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अभी केवल सेंट्रल विस्टा परियोजना के दो प्रोजेक्ट पर ही काम हो रहा है जिनको आजादी की 75 वीं सालगिरह के मौके पर 2022 तक पूरा करना है। -केंद्रीय आवासन एवं शहरी मामलों के मंत्री हरदीप पुरी

सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर विवाद के बीच केंद्रीय आवासन एवं शहरी मामलों के मंत्री हरदीप पुरी ने विपक्षी आरोपों को खारिज कर दिया है। उन्होंने...





सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर विवाद के बीच केंद्रीय आवासन एवं शहरी मामलों के मंत्री हरदीप पुरी ने विपक्षी आरोपों को खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा है कि इस परियोजना में महज 1300 करोड़ रुपए की परियोजनाओं पर ही काम हो रहा है। इनके ठेके 2019 में ही बुला लिये गये थे। इनमें लगभग 900 करोड़ों रुपए की लागत वाला नया संसद भवन और 400 करोड़ रुपए की लागत से विकसित होने वाला सेंट्रल विस्टा एवेन्यू शामिल है। पुरी ने कहा कि अगर परियोजना का काम रोका जाता है तो इससे सैकड़ों मजदूर और कर्मचारी प्रभावित होंगे।


हरदीप पुरी ने गुरुवार को वर्चुअल माध्यम से चुनिंदा पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि विपक्ष नए प्रधानमंत्री आवास को लेकर जो हो-हल्ला मचाया जा रहा है और जिसे मोदी महल का नाम दिया जा रहा है वह अभी कहीं है ही नहीं। अभी केवल सेंट्रल विस्टा परियोजना के दो प्रोजेक्ट पर ही काम हो रहा है जिनको आजादी की 75 वीं सालगिरह के मौके पर 2022 तक पूरा करना है। इसमें नया संसद भवन जिसकी लागत लगभग 900 करोड़ रुपये है और राजपथ की दोनों और विकसित होने वाला सेंट्रल विस्टा एवेन्यू जिसकी लागत लगभग 400 करोड रुपए पर ही काम जारी है। अभी तक केवल इन दोनों परियोजनाओं के ही ठेके हुए हैं। इसके अलावा केंद्रीय सचिवालय के लिए तीन भवनों के निर्माण के टेंडर की प्रक्रिया शुरू हुई है। 


उपराष्ट्रपति व प्रधानमंत्री आवास पर नहीं हो रहा है काम

पुरी ने कहा कि उपराष्ट्रपति व प्रधानमंत्री आवास विस्तृत सेंट्रल विस्टा परियोजना के हिस्सा हैं जिन पर बाद में काम होना है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री आवास किसी एक के नाम पर नहीं होता है 7 रेस कोर्स रोड (अब 7 लोक कल्याण मार्ग) में राजीव गांधी, मनमोहन सिंह, नरसिम्हा राव रह चुके हैं। नरेंद्र मोदी रह रहे हैं। यह इतना प्रधानमंत्री का अधिकृत आवास है। इसको कभी भी किसी के नाम पर महल का नाम नहीं दिया गया। कांग्रेस केवल राजनीति कर रही है। 



मीरा कुमार ने शुरू करवाया था नए संसद भवन का परियोजना का काम: पुरी

पुरी ने कहा कि नए संसद भवन का परियोजना का काम 2012 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार के समय लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने शुरू करवाया था। उन्होंने कहा कि संसद भवन ब्रिटिश काल में बना था और उस समय आजाद भारत की कल्पना ही नहीं थी। तब यह पूरा वायसराय के नियंत्रण में था, जबकि आजादी के बाद यह पूरा क्षेत्र सार्वजनिक हो गया है। ऐसे में आजाद भारत की सरकार के हिसाब से भवनों का निर्माण किया जाना है। इसमें भी हेरिटेज भवन संसद भवन, नॉर्थ ब्लॉक, साउथ ब्लॉक और  नेशनल आर्काइव को जैसे का तैसा ही रहने दिया जाएगा।


दोनों परियोजनाओं में 1600 मजदूर कर रहे काम

पुरी ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि इन दोनों परियोजनाओं में 1600 मजदूर सीधे तौर पर काम कर रहे हैं, जबकि 1250 मजदूर बाहर से जुड़े हुए हैं। इसके अलावा जिन एजेंसियों से सामान आ रहा है उनसे भी सैकड़ों मजदूर कर्मचारी जुड़े हुए हैं। ऐसे में काम बंद करने पर वे सब प्रभावित होंगे। जो मजदूर अभी एक जगह रुके हुए हैं वह वापस अपने घरों की तरफ जा सकते हैं। जबकि यहां पर उनको एक तरह का बायो बबल बनाकर पूरी तरह सुरक्षित रखा जा रहा है।



पुरी ने कहा कि दिल्ली शहर में ही 18 और जगह पर निर्माण कार्य चल रहा है लेकिन सेंट्रल विस्टा को ही विपक्ष निशाना बना रहा है, क्योंकि उसे इसके जरिए मोदी सरकार के खिलाफ राजनीति करनी है। मजदूरों से और खर्चे से उसका कोई लेना-देना नहीं है।

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