नगर निगम की लापरवाही से शाम ढलते ही स्मार्ट सिटी की सड़काें पर अंधेरा छा रहा है। गली-माेहल्ले की सड़काें की बात तो दूर यहां ताे मुख्य सड़का...
नगर निगम की लापरवाही से शाम ढलते ही स्मार्ट सिटी की सड़काें पर अंधेरा छा रहा है। गली-माेहल्ले की सड़काें की बात तो दूर यहां ताे मुख्य सड़काें पर ही स्ट्रीट लाइट खराब है। हालत यह है कि जिले के बड़े अफसराें के ऑफिस और आवास के सामने की सड़काें पर भी अंधेरा है। अगर इसकी हकीकत जाननी हाे ताे शाम में एसएसपी ऑफिस के सामने से गुजरी सड़क पर चले जाइए। यहां से गुजरने पर लाेगाें काे डर लगने लगता है। कारण यह कि वहां एक भी स्ट्रीट लाइट नहीं लगी है।
ऐसी ही स्थिति सदर एसडीओ ऑफिस से आकाशवाणी राेड की तरफ की भी है। वहां एसडीओ कार्यालय परिसर के अंदर से छन कर आती राेशनी छिट-पुट सड़क पर आती है। जबकि डीएम काेठी के सामने ताे चकाचक लाइट है। लेकिन वहां से जैसे ही काेसी व पूर्व बिहार के सबसे बड़े मायागंज अस्पताल की ओर बढ़ेंगे ताे अंधेरा मिलेगा। जब काेई गाड़ी गुजरती है ताे उसकी ही लाइट में लाेग पैदल चलते हुए नजर आते हैं।
नगर निगम क्षेत्र में 90 से अधिक लाइट खराब हैं, जहां शाम हाेने के बाद लाेग आने-जाने से बचते हैं। कारण यह है कि अंधेरे के कारण हादसे का खतरा बना रहता है। साथ ही चाेरी व छिनतई की घटना की भी अंदेशा बना रहता है। कई बार चाेर-बदमाश अंधेरे का फायदा उठाकर वारदात काे अंजाम भी दे चुके हैं। इसके बाद भी निगम प्रशासन की नींद नहीं खुल रही है। हालत यह है कि ईईसीएल कंपनी काे स्ट्रीट लाइट लगाने से लेकर मेंटनेंस का जिम्मा देकर निगम के अफसर अपनी जिम्मेदारी से मुक्त हाे गए हैं।
उल्टा पुल व विक्रमशिला सेतु भी रोशन नहीं, बाइपास पर भी अंधेरा
शहर की मुख्य सड़काें पर ताे स्ट्रीट लाइट खराब है ही। साथ ही विक्रमशिला सेतु, उल्टा पुल पर लगी लाइटाें में से भी ज्यादातर खराब है। इस कारण से लाेगाें काे रात में वहां से गुजरने पर डर लगता है। इतना ही नहीं, बाइपास काे चालू हुए डेढ़ साल से अधिक समय बीत चुके हैं। लेकिन अब तक उस पर लाइट नहीं लगाई जा चुकी है। जबकि शुरू में कहा जा रहा था कि वहां लाइट लगेगी।
यहां भी लापरवाही: पेड़ाें की टहनी के पीछे छिप गई हैं स्ट्रीट लाइटें
शहर में एक ताे लगाई गई स्ट्रीट लाइट में कई खराब है। कई सड़काें पर स्ट्रीट लाइट ही नहीं है। वहीं जहां लाइट लगी है और ठीक है, वहां की स्थिति यह है कि पेड़ाें की टहनी के पीछे लाइट छिप गई है। इस कारण से उन लाइटाें के जलने के बाद भी राेशनी सड़क तक नहीं पहुंच पाती है। ऐसे में वहां की सड़काें से गुजरने पर हादसे की आशंका बनी रहती है। सड़क की स्थिति पहले से अच्छी नहीं है।
बड़ा सवाल: जब मुख्य सड़काें की लाइट ठीक नहीं करा पा रहा निगम ताे गली-माेहल्लाें का काैन दुरुस्त कराएगा?
निगम का दावा: राेज 10-15 शिकायत मिलती है और उसे तुरंत ठीक कराते हैं
हकीकत : शहर की कई मुख्य सड़काें पर लगी लाइट महीनाें से खराब है पर किसी का ध्यान नहीं
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