भोपाल घूसखोरी कांड में एफसीआई के लोगों से सीबीआई की पूछताछ जारी है। शुक्रवार को भोपाल से सीबीआई ने एक निजी सुरक्षा एजेंसी की शिकायत पर का...

भोपाल घूसखोरी कांड में एफसीआई के लोगों से सीबीआई की पूछताछ जारी है। शुक्रवार को भोपाल से सीबीआई ने एक निजी सुरक्षा एजेंसी की शिकायत पर कार्रवाई की थी। कार्रवाई के दौरान एफसीआई के चार लोगों की गिरफ्तारी हुई थी, इसमें एक डिविजनल मैनेजर भी शामिल है। शनिवार को एफसीआई क्लर्क के घर पर सीबीआई ने छापेमारी की है। सीबीआई को कार्रवाई के दौरान क्लर्क के घर से 3.01 करोड़ नगद, 387 ग्राम सोना और 600 ग्राम चांदी मिले हैं। निजी सुरक्षा एजेंसी ने सीबीआई में शिकायत की थी कि 11 लाख रुपये का बिल पास करने के लिए एफसीआई के लोग रिश्वत की मांग कर रहे हैं। इसकी जांच के बाद इन लोगों को गिरफ्तार किया गया था। गिरफ्तारी के बाद शनिवार को एफसीआई क्लर्क किशोर मीणा के घर पुलिस जांच के लिए पहुंची थी। घर में उसने लॉकर बनवा रखा था। लॉकर को खोला गया तो उसके घर से ये सारी चीजें बरामद हुई हैं। इसके साथ ही नोट गिनने वाली मशीन भी मिली है। एक डायरी भी मिली है, जिसमें घूसखोरी का पूरा हिसाब है। दरअसल, सीबीआई ने गुरुग्राम बेस्ड सिक्योरिटी एजेंसी की शिकायत पर कार्रवाई की है। सीबीआई ने एफसीआई से डिविजनल मैनेजर हरीश प्रकाश हिनायना, अकाउंट मैनेजर अरुण श्रीवास्तव, सिक्योरिटी मैनेजर मोहन पराते और क्लर्क किशोर मीणा को गिरफ्तार किया है। डिविजनल मैनेजर हरीश प्रकाश हिनायना भोपाल में 2020 में ट्रांसफर होकर आया है। क्लर्क मीणा उसका खास सहयोगी है। दोनों राजस्थान के रहने वाले हैं। जांच के दौरान इनके खाते से एक करोड़ रुपये की लेनदेन की बात भी सामने आई है। आयकर विभाग को दी गई जानकारी सीबीआई ने कोर्ट में पेशी के बाद आरोपियों को दो जून तक के लिए रिमांड पर ले लिया है। क्लर्क ने पूछताछ में बताया है कि सारे रुपये डिविजनल मैनेजर के हैं। उसे सिर्फ इसमें हिस्सा मिलता था। मामले की जांच के लिए सीबीआई ने आयकर विभाग को भी सूचना दी है। आयकर विभाग भी इनकी कमाई और निवेश की जांच करेगी। दरअसल, गुरुग्राम की सिक्योरिटी एजेंसी को जनवरी में एफसीआई गोदाम की सुरक्षा के लिए कॉन्ट्रैक्ट मिला था। इसके बदले में हर महीने 11.30 लाख रुपये का भुगतान होना था। सीबीआई के अधिकारियों ने बताया कि एफसीआई का अकाउंट मैनेजर हर बिल के लिए 10 फीसदी कमीशन की मांग कर रहा था। इस हिसाब से हर महीने एक लाख 30 हजार रुपये का कमीशन चाहिए था। सिक्योरिटी एजेंसी ने जब कमीशन देने से इनकार कर दिया, तब अकाउंट मैनेजर ने परेशान करना शुरू कर दिया और उसके पैसे काटने शुरू कर दिए। सिक्योरिटी कंपनी के लोगों ने एफसीआई के मैनेजर को समझाया कि हमलोग कमीशन देने के लिए मजबूर नहीं हैं। उसके बाद सिक्योरिटी कंपनी के सीनियर अधिकारियों ने गुरुग्राम से अकाउंट मैनेजर से बात की है। इस पर उसने कहा कि पुराने सभी बिलों के लिए 50 हजार और नए बिल के लिए 70 हजार रुपये लेंगे। उसके बाद कंपनी के लोगों ने सीबीआई से संपर्क कर रिपोर्ट दर्ज करवाई। उसके बाद सीबीआई ने दो लोगों को रंगेहाथों रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया है। पूछताछ में दोनों ने बताया कि हमलोग डिविजनल मैनेजर के लिए रुपये ले रहे थे। सीबीआई को उम्मीद है कि पूछताछ के दौरान और भी खुलासे होंगे।
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