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उगते सूर्य को अर्घ्य देने घाटों पर आए छठ व्रती, रात भर जाग कर करते रहे सूर्यदेव और छठी मइया की उपासना

बिहार का चार दिवसीय महापर्व छठ आज अपने अंतिम दिन में प्रवेश कर गया है। आज उगते सूर्य को अर्घ्य देकर सभी छठ व्रती पारण करेंगे। राजधानी पटना ...

बिहार का चार दिवसीय महापर्व छठ आज अपने अंतिम दिन में प्रवेश कर गया है। आज उगते सूर्य को अर्घ्य देकर सभी छठ व्रती पारण करेंगे। राजधानी पटना सहित पूरे बिहार में छठ व्रती नदी और तालाब किनारे आकर उगते सूर्य को जल चढ़ाएंगे। इसके लिए सुबह के अंधेरे में ही घाटों पर लोग पहुंचना शुरू भी कर चुके हैं। बहुतों ने तो अपनी रात घाट किनारे ही बिताई है। पटना के घाट किनारों पर ऐसे लोगों की बड़ी संख्या देखने को मिल रही है, जो ग्रामीण क्षेत्रों से गंगा नदी में छठ करने आये हैं और रात भर जागकर सूर्य उगने का इन्तजार करते रहे हैं।

सूर्योदय के लिए करना होगा इन्तजार

शनिवार की सुबह कोहरा छाने की वजह से पटना सहित बिहार के अधिकांश जिलों में छठ व्रतियों को सूर्योदय के लिए थोड़ा इन्तजार करना पड़ रहा है। पंचांगों के अनुसार सूर्योदय का समय तो सुबह 6 बजकर 11 मिनट का है, लेकिन मौसम विभाग ने आसमान में बादल छाने की भी बात कही है, जिस वजह से व्रतियों का इंतजार बढ़ सकता है।

सुबह 5:30 बजे भागलपुर के सीढ़ी घाट का नजारा।

घाटों पर फिर सजने लगे सूप-दउरा और फल

शुक्रवार की शाम का अर्घ्य देने के बाद अधिकांश व्रती अपना-अपना सूप और दउरा लेकर वापस चले गए थे। अब सुबह ही एक बार फिर घाट किनारे पहुंचकर सबने पानी के समीप उन्हें सजा दिया है। हर सूप के बगल में दीये भी जलाये गए हैं। व्रती अब सूर्य भगवान् के उगने का इन्तजार कर रहे हैं कि उन्हें अर्घ्य देकर और छठी मइया की उपासना कर अपने मनोकामनाओं की पूर्ति कर सकें।

प्रशासन के एक भी गाइडलाइन का नहीं हुआ पालन

जिला प्रशासन द्वारा कोरोना के खतरे को देखते हुए छठ घाटों पर आने-जाने के लिए विशेष गाइडलाइन जारी की गई थी। लेकिन शुक्रवार को सांध्य अर्घ्य की ही तरह सुबह भी किसी गाइडलाइन का पालन होता नहीं दिखा। लोग मास्क पहने तो नजर आ रहे हैं लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग का पालन होता नहीं दिख रहा। बच्चे-बुजुर्ग भी घाटों पर आ ही रहे हैं, साथ में आतिशबाजी भी खूब हो रही है। छठ घाटों पर की गई आतिशबाजी कभी भी किसी दुर्घटना का कारण बन सकती है। इतना ही नहीं, यह घाटों पर प्रदूषण का स्तर भी बढ़ाती है, जिससे उनलोगों को दिक्कत हो सकती है, जिन्हें सांस-फेफड़ों संबंधी बीमारी है।



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फतुहा के कटैया घाट पर सूर्योदय का इंतजार करते लोग।


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