नाटक हमारे समाज का न सिर्फ मनोरंजन करता है बल्कि मार्ग दर्शन भी करता है। समाज के उपेक्षित वर्ग को भी नाटककार अपने दृष्टि से मुख्य धारा में ...
नाटक हमारे समाज का न सिर्फ मनोरंजन करता है बल्कि मार्ग दर्शन भी करता है। समाज के उपेक्षित वर्ग को भी नाटककार अपने दृष्टि से मुख्य धारा में शामिल कर लेते हैं। जेबकतरा कभी भी समाज की नजरों में सम्मान का अधिकारी नहीं होता। मंटो ने अपने नाटक जेबकतरा के माध्यम से एक विमर्श खड़ा किया। इसी प्रकार के तथ्य को जेबकतरा नाटक के लेखक ने उकेरा है।
इस नाटक को रीबेल थियेटर के कलाकारों ने उज्जवल राज के निर्देशन में जीवंत किया। इस नाटक में पुष्पक, मेघा, राजेश, वारिधि और शील ने अपने अभिनय से दर्शकों का काफी मनोरंजन किया। नाटक का मंचन मैथिली साहित्य परिषद के परिसर में हुआ। इसके बाद शिवम पोद्दार, अमन और प्रीति ने अपना गायन प्रस्तुत किया।उसके बाद महेन्द्र मलंगिया रचित मैथिली नाटक छुतहा घैल नाटक का मंचन उसी मंच पर हुआ।
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