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राजस्थान में एक बार फिर से सियासी संकट की सुगबुगाहट ? सवाल - जबाब एक नज़र

  आलेख निजी अबलोकन : कांग्रेस के भीतर फिर से शुरू हो रही सिर फुटव्वल पर पार्टी आलाकमान की भी निगाहें हैं। यही वजह है कि हाईकमान ने दो टूक शब...

 



आलेख निजी अबलोकन :

कांग्रेस के भीतर फिर से शुरू हो रही सिर फुटव्वल पर पार्टी आलाकमान की भी निगाहें हैं। यही वजह है कि हाईकमान ने दो टूक शब्दों में सचिन पायलट खेमे को स्पष्ट संदेश देने की कोशिश की है। कांग्रेस के दिग्गज नेता और राजस्थान प्रभारी अजय माकन ने एनबीटी से खास बातचीत में कहा कि पार्टी किसी की उम्मीद के हिसाब से फैसला नहीं करती। सचिन पायलट पार्टी के लिए एक ऐसेट हैं। वह हमारे स्टार कैंपेनर हैं। राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बनाने में उनका बड़ा योगदान है। आने वाले दिनों में पार्टी इन सब चीजों को ध्यान में रखकर ही उन्हें भूमिका सौंपेगी।

जब हेमाराम चौधरी जैसे दिग्गज नेता ने विधायकी छोड़ दिया। सचिन पायलट के करीबी माने जाने वाले हेमाराम के इस फैसले के बाद अब पायलट कैंप के करीब चार विधायक भी ताल ठोकने लगे हैं। इनमें चाकसू से कांग्रेस विधायक वेद प्रकाश सोलंकी ने आवाज बुलंद की है। उन्होंने कहा कि हमारी मांग पर ध्यान नहीं दिया गया तो हमें भी इस्तीफा देना होगा।


एक समाचार के अनुसार पार्टी को राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत पर पूरा भरोसा है। उन्होंने कहा कि राजस्थान के लोग कांग्रेस के साथ खड़े हैं। पिछले दिनों ही राजस्थान में तीन सीटों पर विधानसभा के उपचुनाव हुए, जिनमें कांग्रेस को 51 फीसदी वोट मिले थे, जो आज तक के इतिहास में सबसे ज्यादा है। तीन सीटों में से दो सीट हम जीते और एक पर हारे।


 गहलोत और सचिन पायलट के बीच जारी उठापटक के सवाल पर अजय माकन ने कहा कि इस सबके बावजूद अगर कांग्रेस पार्टी ने विधानसभा उपचुनावों और स्थानीय निकायों के चुनाव में बेहतर प्रदर्शन किया है। इसका मतलब साफ है कि लोग कांग्रेस सरकार के कामकाज को पसंद कर रहे हैं। स्थानीय निकाय और विधानसभा उपचुनावों में कांग्रेस को मिले वोट प्रतिशत को देखा जाए, तो 2018 विधानसभा चुनाव की तुलना में 10 फीसदी और 2019 के लोकसभा चुनावों की तुलना में 23 फीसदी ज्यादा वोट मिले। कांग्रेस विधायक के इस्तीफे पर उन्होंने कहा कि वह पार्टी का आंतरिक मामला है, जिसे हम आपस में बैठ कर सुलझा लेंगे।


एक समाचार पत्र की राय में,  सचिन पायलट खेमे को सीधे तौर पर इशारा कर दिया गया है। एक तरह से ये बताने की कोशिश की गई है कि पार्टी का भरोसा अशोक गहलोत पर कायम है। साथ ही पार्टी सचिन पायलट को एसेट मानती है। यही वजह है कि आने वाले दिनों में पार्टी इन सब चीजों को ध्यान में रखकर ही उन्हें नई भूमिका सौंपेगी।


वहीं सचिन पायलट गुट के विधायकों का कहना है कि सालभर पहले जिन बातों को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के प्रति नाराजगी जाहिर की गई थी उसे अबतक नहीं दूर किया गया है। हेमाराम चौधरी ने कहा कि अशोक गहलोत पार्टी कार्यकर्ताओं को परेशान कर रहे हैं। अगर उन्हें किसी नेता से दिक्कत है तो वह उससे बात करें ना कि वह पार्टी कार्यकर्ताओं को परेशान करें। पायलट गुट का कहना है कि करीब एक साल का वक्त गुजर चुका है लेकिन अशोक गहलोत ने अभी तक मंत्रिमंडल विस्तार नहीं किया है। सचिन पायलट को भी कैबिनेट में शामिल नहीं किया गया है।


पायलट गुट का यह भी कहना है कि अशोक गहलोत लगातार पायलट गुट के विधायकों के साथ दोहरा बर्ताव कर रहे हैं। यही वजह है कि अब हेमाराम चौधरी के बाद पायलट गुट के चार विधायक इसी राह पर चलने की तैयारी कर रहे हैं। हालांकि, पार्टी नेतृत्व ने इसे अंदरूनी मामला बताते हुए बातचीत से सुलझाने की बात कही है। आलाकमान के इस रवैये के बाद अब सचिन पायलट की आगे क्या रणनीति होगी इस पर सभी की निगाहें रहेंगी।

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