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सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम न्यायाधीश जस्टिस नूतलपति वेंकट रमण (एनवी रमना) को मंगलवार को देश का नया मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम न्यायाधीश जस्टिस नूतलपति वेंकट रमण (एनवी रमना) को मंगलवार को देश का नया मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया। यह नियुक...





सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम न्यायाधीश जस्टिस नूतलपति वेंकट रमण (एनवी रमना) को मंगलवार को देश का नया मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया। यह नियुक्ति वर्तमान मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे के स्थान पर की गई है। बोबडे 23 अप्रैल को सेवानिवृत्त होंगे। सरकार की ओर से जारी अधिसूचना के मुताबिक, जस्टिस रमण 24 अप्रैल को भारत के 48वें मुख्य न्यायाधीश के तौर पर प्रभार संभालेंगे। जस्टिस रमण 26 अगस्त, 2022 तक देश के मुख्य न्यायाधीश के पद पर रहेंगे। 


सरकार की अधिसूचना के मुताबिक, भारत के संविधान के अनुच्छेद 124 (2) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए राष्ट्रपति, उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश जस्टिस रमण को 24 अप्रैल 2021 से भारत का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त करते हैं। सूत्रों ने बताया कि परंपरा के मुताबिक प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पीके मिश्रा और कानून मंत्रालय में सचिव (न्याय) बरुण मित्रा ने राष्ट्रपति के हस्ताक्षर किया हुआ नियुक्ति पत्र मंगलवार सुबह जस्टिस रमण को सौंपा। मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बोबडे ने उनके बाद पद संभालने के लिए जस्टिस रमण के नाम की परंपरा और वरिष्ठता क्रम के अनुरूप हाल ही में सिफारिश की थी।


जस्टिस बोबडे की ओर से केंद्र सरकार को अनुशंसा उस दिन की गई थी, जब उच्चतम न्यायालय ने जस्टिस रमण के खिलाफ आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगनमोहन रेड्डी की शिकायत पर उचित तरीके से विचार करने के बाद खारिज करने के फैसले को सार्वजनिक किया था। नियम के अनुसार मौजूदा मुख्य न्यायाधीश अपनी सेवानिवृत्ति से एक महीने पहले एक लिखित पत्र भेजते हैं।


जस्टिस एनवी रमण ने कई महत्वपूर्ण मामले सुने 

जस्टिस एनवी रमण ने शीर्ष अदालत में कई हाई प्रोफाइल मामलों को सुना है। उनकी अगुवाई वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने पिछले साल मार्च में अनुच्छेद 370 के खिलाफ कई याचिकाओं को सात न्यायाधीशों की वृहद पीठ में भेजने से इनकार कर दिया था। दरअसल, अनुच्छेद 370 पर केंद्र सरकार के फैसले की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली कई याचिकाएं दायर की गई थीं। 


सीजेआई का पद 

जस्टिस एनवी रमण पांच न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ का हिस्सा थे, जिसने नवंबर 2019 में कहा था कि सीजेआई का पद सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत सार्वजनिक प्राधिकरण है। नवंबर 2019 के फैसले में शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि जनहित में सूचनाओं को उजागर करते हुए न्यायिक स्वतंत्रता को भी दिमाग में रखना होगा।


अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और इंटरनेट पर कारोबार करना संविधान के तहत संरक्षित 

एक अन्य महत्वपूर्ण फैसले में जस्टिस रमण की अध्यक्षता वाली पीठ ने पिछले साल जनवरी में फैसला दिया था कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और इंटरनेट पर कारोबार करना संविधान के तहत संरक्षित है। 


जम्मू-कश्मीर प्रशासन 

जम्मू-कश्मीर प्रशासन को प्रतिबंध के आदेशों की तत्काल समीक्षा करने का निर्देश दिया था। वह शीर्ष अदालत की पांच न्यायाधीशों वाली उस संविधान पीठ का भी हिस्सा रहे, जिसने 2016 में अरुणाचल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार को बहाल करने का आदेश दिया था।


फडणवीस को शक्ति परीक्षण का आदेश दिया था

नवंबर 2019 में उनकी अगुवाई वाली पीठ ने महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को सदन में बहुमत साबित करने के लिए शक्ति परीक्षण का आदेश दिया था। जस्टिस रमण की अध्यक्षता वाली पीठ ने उस याचिका पर भी सुनवाई की थी, जिसमें पूर्व एवं मौजूदा विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामलों के निस्तारण में अत्यधिक देरी का मुद्दा उठाया गया था।

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