जीने की उम्मीद छोड़ चुके रिटायर्ड डीएसपी अनिल झा(65 वर्ष) कोरोना से जंग जीतने में सफल हो गए हैं। परिवार में दोबारा खुशियां लौट आई है। झारखं...

जीने की उम्मीद छोड़ चुके रिटायर्ड डीएसपी अनिल झा(65 वर्ष) कोरोना से जंग जीतने में सफल हो गए हैं। परिवार में दोबारा खुशियां लौट आई है। झारखंड से 2015 में डीएसपी पद से सेवानिवृत अनिल झा पुलिस लाइन के समीप सपरिवार रहते हैं। उनके बड़े पुत्र मयंक सोनू ने बताया कि पिताजी नवंबर में गाजियाबाद गए थे। वहां सर्दी व खांसी-बुखार हुआ।
लौटने पर शहर के एक चिकित्सक के पास दिखाया तो टाइफाइड बताकर इलाज किया। इस बीच हालत काफी गंभीर हो गई। कोरोना जांच कराने पर रिपोर्ट पॉजिटिव आई। जिसके बाद 23 नवंबर को पताही कोविड अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वहां डॉक्टरों ने बताया कि फेफड़े ने पूरी तरह काम करना बंद कर दिया है।
जिंदा रहने की उम्मीद महज 5 प्रतिशत ही बची है। चूंकि ऑपरेशन कर एक किडनी पहले ही निकाली जा चुकी थी। बीपी के मरीज भी थे। इसलिए पूरा परिवार नाउम्मीद हो चुका था। लेकिन, डॉक्टरों की मेहनत रंग लाई। 15 दिन वेंटिलेटर पर रहने के बाद स्वस्थ हो गए। 12 दिसंबर को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया।
कोविड अस्पताल के चिकित्सक लेफ्टिनेंट कर्नल डॉ. कुणाल सरीन, लेफ्टिनेंट कर्नल डॉ. असीम यादव, नेवी के डाॅ. नवीन समेत कई रेजीडेंट चिकित्सकों के प्रयास से अनिल झा को नया जीवन मिल सका। कोविड अस्पताल के सीईओ कर्नल डॉ. मनीष आहूजा ने बताया कि एक सितंबर से कोविड अस्पताल में मुजफ्फरपुर समेत उत्तर बिहार के मरीजों का इलाज किया जा रहा है। लेकिन, अनिल झा बिहार के शायद पहले ऐसे मरीज थे जिन्हें इतनी नाजुक स्थिति में अस्पताल में भर्ती कराया गया और उन्हें बचा लिया गया।
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