बीमार के लिए अस्पताल मंदिर और डॉक्टर भगवान होता है। सोचिए यदि भगवान हड़ताल पर चले जाएं तो क्या होगा। बुधवार को शहर के दो बड़े सरकारी अस्पतालो...

बीमार के लिए अस्पताल मंदिर और डॉक्टर भगवान होता है। सोचिए यदि भगवान हड़ताल पर चले जाएं तो क्या होगा। बुधवार को शहर के दो बड़े सरकारी अस्पतालों में यही हुआ। स्टाइपेंड बढ़ाने की मांग को लेकर पीएमसीएच और एनएमसीएच के जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर चले गए। यानी हमारे दर्द का सौदा शुरू हुआ।
अब जबतक उनके पैसे नहीं बढ़ेंगे मरीज या तो बेइलाज रहेंगे या फिर उनके इलाज का खर्चा बढ़ेगा। बुधवार को भी जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल की वजह से पीएमसीएच और एनएमसीएच में कई ऑपरेशन टले और दूर-दराज से आए मरीजों को डॉक्टरी सलाह नहीं मिली।
कोई 5000 रुपए में ऑटो बुक कर आया और उसे बैरंग लौटना पड़ा। तो जमुई का कोई पिता 10 दिनों से इस उम्मीद में था कि बुधवार को उसकी बेटी को वॉर्ड में भर्ती कर लिया जाएगा। अब उसे डर है कि बीमारी से पहले कहीं ठंड के कारण उसकी बेटी के साथ कोई अनहोनी न हो जाए। स्टाइपेंट कम या ज्यादा जूनियर डॉक्टरों को मिल ही जाएगी। लेकिन पश्चिम दरवाजा के उदय कुमार की पत्नी मीना देवी अब कभी उनके साथ नहीं रह पाएंगी। बुधवार को आईसीयू नहीं मिलने के कारण उनकी पत्नी की मौत हो गई।
इधर, पीएमसीएच में ओपीडी के बाहर दलालों की चांदी हो गयी। जो मरीज बाहर निकल रहे थे। उन्हें दलाल अपने झांसे में लेने की कोशिश करते दिखे। हड़ताल से वैसे मरीजों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। जो इमरजेंसी से लौट रहे थे। जिन्होंने एंबुलेंस लेना चाहा। उन्हें निजी एंबुलेंस वालों ने दोगुना किराया मांगा। साथ ही यह भी कहा कि डाक्टरों ने हड़ताल कर दिया है।
हड़ताल में कोई डाक्टर इलाज नहीं करेंगे। चलिए दूसरे जगह पर दिखवा देते है। एनएमसीएच में भी दस बजे के बाद रजिस्ट्रेशन काउंटर के मेन गेट बंद करा दिया गया। तबतक 553 नए मरीज एवं 187 पुराने मरीजों का रजिस्ट्रेशन हो गया था। लेकिन हड़ताल के कारण ओपीडी में इलाज तो दूर पहले से तय ऑपरेशन तक टालना पड़ा। इएनटी में एक व ऑर्थो में तीन, सर्जरी में भी एक ऑपरेशन होना था।
आंदोलन ठीक, लेकिन हमारी ‘मुस्कान’ का भी ख्याल रहे
12 से 17 किमी/घंटा की रफ्तार से चलने वाली तेज बर्फीली हवाओं के कारण पड़ रही कड़ाके की ठंड के बीच ओपीडी के सामने पन्नी (पॉलिथीन शीट) पर 10 दिनों से बेड की इंतजार में लेटी 14 वर्षीय मुस्कान। बेहतर इलाज के लिए जमुई हॉस्पिटल से रेफर की गई मुस्कान का पेट से लेकर सीने तक का ऑपरेशन हुआ है।
उसकी ड्रेसिंग ओपीडी के सामने सड़क पर ही पन्नी पर ही होती है। सीनियर डॉक्टर ने मुस्कान के पिता राजकुमार सिन्हा को 23 दिसंबर को बेड देने का आश्वासन दिया था। लेकिन, हड़ताल की वजह से एक बार फिर बेड नहीं मिल सका। मुस्कान के पिता राजकुमार का कहना है कि बीमारी की जगह ठंड से ही कोई अनहोनी न हो जाए।
हाजीपुर से प्रसव को आई थी प्रसूता, निजी अस्पताल में दिया बेटे को जन्म
हाजीपुर के अमरनाथ पत्नी को प्रसव कराने के लिए पीएमसीएच लेकर आए थे। पत्नी गूंजा लेबर पेन से छटपटा रही थी। यहां आने पर अमरनाथ को पता चला कि डॉक्टरों की हड़ताल है। पत्नी को भर्ती करने में देर हो रही थी और पत्नी लेबर पेन से परेशान हो रही है। कुछ समझ में नहीं आ रहा है। इनका आरोप था कि भर्ती करने से भी इंकार किया गया।
फिर सोचा यहां क्यों लेकर आए। इसी वजह से इसे वापस हाजीपुर लेकर जा रहे हैं। अमरनाथ की माने तो हाजीपुर के प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया। यहां गूंजा ने बेटे को जन्म दिया है। यदि पीएमसीएच में डिलेवरी हो जाता तो पैसा खर्च नहीं होता। बेवजह 40 किलोमीटर (अप-डाउन) दूरी तय करनी पड़ी और परेशानी अलग।
ऑटो रिजर्व कर सीवान से आए थे, बैरंग लौटे
सीवान के रहने वाले अजय कुमार के पैर में रॉड लगा है। सोमवार को ठोकर लगने के बाद पैर से खून रिसने लगा। सीवान से पीएमसीएच रेफर हुए। पांच हजार रुपए में ऑटो रिजर्व करके सीवान से पटना पहुंचे। अजय कुमार को उसी स्थिति में पहले ओपीडी से इमरजेंसी 105 रुम फिर 102 नंबर रुम में भेजा। जहां लगभग तीन घंटा बैठने के बाद भी डॉक्टर नहीं आए। वहां से सीओटी गए वहां भी न तो कोई डॉक्टर थे और न ही मेडिकल कर्मचारी। ऐसे में अजय कुमार फिर से उसी ऑटो से सीवान लौट गया।
पर्ची कटाई फिर डॉक्टर के चैंबर के पास मालूम चला हड़ताल है
हाजीपुर के रहने वाले राकेश कुमार के माइग्रेन की शिकायत थी। सुबह ही हाजीपुर से चले थे। लेकिन, महात्मा गांधी सेतु पर जाम होने की वजह से वे पटना पीएमसीएच में एक बजे पहुंचे। उन्होंने तत्काल ओपीडी की पर्ची कटवा करके डॉक्टर के चैंबर में पहुंच गए। फिर उन्हें मालूम चला की आज हड़ताल है।
डॉक्टर नहीं थे, भर्ती मरीज को परिजन लेकर गए निजी अस्पताल
जहानाबाद के रवींद्र कुमार अपने भतीजा मुकेश को मंगलवार को पीएमसीएच में भर्ती कराए थे। मुकेश दुर्घटना में घायल हो गया था। बुधवार को पता चला कि जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल शुरू हो गई तो वे प्राइवेट अस्पताल में लेकर जा रहे हैं। इनका कहना था कि कोई डॉक्टर देखने ही नहीं आया। फिर क्या करते।
टाटा वार्ड में भर्ती महिला की नहीं हो पाई जरूरी जांच
वहीं शिशु विभाग में भर्ती रजनीश कुमार के परिजन का कहना था कि रजनीश चमकी बुखार से पीड़ित है। सुबह से कोई डॉक्टर देखने के लिए नहीं आए थे। परिजन खुद बच्चे का बुखार माप रहे थे। दूसरी ओर सीवान की रहने वाली टाटा वार्ड भर्ती फूलमती देवी को कई तरह की जरूरी जांच लिखा गया है। जांच में अल्ट्रा सोनोग्राफी भी है।
इनका बेटा गौतम प्रसाद मां को स्ट्रेचर पर लेकर अल्ट्रासाउंड कराने के लिए ले गए। पर वहां बताया गया कि डॉक्टर हड़ताल पर हैं। गौतम को मां को फिर वापस लेकर टाटा वार्ड में लाना पड़ा। इसी तरह से जहानाबाद के उर्मिला देवी को भी अल्ट्रासोनोग्राफी जांच चिकित्सकों ने लिखा था। इनका बेटा शशिरंजन भी जांच कराने के लिए परेशान थे। विभाग में उन्हें बताया गया हड़ताल के कारण आज जांच संभव नहीं है।
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