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बिहार की चरमराती स्वास्थ्य सेवाओं और सुविधाओं के अभाव ने आपदा काल में देशभर में बिहार की छवि को धूमिल किया है।-मनोज कुमार सिंह

   अखिल भारतीय कांग्रेस के सदस्य सह जिला उपाध्यक्ष रोहतास जिला कांग्रेस के मनोज कुमार सिंह ने कही।   उन्होंने कहा कि नीतीश सरकार 30 वर्ष पुर...

 







 अखिल भारतीय कांग्रेस के सदस्य सह जिला उपाध्यक्ष रोहतास जिला कांग्रेस के मनोज कुमार सिंह ने कही।  

उन्होंने कहा कि नीतीश सरकार 30 वर्ष पुरानी कांग्रेस शासन काल में उपलब्ध स्वास्थ्य केंद्रों और सुविधाओं को ही सम्भाल के रख लेती तो अभी राज्य के ये हालात नहीं होते। 

राज्य में आबादी में हो रही बढ़ोत्तरी के अनुपात में स्वास्थ्य केंद्रों की संख्या में बढ़ोत्तरी की जानी चाहिए थी। 

लेकिन राज्य की मौजूदा सरकार ने इसे राम भरोसे अपने सहयोगी भाजपा को सौंप रखा है। 

मनोज सिंह ने कहा कि राज्य के ज्यादातर स्वास्थ्य केंद्रों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर ताले लटक रहें हैं। 

कहीं कहीं तो ये केंद्र पशु चारागाह और तबेलों के रूप में अपनी बदहाली का रोना रो रहें हैं। 

राज्य में दरभंगा मेडिकल कॉलेज को एम्स के तर्ज पर विकसित करने की घोषणा इनके ही सहयोगी केंद्र सरकार ने की थी लेकिन इन्होंने अब तक उसके लिए जमीन तक उपलब्ध नहीं कराया। 

2017-18 में राज्य के स्वास्थ्य बजट को लगभग दो गुना बढ़ाया गया। 

लेकिन अब तक उस बजट का सार्थक इस्तेमाल भी नहीं हो सका। 

बिहार की अजब स्वास्थ्य व्यवस्था के गजब नमूने।

हजारों स्वास्थ्य केंद्र जीर्ण-शीर्ण अवस्था में बंद पड़े है लेकिन कागजों में कार्यरत है। 

जो भवन ठीक स्थिति में है वो निजी लोगों को किराए पर दिए हुए है। 

दवा,उपकरण,डॉक्टर गायब है नर्सों की जगह उनके पति फर्ज़ी डॉक्टर बन डयूटी कर रहे है।

राज्य सरकार ने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों का भी आबादी के हिसाब से विस्तार नहीं किया। इसी प्रकार स्वास्थ्य कर्मियों और चिकित्सकों की बहाली पर भी कुंडली मारकर बैठी सरकार आपदा में निविदा और विज्ञापन निकाल रही है। 

राष्ट्रीय स्तर पर बिहार की छवि को धूमिल करने का काम जदयू-भाजपा सरकार ने किया। लगातार बिहार की आम जनता एक ओर स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में छटपटा रही है तो वहीं जदयू-भाजपा के नेतृत्व वाली नीतीश सरकार अपनी छवि चमकाने में व्यस्त नजर आ रही है। 

आईसीसी सदस्य मनोज सिंह ने कहा कि राज्य सरकार अब भी चेत जाएं और राज्य में कम से कम 30 वर्ष पुरानी कांग्रेस शासन काल की दी गयी स्वास्थ्य सुविधाओं को ही पुनः बहाल कर दें तो राज्य की जनता की जान बचाई जा सकेगी।

बिहार में संक्रमित मरीजों की संख्या में कमी की वजह कोई चिकित्सा या अस्पतालों का योगदान नही बल्कि लॉक डाउन एक बड़ी वजह है। 

जिसे अभी आगे भी जारी रखना उचित होगा।






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