टाटा मेमोरियल कैंसर हॉस्पिटल मुंबई की एसकेएमसीएच परिसर स्थित होमी भाभा कैंसर रिसर्च इंस्टीट्यूट के चिकित्सक-शोधकर्ताओं के शोध में पता चला ह...
टाटा मेमोरियल कैंसर हॉस्पिटल मुंबई की एसकेएमसीएच परिसर स्थित होमी भाभा कैंसर रिसर्च इंस्टीट्यूट के चिकित्सक-शोधकर्ताओं के शोध में पता चला है कि हरी खैनी कैंसर की बड़ी वजह है। साथ ही कसैली व गुटका खाने से भी कैंसर हाेता है।
यही कारण है कि मुजफ्फरपुर के सकरा, कटरा, औराई और समस्तीपुर जिले के पूसा समेत खैनी की खेती वाले अन्य इलाकाें में भी बड़ी संख्या में कैंसर मरीज मिल रहे हैं। ये इलाके कैंसर के हाई रिस्क जोन चिह्नित किए गए हैं।
शाेध में बताया गया है कि निकाेटिन स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है, जाे अगले 10 वर्षों में कैंसर का रूप धारण कर लेता है। जब तक पता चलता है तब तक काफी देर हो चुकी होती है और मरीज की जान चली जाती है।
हालांकि, एसकेएमसीएच परिसर में कैंसर ओपीडी खुलने से उत्तर बिहार के कैंसर मरीजाें काे बड़ी राहत मिली है। यह बीमारी प्रारंभ में ही पकड़ में अाने लगी है जिससे समय पर इलाज शुरू हाे जाता है।
कसैली भी इसका कारक, सिगरेट के धुआं से दूसरों को भी होता नुकसान, यह बच्चों के लिए खतरनाक
एसकेएमसीएच स्थित होमी भाभा कैंसर रिसर्च इंस्टीट्यूट के प्रभारी चिकित्सक डॉ. रविकांत सिंह ने बताया कि अन्य जगहाें की अपेक्षा खैनी उत्पादन वाले इलाकों में अधिक संख्या में कैंसर मरीज हैं। नए रिसर्च में ताे कसैली खाने से भी कैंसर होने का मामला सामने आया है।
गुटका, सिगरेट, तंबाकू, कसैली, जर्दा से कैंसर हाेता है। इतना ही नहीं इसका सेवन करनेवालाें के संपर्क में रहनेवाले भी प्रभावित होते हैं। यानी, घर में यदि कोई सिगरेट का कश लेकर धुआं छोड़ता है, तो अन्य लोगों को भी नुकसान पहुंचता है। यह धुआं छोटे बच्चों के लिए तो काफी खतरनाक है। इसका पता 8-10 साल के बाद चलता है।
एएनएम और आशा को दी जाएगी ट्रेनिंग मरीज व परिजनों को करेंगी जागरूक
टाटा मेमोरियल कैंसर रिसर्च हॉस्पिटल मुंबई के तत्वावधान में मुजफ्फरपुर समेत पूरे उत्तर बिहार की सभी आशा व एएनएम को कैंसर मरीजों को जागरूक करने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा। इसके लिए व्यापक स्तर पर तैयारी चल रही है।
कैंसर एजुकेशन प्रोग्राम के तहत आशा व एएनएम अपने-अपने इलाके में जाकर कैंसर मरीजों की पहचान कर उन्हें इलाज के लिए अस्पताल पहुंचवाएगी। वहीं सदर अस्पताल, एसकेएमसीएच, पीएचसी, सीएचसी, एपीएचसी समेत निजी चिकित्सकों काे भी कैंसर की अत्याधुनिक जांच के तरीके बताए जाएंगे।
नल-जल और घर-घर शौचालय से कैंसर से हो सकेगा बचाव
डॉ. रविकांत ने बताया- शोध में यह पाया गया है कि जिन इलाकों में लोग शुद्ध पानी पीते और शौचालय का इस्तेमाल करते हैं, वहां कैंसर मरीजों की संख्या सामान्य से भी कम है। सरकार की नल-जल योजना के तहत यदि घर-घर शुद्ध पानी पहुंचा दिया जाता है और लोग इसका सदुपयोग करते हैं, तो कैंसर पर काफी हद तक काबू पाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि घर-घर शौचालय बनने से गंदगी भी कम होगी।
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