल परीक्षार्थियों को पास करा दिया था। सब के सब डॉक्टर बन गए। पता नहीं किस तरह का इलाज करते होंगे। पुलिस को अब उन 302 फेल डॉक्टरों की भी तलाश है। पुलिस ने 16 साल तक नोटिस क्यों नहीं ली? BHMS यानी बैचलर ऑफ मेडिसिन एंड होमियोपैथी सर्जरी की परीक्षा में उत्तर पुस्तिका में गड़बड़ी और छेड़छाड़ कर फेल परीक्षार्थियों को पास कराने के मामले में 16 साल बाद पुलिस ने तत्कालिन परीक्षा सहायक को गिरफ्तार कर लिया। वो रिटायर होने के बाद भी विश्वविद्यालय प्रशासन की आंखों में धूल झोंकते हुए कॉन्ट्रैक्ट बेसिस पर बिहार विश्वविद्यालय (मुजफ्फरपुर) में ही काम कर रहा था। केस के आईओ सह विश्वविद्यालय थानाध्यक्ष रामनाथ प्रसाद ने बताया कि आरोपी अमरेश सिंह को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया। इस मामले में यूनिवर्सिटी से जुड़े आठ पदाधिकारी और परीक्षा पास होने वाले 302 परीक्षार्थी भी शामिल थे। आठ पदाधिकारियों में से चार की मौत हो चुकी है। एक गिरफ्तार हो चुका है। शेष तीन की तलाश चल रही है। उनके बारे में भी रिटायर होने की बात पता लगी है। इसके अलावा उन 302 परीक्षार्थियों के बारे में भी पता किया जा रहा है। चोरी-छुपे आरोपी कर रहा था विश्वविद्यालय में काम थानेदार ने बताया कि रिटायर होने के बाद भी अमरेश सिंह चोरी-छुपे यूनिवर्सिटी के वित्त शाखा में काम कर रहा था। आईओ ने डिस्टेंस एजुकेशन के एक पदाधिकारी पर उसे गलत तरीके से बहाल करने की बात कही है। वहीं, जब इस मामले को लेकर रजिस्ट्रार आरके ठाकुर से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मामला संज्ञान में नहीं है। गिरफ्तारी हुई है। इसकी भी जानकारी नहीं है। देखते हैं क्या मामला है। इसके बाद ही कुछ कहा जा सकता है। राज्यपाल के आदेश पर साल 2006 हुआ था केस 2006 में BHMS की परीक्षा आयोजित हुई थी। इसमें पार्ट 1, पार्ट 2 और पार्ट 3 के 302 परीक्षार्थियों को गलत तरीके से पास कराया गया था। उनके आंसर शीट के साथ छेड़छाड़ कर गलत मार्क्स दिया गया था। जब विश्वविद्यालय प्रशासन ने इसकी जांच की तो इसमें संदेह हुआ। इसके बाद आंसर शीट को खोलकर देखा गया। पाया कि टैबुलेशन के साथ मार्क्स में भी छेड़छाड़ की गई है। मामला राजभवन तक पहुंचा था। तत्कालीन राज्यपाल ने इसपर संज्ञान लेते हुए फौरन FIR दर्ज करने का आदेश दिया था। तत्कालीन कुलसचिव अशोक कुमार श्रीवास्तव के बयान पर विश्वविद्यालय थाने में केस दर्ज हुआ था। लेकिन, तब से लेकर आज तक ये मामला लंबित रहा। इसमें पुलिस स्तर से भी हीलाहवाली की गई।


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