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बंगाल निकाय चुनाव में TMC की एकतरफा जीत हुई फीकी, जानें दार्जिलिंग के अजय एडवर्ड्स क्यों हैं चर्चा में?

कोलकाता : बंगाल के निकाय चुनाव में टीएमसी की एकतरफा जीत से कहीं ज्यादा चर्चा में दार्जिलिंग के नतीजों की है। वहां महज चार महीने पहले बनी ...

कोलकाता : बंगाल के निकाय चुनाव में टीएमसी की एकतरफा जीत से कहीं ज्यादा चर्चा में दार्जिलिंग के नतीजों की है। वहां महज चार महीने पहले बनी एक नई पार्टी ने उलटफेर करते हुए जीत दर्ज की। इस पार्टी को बनाने वाले हैं अजय एडवर्ड्स। भले ही अजय एडवर्ड्स ने पार्टी बनाने के बाद महज चार महीनों में यह जीत हासिल की लेकिन उनकी यह जीत आसान नहीं थी। रेस्ट्रॉन्ट चलाने वाले 47 साल के अजय एडवर्ड्स के बारे में कहा जाता है कि उनकी इच्छा शक्ति बहुत मजबूत है। उन्हें इस बात की ज्यादा फिक्र नहीं होती कि दूसरे लोग उनके बारे में क्या सोचते हैं। वह उस रास्ते पर बढ़ते जाते हैं, जो उनकी इच्छा का होता है। पार्टी बनाई तो लोगों ने उड़ाया मजाक चार महीने पहले नवंबर 2021 में जब वह अपनी एक नई पार्टी बना रहे थे तो बहुत सारे लोग उनका मजाक उड़ा रहे थे। जो मजाक नहीं उड़ा रहे थे, वे भी यह भरोसा करने को तैयार नहीं थे कि जब राज्य में स्थानीय निकाय चुनाव सिर पर आ गए हैं, उस वक्त बनी कोई नई पार्टी उलटफेर भी कर सकती है। लेकिन अजय एडवर्ड्स थे जो अपने इस ख्याल पर कायम थे कि कुछ भी हो सकता है। सात साल दार्जिलिंग से रहना पड़ा था दूर अपनी इस जिद की बुनियाद पर उन्होंने ‘हमरो पार्टी’ नाम से अपनी नई पार्टी बनाई। इस पार्टी ने उस शहर (दार्जिलिंग) में बड़ा उलटफेर करके दिखा दिया, जो शहर अजय को कभी छोड़ना पड़ा था। वह भी एक-दो साल के लिए नहीं, बल्कि पूरे सात साल के लिए। साल 2007 से 2014 तक उन्हें दार्जिलिंग से दूर रहना पड़ा था। दरअसल दार्जिलिंग गोरखा पॉलिटिक्स का सेंटर है। अजय गोरखा पॉलिटिक्स का चेहरा कहे जाने वाले गोरखा जनमुक्ति मोर्चा में थे। इस संगठन में नेतृत्व के साथ उनका जबर्दस्त टकराव हुआ। इसी वजह से उन्हें दार्जिलिंग छोड़ना पड़ा। ऐसे बनाई खुद की पार्टी 2014 जब उन्होंने दार्जिलिंग वापसी की तो गोरखा पॉलिटिक्स के दूसरे संगठन- गोरखा नेशनल लिबरेशन फ्रंट से जुड़े। लेकिन बंगाल विधानसभा चुनाव के वक्त उनके इस पार्टी के साथ भी मतभेद हो गए और उन्होंने वह पार्टी भी छोड़ दी। उसके बाद उन्होंने कह दिया था कि अब वह दूसरी पार्टियों का हिस्सा नहीं बनेंगे, बल्कि खुद की एक पार्टी बनाएंगे। चार महीने में ही पार्टी ने दिखाया कमाल शुभचिंतकों ने समझाया कि पार्टी बनाना कठिन नहीं है, लेकिन उसे चलाना बड़ा कठिन काम है। जनता का भरोसा जीतना आसान नहीं होता है। तब एडवर्ड्स ने कहा था कि कठिन कुछ भी नहीं होता और ऐसा उन्होंने करके भी दिखा दिया। महज चार महीने पहले बनी पार्टी ने दार्जिलिंग निकाय चुनाव में ऐसी जीत दर्ज की कि उसके मुकाबले वह टीएमसी भी नहीं टिक पाई, जिसने पूरे राज्य में निकाय चुनाव में एकतरफा जीत दर्ज की है। बीजेपी को भी दार्जिलिंग में एक भी सीट नहीं मिली।


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