जयपुर राजस्थान की फोन टैपिंग को लेकर हो रही सियासत में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने बड़ा बयान दिया है। शेखावत ने कां...

जयपुर राजस्थान की फोन टैपिंग को लेकर हो रही सियासत में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने बड़ा बयान दिया है। शेखावत ने कांग्रेस के मुख्य सचेतक महेश जोशी के चैलेंज को स्वीकार करते हुए अपना वॉयस सैंपल राजस्थान के किसी भी जिले की पुलिस को देने की हामी भर दी है। भीलवाड़ा के एक कार्यक्रम में पहुंचे शेखावत ने कहा कि राजस्थान के किसी जिले की पुलिस अगर मुझसे पूछताछ करना या वॉयस सैंपल लेना चाहती है तो मैं सहर्ष तैयार हूं। लेकिन इस दौरान उन्होंने यह भी कह दिया कि अगर फोन टैपिंग मामले की सही जांच हो जाए तो राजस्थान की सरकार का गिरना तय है। शेखावत ने याद दिलाया इतिहास अपने बयान के दौरान जहां शेखावत ने वॉयस सैंपल देने के तैयार होने की बात कही। वहीं वो बार-बार इस बात पर दावा भी जोर-शोर करते रहे कि जैसे पूर्व में फोन टैपिंग मामले में देश- विदेश में सरकार गिरी है। उसी तरह सही जांच हुई, तो गहलोत सरकार का भी जाना तय है। उन्होंने इशारों- इशारों में अमेरिका की रिचर्ड निक्सन सरकार और कर्नाटक की रामकृष्ण हेगड़े की सरकार का हश्र फोन टैपिंग मामले में गहलोत सरकार को याद दिलाया। शेखावत ने कहा कि 'महेश जोशी कानून के ज्ञाता हैं और वो इस बात को अच्छी तरह से जानते हैं कि अगर इसकी निष्पक्ष जांच हुई तो निश्चित रूप से राजस्थान की सरकार का दोष सिद्ध होगा और राजस्थान की अशोक गहलोत साहब की सरकार को जाना ही पड़ेगा।' फोन टैपिंग में कैसे गिरी थी निक्सन सरकार ध्यान रहे कि 1969 में रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार के रिचर्ड निक्सन अमेरिकी राष्ट्रपति बने, लगभग ढाई साल तक वहां सब अच्छा चला। लेकिन जब दोबारा चुनाव हुए, तो निक्सन ने अपनी तैयारियों के साथ यह भी जानने की कोशिश की कि उनकी प्रतिद्वंदी डेमोक्रेटिक पार्टी क्या तैयारी कैसी चल रही है। लिहाजा उन्होंने डेमोक्रेटिक पार्टी के ऑफिस "वॉटरगेट" की जासूसी का काम कुछ लोगों को सौंपा। बताया जाता है कि जासूसों ने उस कॉम्पलैक्स में रिकॉर्डिंग डिवाइस लगा दी, ताकि वहां उन लोगों की सारी बात सुनी जा सके। लेकिन कुछ समय बाद अचानक रिकॉर्डिंग डिवाइस ने काम करना बंद कर दिया। लिहाजा जासूस रिकॉर्डिंग डिवाइस को ठीक करने के लिए जब दोबारा बिल्डिंग में घुसे, तो यहां उन्हें पुलिस ने पकड़ लिया। इसके बाद इस मामले में लगातार खुलासे हुए। जांच हुई, तो पूरे मामले में निक्सन का नाम भी सामने आ गया और एक- एक करके कई इस्तीफे हुए। यहां तक की निक्सन सरकार को भी जाना पड़ा। दूसरों की बातें सुनने के लिए देना पड़ा था कर्नाटक के सीएम हेगड़े को इस्तीफा मामला वर्ष 1988 का है। कर्नाटक में रामकृष्ण हेगड़े की सरकार थी। इसी दौरान फोन टैपिंग का मामला सामने आया, जिसके कारण मुख्यमंत्री रामकृष्ण हेगड़े ने इस्तीफा दे दिया था। मामला यह था कि तब हेगड़े की सरकार के समय डीजीपी ने 50 से अधिक नेताओं और मंत्रियों के फोन टेप कराने के आदेश दिए थे। असल में तब केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी और तब राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे। गांधी बोफोर्स मामले में विपक्ष से घिरे हुए थे। तब जनता पार्टी की हेगड़े की सरकार के खिलाफ केंद्र को जांच का मौका मिल गया। इस तरह के दबाव में आकर फोन टैपिंग के इस चर्चित मामले में इस्तीफा देना पड़ा था।
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