मेयर सीमा साहा और डिप्टी मेयर राजेश वर्मा के खिलाफ आया अविश्वास प्रस्ताव बुधवार काे खारिज हाे गया। इसके साथ ही दाेनाें की कुर्सी बच गई। अवि...

मेयर सीमा साहा और डिप्टी मेयर राजेश वर्मा के खिलाफ आया अविश्वास प्रस्ताव बुधवार काे खारिज हाे गया। इसके साथ ही दाेनाें की कुर्सी बच गई। अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के लिए निगम सभागार में बुलाई गई बैठक में विपक्ष के 21 पार्षद ही आए। वार्ड 23 की पार्षद रश्मि रंजन ने साफ किया कि वह किसी के पक्ष में नहीं हैं। इसके बाद आधे घंटे तक पक्ष-विपक्ष में इस पर चर्चा हुई।
मेयर और डिप्टी मेयर मिलाकर कुल 24 पार्षद ही सदन की बैठक में आए। निगम में 51 पार्षद हैं। चूंकि वाेटिंग के लिए सदन में जरूरी 26 पार्षद नहीं आए, इसलिए इसकी नाैबत ही नहीं आई। इसके बाद विपक्ष से ही पीठासीन अध्यक्ष बनाए गए वार्ड 42 के पार्षद सरयुग साह ने प्रस्ताव काे खारिज कर बैठक काे समाप्त कर दिया। अब एक साल तक दाेनाें की कुर्सी सुरक्षित हाे गई है। इस बीच अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता है।
ऑब्जर्वर अरुण कुमार सिंह ने घाेषणा की कि जाे व्यवस्था पहले से थी, वह चलती रहेगी। मेयर सीमा साहा और डिप्टी मेयर राजेश वर्मा अपने पद पर बने रहेंगे। उन्हाेंने कहा कि 51 वार्ड के हिसाब से 26 पार्षद हाेने के बाद ही बहुमत के लिए वाेटिंग की प्रक्रिया निगम के एक्ट के मुताबिक हाे सकती थी।
बैठक के दाैरान नगर आयुक्त जे. प्रियदर्शिनी, उपनगर आयुक्त सत्येंद्र प्रसाद वर्मा व प्रफुल्ल चंद्र यादव भी माैजूद थे। नगर सरकार बचने के ठीक बाद मीडिया से बातचीत करते हुए मेयर सीमा साहा और डिप्टी मेयर राजेश वर्मा ने सीधे तौर पर इसके लिए गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे का नाम लिया। साथ ही, नगर विधायक और पूर्व मेयर को भी इस प्रकरण में शामिल बताया।
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