लखनऊ लखनऊ के रहने वाले एक व्यक्ति ने आरोप लगाया है कि कोविशील्ड की पहली डोज लगवाने के बाद भी उनके शरीर में ऐंटीबॉडी डिवेलप नहीं हुईं। आशि...

लखनऊ लखनऊ के रहने वाले एक व्यक्ति ने आरोप लगाया है कि कोविशील्ड की पहली डोज लगवाने के बाद भी उनके शरीर में ऐंटीबॉडी डिवेलप नहीं हुईं। आशियाना निवासी प्रताप चंद्र गुप्ता ने कहा कि यह लोगों के साथ धोखा है, इसलिए इसे तैयार करने वाली कंपनी और उसे मंजूरी देने वाली संस्थानों के जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। इस शख्स ने कोविशील्ड वैक्सीन बनाने वाली सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया और उसे मंजूरी देने वाली आईसीएमआर व डब्लूएचओ पर एफआईआर दर्ज कराने के लिए आशियाना कोतवाली में लिखित शिकायत की है। सीएमओ ने कहा नहीं आई शिकायत पीड़ित को सीएमओ ऑफिस भेज दिया गया था। सीएमओ डॉक्टर संजय भटनागर का कहना है कि अभी इस तरह किसी भी मामले की कोई भी शिकायत सीएमओ ऑफिस नहीं आई है। अगर आती है तो उसे देखा जाएगा। वहीं थाने के इंस्पेक्टर परमहंस गुप्ता का कहना है कि कोई भी तहरीर नहीं मिली है। न ही कोई एफआईआर दर्ज हुई है। एक्सपर्ट बोलीं, 28% लोगों में कम ऐंटीबॉडी बनती हैं विशेषज्ञों और डॉक्टर्स के मुताबिक अगर वैक्सीन लगवाने के बाद भी ऐंटीबॉडी नहीं बनतीं तो घबराने या परेशान होने की जरूरत नहीं है। वैक्सीन कंपनियां पहली डोज के बाद 72 से 82 फीसदी ही प्रभाव का दावा करती हैं। ऐसे में मुमकिन है कि कुछ लोगों में ऐंटीबॉडी ना बने। 28 फीसदी में मानक से कम ऐंटीबॉडी इसी वजह से टीका लगवा चुके लोगों को भी मास्क, दो फीट की दूरी और सेनेटाइजेशन के नियमों का पालन करने की सलाह दी जाती है। यूनिसेफ की हेल्थ स्पेशलिस्ट डॉ कनुप्रिया सिंघल के मुताबिक वैक्सीन लेने वाले 28 फीसदी लोगों में मानकों से कम ऐंटीबॉडी बन सकती हैं। इक्के-दुक्के लोगों में नहीं भी बन सकती हैं लेकिन बड़ी आबादी की सुरक्षा के लिए वैक्सीन बहुत जरूरी है।
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