शारदीय नवरात्र के तीसरे दिन सोमवार को मां दुर्गा के तीसरे रूप चंद्रघंटा की पूजा हुई। मंगलवार को मां कुष्मांडा की पूजा होगी। मंदिरों एवं घरो...

शारदीय नवरात्र के तीसरे दिन सोमवार को मां दुर्गा के तीसरे रूप चंद्रघंटा की पूजा हुई। मंगलवार को मां कुष्मांडा की पूजा होगी। मंदिरों एवं घरों में दुर्गा सप्तशती के पाठ से पूरा माहौल भक्तिमय बना हुआ है। संध्या के समय शहर के विभिन्न मंदिरों में आरती के समय खासकर महिलाओं की भीड़ जुट रही है। मंदिर प्रबंधन समिति कोविड नियमों का पालन करते हुए सभी को पूजा अर्चना करवा रहे हैं।
कंकड़बाग श्री शिव साईं कृपा मंदिर के पंडित नवल किशोर पांडेय ने बताया कि कलश स्थापना कर पूजा की जा रही है। अनीसाबाद चौक पर मां श्रृद्धा भवानी मंदिर में मां दुर्गा की अराधना एवं आरती के लिए भक्त पहुंच रहे हैं। दुर्गा सप्तशती का धाराप्रवाह पाठ किया जा रहा है।
दुर्गापूजा को लेकर सोमवार की शाम में बाजार में खासी भीड़ रही। शहर के प्रमुख मार्गों पर पूजा सामग्री की अस्थायी दुकानें सज चुकी हैं और लोग खरीदारी के लिए पहुंच रहे हैं।
महावीर मंदिर के पास सुबह चार बजे से ही सड़क के दोनों तरफ फूल-माला, पान के पत्ते एवं अन्य पूजन सामग्री की बिक्री हो रही है। शहर में मंदिरों के पास भी फूल-माला दुकानें सुबह से ही सज जा रही हैं।
मंगलवार को मां के चाैथे रूप कुष्मांडा (मां का खुशी भरा रूप) की पूजा होगी।
माता का यह रूप ब्रह्मांड की निर्माता के रूप में है। वह सूर्य की तरह सभी 10 दिशाओं में चमकती रहती हैं। उनके पास आठ हाथ हैं। सात प्रकार के अस्त्र-शस्त्र उनके हाथाें में चमकते रहते हैं। उनके दाहिने हाथ में माला होती है। वह शेर की सवारी करती हैं।
कई जगहों पर मां की छोटी प्रतिमाएं स्थापित होंगी
9 दिनों तक चलने वाली नवरात्रि को लेकर मां दुर्गा की प्रतिमा का निर्माण अंतिम चरण में है। इस साल कम समय मिलने के कारण मूर्तिकार दिन-रात लगकर मां की छोटी प्रतिमा बना रहे हैं। कुर्जी, दीघा, अनीसाबाद एवं मंदिरों में मां की छोटी प्रतिमा स्थापित हाेंगी।
नवरात्रि अहिंसा का प्रतीक
राधाकृष्ण प्रणामी मंदिर परमहंस पीठ सत्संग धाम रानापुर न्यास समिति की ओर से नवरात्र का आयोजन किया जा रहा है। नवरात्रि के तीसरे दिन तारत्म सागर पाठ के साथ निजनाम महामंत्र जाप किया गया। महंत सुरेश चंद्र शास्त्री ने कहा कि नवरात्रि के समय मनुष्य को पवित्र भाव से अपने घर पर अनुष्ठान करना चाहिए। सामान्य ढंग से अनुष्ठान करें। उन्होंने कहा कि हमें शाकाहारी बनने की जरूरत है। इस पर्व को भाईचारे के साथ मनाना चाहिए। मंदिर के ब्रह्मदेव दास, साजन कुमार, राम दास ने पूजा में सहयोग किया।
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