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Bihar Politics : तेजस्वी कहां से लाए 17 का आंकड़ा ? नीतीश परेशान नहीं तो कुशवाहा बेचैन क्यों?

पटना: सियासत में शिकस्त की कसक बेहद टीस देने वाली होती है। वो भी खासकर तब जब आप मामूली अंतर से चुनाव हार जाएं। बिहार चुनाव 2020 में भी कु...

पटना: सियासत में शिकस्त की कसक बेहद टीस देने वाली होती है। वो भी खासकर तब जब आप मामूली अंतर से चुनाव हार जाएं। बिहार चुनाव 2020 में भी कुछ ऐसा ही हुआ, तेजस्वी की अगुवाई में RJD सरकार बनाते-बनाते रह गई। लेकिन अब तेजस्वी अचानक दावा कर रहे हैं कि नीतीश सरकार जल्द गिर जाएगी। इस पर नीतीश परेशान नहीं हैं लेकिन उपेंद्र कुशवाहा जबरदस्त बेचैन दिख रहे हैं। सवाल यही है कि आखिर इसकी वजह क्या है? तेजस्वी का राघोपुर में बयानतेजस्‍वी यादव काफी दिनों बाद दिल्ली से पटना लौटे और इसके बाद इसी शुक्रवार को वो अपने विधानसभा क्षेत्र राघोपुर पहुंचे। यहां लोगों से बातचीत के दौरान तेजस्वी यादव ने बड़ा दावा कर दिया। उन्होंने कहा कि 'चिंता मत कीजिए, नीतीश सरकार दो से तीन महीने में गिर जाएगी।' तेजस्वी के इसी बयान के बाद सियासी माहौल गरम हो गया। उपेंद्र कुशवाहा ने संभाला मोर्चा तेजस्वी के इस बयान के आते ही पूर्व केंद्रीय मंत्री और जेडीयू नेता उपेंद्र कुशवाहा एक्टिव हो गए। लगे हाथ पलटवार किया और कहा कि बिहार में एनडीए की सरकार अगले पांच साल तक चलेगी। यही नहीं उन्होंने दावा किया कि आरजेडी के ही कई विधायक उनके संपर्क में हैं। कुशवाहा ने तेजस्वी यादव के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि बिहार के लोगों ने एनडीए को और नीतीश कुमार के नेतृत्व को मैंडेट दिया है। अगले पांच साल तक एनडीए सरकार को कोई ताकत नहीं गिरा सकती। उन्होंने यह भी कहा कि आरजेडी के कई विधायक उनके संपर्क में हैं। हालांकि, इससे ज्यादा उन्होंने किसी भी खुलासा से इनकार करते हुए कहा कि समय आने पर सभी लोग देखेंगे। RCP भी कूद गए मैदान में इसके बाद आरसीपी सिंह भी मैदान में कूद गए। आरसीपी सिंह ने कहा कि 'तेजस्वी विपक्ष के नेता हैं, वो अपने एजेंडे के साथ जनता के बीच जाएं। अब वो उम्मीद कर रहे हैं कि सरकार गिर जाएगी। अब आप समझ सकते हैं कि अभी आम का सीजन है और आम एक माह में समाप्त भी हो जाएगा। अगर आप कार्तिक माह में पेड़ से आम गिरने की उम्मीद करें तो ये हास्यास्पद है क्योंकि आम अपने सीजन में ही होगा। लोकतंत्र में बहुमत का सीजन चुनाव के समय होता है और अब चुनाव समाप्त हो चुका है। 2024 में लोकसभा चुनाव आएगा, 2025 में विधानसभा चुनाव आएगा तो उन्हें इसकी तैयारी करनी चाहिए।' तेजस्वी कहां से लाए 17 का आंकड़ा? यहां ये जानना भी दिलचस्प है कि तेजस्वी आखिर महागठबंधन सरकार बनाने के लिए 17 के आंकड़े के भरोसे क्यों हैं? दरअसल ये 17 का आंकड़ा वो सीटें हैं जिनपर महागठबंधन के उम्मीदवार बेहद मामूली अंतर से चुनाव हार गए। तेजस्वी इन सीटों के परिणाम को कोर्ट ले जाने की तैयारी में हैं। तेजस्वी के मुताबिक उन्हें पूरा शक है कि इन 17 सीटों पर महागठबंधन उम्मीदवारों को साजिश करके हराया गया। ये अलग बात है कि NDA के वैसे 18 उम्मीदवार थे जो बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में महागठबंधन उम्मीदवारों की तरह ही बेहद कम अंतर से हारे। कुशवाहा की बेचैनी की वजह क्या? अब सवाल उठता है कि उपेंद्र कुशवाहा नीतीश सरकार गिरने की बात पर इतने बेचैन क्यों हैं? दरअसल ये डर जीतनराम मांझी और मुकेश सहनी की चार-चार सीटों का है। इन्हीं आठ सीटों के पाला बदलने की आस खुद RJD सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को भी है। लेकिन फिलहाल ऐसी कोई संभावना नहीं दिख रही। दूसरी तरफ हाल ही में उपेंद्र कुशवाहा की नीतीश कुमार के साथ दोस्ती हुई है। अब दोस्ती का कर्ज भी तो चुकाना है, इसलिए विरोधी पर पहले हमला बोल कर कुशवाहा अपनी वफादारी भी साबित करने की जुगत में हैं।


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