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विधानसभा चुनावों में इस बार कुर्ता, पायजामा और बंडी की 80 फीसदी तक कम हो रही बिक्री

नेता...यह शब्द सुनते ही दिमाग में कुर्ता-पायजामा और गांधी टोपी ही घूम जाती है। नेताओं का यह पहनावा हमेशा से रहा है। हालांकि इस बार विधानसभा...

नेता...यह शब्द सुनते ही दिमाग में कुर्ता-पायजामा और गांधी टोपी ही घूम जाती है। नेताओं का यह पहनावा हमेशा से रहा है। हालांकि इस बार विधानसभा चुनाव में नेताओं का यह ‘स्थायी सिंबल’ बदलता जा रहा है। कारण...कोरोनाकाल में नेताओं की तैयारी भी वर्चुअल ही चल रही है। नेताजी न तो खुद के लिए कुर्ता सिला रहे हैं और ना ही कायर्कर्ताओं को लिए।

हालात यह है कि इस बार कुर्ता-पायजामा का कारोबार भी करीब 70-80 फीसदी तक कम ही हुआ है। विधायक आवास के पास कुर्ता का कपड़ा बेचने वाले कई दुकान हैं। ये एक से डेढ़ घंटे में कुर्ता सिल कर दे देते हैं। यानी घंटे भर में आप नेताजी के लुक में तैयार। भाजपा और राजद कार्यालय के बीच और विधायक आवास कुर्ता की दुकान सजी है।

चुनाव का बिगुल बज चुका है लेकिन अब भी कई दुकानदार तो तीन-चार दिन से बोहनी का इंतजार कर रहे हैं। दुकानदार अकबर अली का दिल बैठा जा रहा है। ग्राहकों की बाट जोह रहे अकबर कहते हैं- 30 साल में पहली बार है कि चुनावी मौसम में कुर्ता, पायजामा और बंडी की बिक्री नगण्य है। पहले विधान सभा चुनाव के समय एक - एक नेता दर्जन भर कुर्ता पायजामा खुद के लिए बनवाते थे।

साथ ही अपने कार्यकर्ताओं के लिए भी कुर्ता बनवाते थे। पिछले साल लोकसभा चुनाव के समय भी काफी अच्छी बिक्री हुई थी। विधायक आवास के पास कई दुकानदार बिक्री नहीं होने से परेशान हैं। राजनीतिक दलों के कार्यालय के पास टिकट के लिए भीड़ दिख रही है। लेकिन कुर्ता पायजामा सिलाने वाले नहीं आ रहे हैं। चुनाव में खादी और कॉटन के सफेद कपड़े की मांग रहती है।

इस कारण बिक्री कम

  • कोरोना के कारण चुनाव प्रचार सीमित करने से
  • वर्चुअल माध्यम से चुनाव प्रचार के लिए लोगों के साथ पारंपरिक तरीके से संपर्क नहीं होना
  • कोरोना से आर्थिक मार का भी असर
  • ट्रेन सीमित चलने से पटना आने वाले नेताओं और कार्यकर्ताओं की संख्या कम हुई है।

चुनावी मौसम में कभी इंतजार नहीं किया

दुकानदार मो. सोहराब आलम 13 साल की उम्र से ही दादा और पिता के साथ दुकान पर बैठ रहे हैं। बतौर सोहराब - ऐसा कभी न हुआ कि चुनावी मौसम में कुर्ता सिलाने वाले ग्राहकों का इंतजार करना पड़ा हो। इस बार तो अब तक कपड़े का पहला थान भी नहीं बिक सका है। पहले इस समय तक थोक दुकानदार से कई थान कपड़े मंगा लेता था।

  • सोहराब ने मधुबनी खादी का थान निकालते हुए कहा- यह कपड़ा 140 रुपए मीटर है। अरज भी बड़ा है। ढाई से तीन मीटर में शानदार कुर्ता तैयार हो जाएगा। सिलाई सहित 550 से 600 रुपए में एक कुर्ता तैयार हो जाता है। वैसे 100 से 300 रुपए प्रति मीटर कपड़े हैं।
  • एक ही रोना...वर्चुअल मोड में नेताजी कुर्ता नहीं सिला रहे हैं- दुकानदार के अनुसार चुनावी मौसम में खुद के साथ सिलाई करने वालों को भी गांव से बुला लेते थे। इस बार तो खुद की बैठा-बैठी है। रोजाना ठेला लेकर आते हैं। मजदूरी जोड़ें तो कोई लाभ नहीं मिल रहा है।


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विधायक आवास के पास कई दुकानदार बिक्री नहीं होने से परेशान हैं। राजनीतिक दलों के कार्यालय के पास टिकट के लिए भीड़ दिख रही है। लेकिन कुर्ता पायजामा सिलाने वाले नहीं आ रहे हैं।


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