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टीचर की नौकरी छोड़ रोटी बेचने का स्टार्टअप शुरू किया, दो साल में 30 लाख रुपये पहुंचा टर्नओवर

गुजरात के वडोदरा की रहने वाली मीनाबेन शर्मा प्राइवेट स्कूल में पढ़ाती थीं। सैलरी भी अच्छी थी, लेकिन उनका मन नहीं लगता था। वे कुछ अलग करना च...

गुजरात के वडोदरा की रहने वाली मीनाबेन शर्मा प्राइवेट स्कूल में पढ़ाती थीं। सैलरी भी अच्छी थी, लेकिन उनका मन नहीं लगता था। वे कुछ अलग करना चाहती थीं, जिससे उनकी पहचान बने। दो साल पहले उन्होंने नौकरी छोड़कर रोटी बनाने और बेचने का बिजनेस शुरू किया। 100 रोटियों से शुरू हुआ उनका बिजनेस आज 4 हजार तक पहुंच गया है। उनका सालाना टर्नओवर 30 लाख रुपये है। वे कई महिलाओं को रोजगार भी दे रही हैं।

सैलरी अच्छी थी, लेकिन कुछ और करने का मन था
वडोदरा के मुजमहुडा में एमडी कॉर्पोरेशन नाम से रोटी बनाकर बेचने की शुरुआत करने वाली मीनाबेन बताती हैं कि मैंने पोस्ट ग्रेजुएट किया है। दो साल पहले तक एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ाया। कुछ दिनों बाद काम से मन ऊबने लगा। सोचा कि क्यों न कुछ ऐसा किया जाए ताकि मैं सेल्फ डिपेंडेंट हो सकूं और दूसरी महिलाओं को भी रोजगार दे सकूं। 2018 में वडोदरा जिला उद्योग केंद्र से PMRY योजना के तहत मैंने 7 लाख रुपये का लोन लिया और बिजनेस की शुरुआत की।

मीनाबेन ने इस काम के लिए 10 महिलाओं को रखा है, वो रोटी बनाने से लेकर पैकिंग करने का काम करती हैं।

गुजरात में ज्यादातर रोटी ही खाई जाती है
रोटी का बिजनेस शुरू करने के विचार के बारे में मीनाबेन कहती हैं कि रोटी तो हर घर में बनती है। इसके बिना तो खाना होता ही नहीं। गुजरात की बात करें तो यहां आमतौर पर चावल कम और रोटी ज्यादा बनती हैं। वडोदरा में नमकीन की ढेरों वैरायटीज हैं। अब यह गृह उद्योग का हिस्सा बन चुका है। लोग घरों में नमकीन की तरह-तरह की वैरायटी तैयार कर दुकानों, रेस्टोरेंट और कंपनियों की कैंटीन तक में सप्लाई करते हैं।

रोटी का बिजनेस बहुत कम लोग ही करते हैं। मैंने थोड़ा बहुत रिसर्च किया तो पता चला कि इसे बिजनेस का रूप दिया जा सकता है। इसमें अच्छा स्कोप है. ऐसे कई लोग हैं यहां जिन्हें वक्त पर सही खाना, खासकर के रोटी नहीं मिल पाती है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए मैंने रोटी बनाकर बेचने का विचार किया।

पराठे-पूड़ी और थेपला भी सप्लाई करती हैं

मीनाबेन के साथ काम करने वाले मशीन से रोटियां तैयार करते हैं।

साल 2018 में जब बिजनेस शुरू किया तो शुरुआत 100 रोटियों से हुई। धीरे-धीरे ऑर्डर के लिए लोगों से संपर्क करती गई और बिजनेस बढ़ता गया। अब रोजाना करीब 4 हजार रोटियों की सप्लाई करती हूं। मेरी यूनिट में अब 10 महिलाएं भी हैं। इससे मेरा काम ही आसान नहीं होता, बल्कि इन्हें रोजगार भी मिला है। फिलहाल रोटी बनाने की दो मशीनें हैं।

वे बताती हैं कि हमारी रोटियां आमतौर पर इंडस्ट्रियल एरिया की कैंटीन में सप्लाई होती हैं। एक रोटी की कीमत 1.70 रुपए है। अब मैंने रोटी के साथ पूड़ी-पराठे और थेपले का ऑर्डर लेना भी शुरू कर दिया है, जिससे बिजनेस को और आगे ले जा सकूं।

आगे की प्लानिंग के बारे में मीनाबेन कहती हैं कि रोटी बनाने और बेचने के इस बिजनेस में परिवार का भी बड़ा सपोर्ट मिला। इसी सपोर्ट के चलते ही दो साल में बिजनेस आज इस मुकाम पर है, जिसे मैं और आगे ले जाने की कोशिश में लगी हुई हूं। आने वाले दिनों में रोटी बनाने की और मशीनें लगाने की प्लानिंग है, जिससे कई बड़े ऑर्डर ले सकूं।



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Leaving teacher's job, started a bread selling startup, turnover reached Rs 30 lakh in two years


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