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15 से 25 लाख तक कीमत... 'विकी डोनर' की घर वापसी को लेकर महाराष्ट्र में इतनी हलचल क्यों?

पुणे महाराष्ट्र सरकार ने दूध उत्पादन, डेयरी विकास और गायों की अच्छी नस्ल प्राप्ति के उद्देश्य से गिर नस्ल के बैलों और सीमेन को मंगवाने का...

पुणे महाराष्ट्र सरकार ने दूध उत्पादन, डेयरी विकास और गायों की अच्छी नस्ल प्राप्ति के उद्देश्य से गिर नस्ल के बैलों और सीमेन को मंगवाने का फैसला किया है। प्रदेश के डेयरी विकास मंत्री सुनील केदार ने इस बात की जानकारी देते हुए बताया कि ऐसा करने वाला देश का पहला राज्य होगा। महाराष्ट्र सरकार ने ब्राजील से 4 गिर बैल, जमे हुए सीमेन की एक हजार डोज को मंगवाने की तैयारी की है। पुणे, नागपुर और औरंगाबाद स्थित राज्य की 3 लैब में इन्हें पहुंचाया जाएगा। राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत तैयार की जा रही योजना केंद्र सरकार की हरी झंडी के बाद शुरू हो सकेगी। एक बैल की कीमत 15 से लेकर 25 लाख रुपये तक की है। भारतीय गिर गाय जहां एक दिन में 6 से 8 लीटर दूध देती है। वहीं ब्राजील की गिर नस्ल की गाय के एक दिन में दूध उत्पादन की क्षमता 35 से 40 लीटर तक की है। जर्सी गायों के दूध उत्पादन की क्षमता भी बेहतर है लेकिन विदेशी नस्ल होने की वजह से देखरेख का अधिक खर्च और बीमारियों से बचाव भी जरूरी होता है। वहीं गिर गाय भारतीय नस्ल की होनने की वजह से यहां के माहौल के अनुसार ढल जाती हैं। इस मामले में दिलचस्प बात तो यह है कि ये बैल, जिनका वीर्य डोज़ ब्राजील से आयात किया जा रहा है, ये उन्हीं बैलों के वंशज हैं जिन्हें भावनगर के महाराजा ने कई दशक पहले सदभावना के तौर पर ब्रजील को अपहार में दे दिया था। जर्सी गायों के प्रति लोगों की बढ़ती पसंद और अंधाधुंध दुग्ध उत्पादन के लिए किए गए प्रयासों के कारण सीमित गिर गायें बची हैं। वहीं दूसरी ओर, ब्राजील ने इन दुधारू नस्लों की गायों के संरक्षण के लिए प्रयास किए और अब उसके पास गिर गायों और बैलों की अच्छी आबादी है।


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