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'एंटीबॉडी टेस्ट कराना पैसे की बर्बादी', डॉक्टर बोले- बेमतलब नहीं कराएं ये जांच

पटना बिहार में कोरोना संक्रमण के मामलों में गिरावट का दौर लगातार जारी है। इस बीच बड़ी संख्या में लोग अपना एंटीबॉडी टेस्ट करा रहे हैं। हाल...

पटना बिहार में कोरोना संक्रमण के मामलों में गिरावट का दौर लगातार जारी है। इस बीच बड़ी संख्या में लोग अपना एंटीबॉडी टेस्ट करा रहे हैं। हालांकि, डॉक्टरों का कहना है कि एंटीबॉडी टेस्ट कराना पैसे की बर्बादी है। उन्होंने बताया कि वैक्सीन लगवा चुके या कोरोना संक्रमण से ठीक हुए लोग इम्यूनिटी लेवल की जांच के लिए ये टेस्ट करा रहे हैं। लेकिन इससे कोई निर्णायक रिजल्ट नहीं मिला है। ऐसे में डॉक्टरों ने सलाह दी है कि इम्यूनिटी लेवल जांचने के लिए एंटीबॉडी टेस्ट से गुजरने की आवश्यकता नहीं है। बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. अरुण शाह ने बताया कि कोरोना संक्रमण या टीकाकरण के बाद किसी के शरीर में मौजूद एंटीबॉडी उनकी इम्यूनिटी लेवल का सही संकेत नहीं देता है। पैथोलॉजिकल लैब रिपोर्ट अक्सर भ्रामक हो सकती हैं और लोगों को सुरक्षा की झूठी गारंदी दे सकती है। पटना एम्स में कोविड -19 के नोडल अधिकारी डॉ संजीव कुमार भी लोगों को सलाह देते हैं कि वे अनावश्यक रूप से एंटीबॉडी टेस्ट नहीं कराएं। कुछ स्पेशल केस में ही इसकी जरूरत होती है। एंटीबॉडी टेस्ट के रिजल्ट केवल सांकेतिक हैं, ये निर्णायक नहीं हैं। हालांकि, एम्स-पटना के डॉक्टर बताते हैं कि लोगों को एक साल बाद बूस्टर डोज लेने से पहले इस टेस्ट से गुजरना पड़ सकता है। ऐसा इसलिए जिससे पता लगाया जा सके कि उनमें एंटीबॉडी विकसित हुई है या नहीं। आर्यभट्ट नॉलेज यूनिवर्सिटी में स्कूल ऑफ हेल्थ एंड मेडिसिन के डीन डॉ. राजीव रंजन प्रसाद ने भी कुछ ऐसी ही टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि लोगों को एंटीबॉडी टेस्ट के लिए जल्दबाजी नहीं करना चाहिए। एंटीबॉडी की कमी का मतलब यह नहीं है कि लोगों का नैचुरल इम्यून सिस्टम वायरस से नहीं लड़ सकता है। इसी तरह, उनकी उपस्थिति का मतलब यह नहीं है कि वे फिर संक्रमित होने से सुरक्षित रह सकते हैं। जानिए क्या होती है एंटीबॉडी हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली बहुत ही दिलचस्प है। जब भी हम किसी खतरनाक वायरस या बीमारी से संक्रमित होते हैं तो हमारे शरीर में एक सुरक्षात्मक प्रोटीन का उत्पादन करता है, इसे ही एंटीबॉडी कहा जाता है। यह एंटीबॉडी उस वायरस के ही जैसे होते हैं जो आपके शरीर में प्रवेश कर चुका है। यह एंटीबॉडी प्रोटीन के जरिए ही वायरस की सतह पर पहचान करता है। इसे एंटीजन के नाम से जाना जाता है। एंटीजन हमारे शरीर में प्रवेश किए गए वायरस को चिन्हित करता है और या तो यह वायरस को डिएक्टिवेट कर देता है या फिर मार देता है।


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