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एडिडास जैकेट, कश्मीरी प्रेमिका और टूटा मोबाइल... 3 चीजों से पुलवामा मास्टरमाइंड बेनकाब

नीलम राज, श्रीनगर पुलवामा हमले को छह महीने बीत चुके थे। जम्मू-कश्मीर में नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) के हेड राकेश बलवाल को जांच का जि...

नीलम राज, श्रीनगर पुलवामा हमले को छह महीने बीत चुके थे। जम्मू-कश्मीर में नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) के हेड राकेश बलवाल को जांच का जिम्मा सौंपा गया था। इन सबके बीच खुफिया एजेंसियों को हमले के मास्टरमाइंड मसूद अजहर के भतीजे उमर फारूक का कोई सुराग नहीं मिल रहा था। यह नहीं साफ हो रहा था कि उमर कश्मीर के अंदर है या फिर हमले के एक महीने बाद हुए एनकाउंटर में मार दिया गया। बताते चलें कि 14 फरवरी 2019 को 40 सीआरपीएफ जवान पुलवामा आतंकी हमले में शहीद हुए थे। तो एनआईए आखिर कैसे पुलवामा के मास्टरमाइंड तक पहुंची? इसकी दिलचस्प कहानी है। उमर फारूक को दो चीजों से प्यार था- स्पोर्ट्स वियर और एक कश्मीरी युवती। लेखक और पत्रकार राहुल पंडित की एक तस्वीर ने पुलवामा की साजिश के सच से पर्दा उठाने में अहम भूमिका निभाई। पंडित ने केस की जांच कर रहे एनआईए और जम्मू-कश्मीर पुलिस के कई अफसरों का इंटरव्यू किया था। एनआईए अफसर बलवाल ने पंडित को इसी दौरान बताया कि मार्च में मारे गए दो आतंकियों की तस्वीर देखते हुए उन्हें महसूस हुआ कि एडिडास के कपड़ों में बच्चे जैसी शक्ल वाला शख्स कोई साधारण आदमी नहीं है। पुलिस ने उन्हें बताया कि तस्वीर में दिख रहा युवक इदरीस भाई है। बलवाल को पुलिस ने यह भी बताया था कि आईफोन और सैमसंग के दो मोबाइल जब्त किए गए हैं। लेकिन दोनों फोन टूटे हुए हैं, इसलिए किसी काम के नहीं हैं। बलवाल को लगा कि इन फोन से कुछ अहम सुराग मिल सकते हैं। कश्मीर आईजी के विदाई समारोह के मौके पर उन्होंने दोनों मोबाइल को इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम (CERT-In) को भेजा जाए। इसके एक हफ्ते बाद बलवाल के फोन की घंटी बजी। यह CERT-In के एक एक्सपर्ट का फोन था। फोन पर आवाज आई, 'सर हमने एक जैकपॉट हिट किया है।' यह वाकई जैकपॉट था। मोबाइल में मौजूद 100 जीबी डेटा में तीन लोगों की सेल्फी थी। इनमें से एक शख्स की बलवाल ने इदरीस भाई के रूप में शिनाख्त की और दूसरा पुलवामा बॉम्बर आदिल डार था। इदरीस भाई के फोन में मौजूद एक और फोटो में एनआईए के जांच अफसरों ने ऐमजॉन का एक पैकेज नोटिस किया। उन्होंने कंसाइनमेंट नंबर को कंपनी के पास भेजा, जिसके बाद पता चला कि इसे वैज-उल-इस्लाम नाम के शख्स ने भेजा था। अपने पांच लेनदेन में उसने एलुमिनियम पाउडर, बैटरी, चार्जर, चाकू और 13 जोड़ी जूते ऑर्डर किए थे। राहुल पंडित की किताब में बताया गया है कि मसूद अजहर के भाई और जैश के ऑपरेशनल हेड रऊफ असगर ने उमर को पुलवामा में हमले के बाद अपना फोन नष्ट करने के निर्देश दिए थे। लेकिन ऐसा करने की बजाए उसने एक दूसरे टूटे हुए फोन की तस्वीर अपने चाचा को भेज दी। उसने सोचा कि ऐसा करके निर्देश का पालन हो गया है। पंडित कहते हैं कि अगर उमर ने यह गलती नहीं की होती तो पुलवामा हमले की साजिश में मसूद अजहर और उसके भाइयों की भूमिका को साबित कर पाना बहुत कठिन होता।


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