रमणिका गुप्ता की आत्मकथा 'आपहुदरी' पढ़ने पर राजनीति के अलग चरित्र से परिचित होने का मौका मिलता है। सियासत के गैंगस्टर मिजाज को रमणिक...
रमणिका गुप्ता की आत्मकथा 'आपहुदरी' पढ़ने पर राजनीति के अलग चरित्र से परिचित होने का मौका मिलता है। सियासत के गैंगस्टर मिजाज को रमणिका ने बखूबी कोरे कागज पर उकेरा है। अपनी आत्मकथा के जरिए रमणिका ने बहुत से सफेदपोश चेहरों से नकाब नोच डाला है। बेहद बोल्ड और बिंदास अंदाज में लिखी गई 'आपहुदरी' के आईने में आप 60 और 70 के दशक की राजनीति का विद्रूप चेहरा देख सकते हैं।
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