अनुमंडल का सबसे बड़ा अस्पताल सुविधाओं की कमी का दंश झेल रहा है। जिस कारण यहा आने वाले मरीजों व उनके परिजनों के साथ ही खुद अस्पताल प्रबंधन को...

अनुमंडल का सबसे बड़ा अस्पताल सुविधाओं की कमी का दंश झेल रहा है। जिस कारण यहा आने वाले मरीजों व उनके परिजनों के साथ ही खुद अस्पताल प्रबंधन को भी कई बार परेशान होना पड़ रहा है। 75 बेड व सात प्रखंडो से जुड़े इस अस्पताल के भरोसे अनुमंडल के लाखों की आबादी है।
हर दिन यहा सैकड़ो मरीज भी इलाज कराने आते है। लेकिन इतनी भारी आबादी को अस्पताल तक पहुंचाने के लिए अनुमंडलीय अस्पताल में महज एक एंबुलेंस ही तैनात है। जिस कारण मरीजों तथा उनके परिजनों को मरीजों व प्रसूताओं को अस्पताल में पहुंचाने के लिए कई पापड़ बेलने पड़ते है।
जब कभी एंबुलेंस किसी गंभीर मरीज को लेकर बक्सर या पटना चला जाता है तब दूसरें मरीजों या प्रसूताओं को निजी वाहनों के सहारे ही अस्पताल जाना पड़ता है। निजी वाहन चालक मरीजों के परिजनों का खूब आर्थिक दोहन भी करते है। हाल के दिनों में कई ऐसी घटनाएं भी हो चुकी है जिसमें मरीज व उनके परिजन एंबुलेंस के अभाव में परेशानी झेल चुके है। प्रबंधन भी सबकुछ जानने के बावजूद मौन साधे हुए है।
पहले संचालित होते थे चार एंबुलेंस
एक समय ऐसा भी था जब इस अस्पताल में चार-चार एंबुलेंस तैनात रहते थे। तब मरीजों को काफी सुविधा मिलती थी। कुछ दिनों के बाद दों एंबुलेंस हट गया। उसके बाद भी दो एंबुलेंस से मरीज आसानी से अस्पताल या फिर यहा से रेफर होने के बाद बड़े अस्पताल तक समय से पहुंच अपनी जान बचा लेते थे। लेकिन अब तो स्थिति ऐसी बन गई है कि भगवान भरोसे ही मरीजों को समय से एंबुलेंस मिलता है। परिजनों ने बताया कि
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