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Bihar Coronavirus :जब कोरोना के सामने ढाल की तरह खड़ी हो गई बिहार की युवा शक्ति, जानिए कैसे यंग बिहार ने लोगों को बचाया महामारी से

पटना: कोरोना ने बिहार में करीब दस हजार लोगों की जान ले ली है। इसमें सबसे ज्यादा लोगों की मौत दूसरी लहर में हुई। लेकिन इसी लहर में राज्य न...

पटना: कोरोना ने बिहार में करीब दस हजार लोगों की जान ले ली है। इसमें सबसे ज्यादा लोगों की मौत दूसरी लहर में हुई। लेकिन इसी लहर में राज्य ने युवा शक्ति को भी महसूस किया। यंग बिहार ने कोरोना की दूसरी लहर में जिस तरह से खुद को लोगों की मदद में झोंक दिया, उसकी जितनी तारीफ की जाए उतनी कम है। यूं कहें कि दूसरी लहर से सामने यंग बिहार ढाल की तरह आ खड़ा हुआ। युवाओं ने सोशल मीडिया का किया बेहतर इस्तेमालमार्च के बाद से ही सोशल मीडिया पर अस्पताल में बेड, ऑक्सिजन सिलेंडर, कॉन्सेंट्रेटर, रक्तदाताओं, रेमेडिसविर जैसी आवश्यक दवाओं के साथ-साथ भोजन वितरण के अनुरोधों की जानकारी की बाढ़ आ गई थी। लेकिन बिहार के युवा कोरोना योद्धा कोरोना की दूसरी लहर में महामारी के सामने ढाल की तरह आ खड़े हुए। दिल्ली में गुहार लगाई तो बिहार में पहुंची मददबिहार की रहनेवाली नुशाक सबा दिल्ली में थीं। पटना में उनके परिवार और रिश्तेदारों में कुल 10 लोग मार्च 2021 में संक्रमण का शिकार हो गए। इनमें से उनकी मां को ऑक्सिजन सपोर्ट की सख्त जरूरत थी। कहीं से कोई रास्ता न देख उन्होंने सोशल मीडिया का सहारा लिया और बिहार के युवाओं ने कमाल कर दिया। उनका संदेश फैल गया और एक एनजीओ तक पहुंच गया, जो इसके लिए काम कर रहा था। उस NGO ने अपने खर्च पर एक ऑक्सिजन सिलेंडर की व्यवस्था की, यहां तक कि नुशाक की मां के सारे टेस्ट तक करवाए और परिवार के लिए दवाओं तक की व्यवस्था करने में मदद की। राजेंद्र नगर के एक व्यवसायी, विनीत मिश्रा, जो उसी एनजीओ के लिए काम करते हैं, जिसने नुशाक के परिवार की मदद की। उन्होंने कहा 'जब हमारे पास मदद की गुहार का आंबार लगने लगा तो हमने 23 अप्रैल को एक हेल्पलाइन शुरू की। बिस्तर और चिकित्सा आपूर्ति की व्यवस्था के अलावा, हमने हाल ही में लगभग 100 परिवारों को राशन वितरित किया है। हमने ब्लैक फंगस वाले अस्पतालों को 'एंटीफंगल इंजेक्शन' उपलब्ध कराने के लिए विभिन्न डीलरों के साथ करार तक किया है।' पटना वीमेंस कॉलेज स्टूडेंट यूनियन भी आया आगे पटना वीमेंस कॉलेज की स्टूडेंट यूनियन ने अप्रैल से अपने पूर्व छात्रों की मदद से कोरोना के बचाव के लिए सभी जरूरी सामान बांटने शुरू कर दिए। सीडब्ल्यूसी निकाय की महासचिव रिया पुष्कर ने कहा 'हम सोशल मीडिया पर उपलब्ध सभी लीड्स को इकट्ठा करते हैं, व्यक्तिगत रूप से उनका सत्यापन करते हैं और प्रामाणिक लीड को वायरल भी करते हैं ताकि पीड़ितों को जल्द से जल्द मदद मिले। हमने रोज के हिसाब से आईसीयू बेड, आवश्यक दवा, प्लाज्मा डोनर और भोजन वितरण की जानकारी की व्यवस्था की।' युवा सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने भी कई लोगों तक पहुंचाई मदद फुलवारीशरीफ में रहने वाले सॉफ्टवेयर इंजीनियर मोहम्मद साकिब नेजामी ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर कोविड मरीजों और आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को राहत पहुंचाने का काम किया है। वो कहते हैं कि'हमने मुफ्त दवा और ऑक्सिजन सिलेंडर उपलब्ध कराने के लिए दोस्तों और रिश्तेदारों से लगभग 2.5 लाख रुपये की क्राउडफंडिंग की। लॉकडाउन के दौरान राशन वितरण और अन्य राहत कार्यों के लिए, हमने लगभग 1.5 लाख रुपये की राशि इकट्ठी की। इस दौरान ही हमने थैलेसीमिया और जॉन्डिस से पीड़ित दो बच्चों के लिए B पॉजिटिव और AB पॉजिटिव डोनर तक का इंतजाम किया।'


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