पटना: पटना में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (Patna Aiims) में मंगलवार को बच्चों पर भारत बायोटेक के कोवैक्सिन का क्लिनिकल परीक्षण शुरू...

पटना: पटना में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (Patna Aiims) में मंगलवार को बच्चों पर भारत बायोटेक के कोवैक्सिन का क्लिनिकल परीक्षण शुरू हुआ। स्वेच्छा से टीके के परीक्षण के लिए आने वाले 15 बच्चों में से तीन पूरी तरह से चिकित्सकीय जांच के बाद शुरुआती शॉट यानि पहली डोज देने वाले पहले व्यक्ति बने। पटना एम्स में बच्चों पर कोवैक्सीन का ट्रायल शुरूसभी बच्चों की पहले शॉट्स को लेकर स्क्रीनिंग प्रक्रिया, जैसे आरटी-पीसीआर, एंटीबॉडी परीक्षण और सामान्य जांच कर ली गई थी। पटना एम्स के अधीक्षक डॉ सीएम सिंह, जो परीक्षण के प्रमुख अन्वेषक भी हैं, ने कहा कि उन्होंने टीके के परीक्षण में दो से 18 वर्ष की आयु के कम से कम 100 बच्चों को शामिल करने का लक्ष्य रखा है। वैक्सीन देने के बाद दो घंटे तक की गई निगरानी डॉक्टर सीएम सिंह के मुताबिक 'अब तक 108 बच्चों ने परीक्षण के लिए पंजीकरण कराया है और उन्हें स्क्रीनिंग प्रक्रिया के बाद ही टीका मिलेगा। इंट्रामस्क्युलर इंजेक्शन की 0.5 मिली खुराक देने के बाद तीनों बच्चों की दो घंटे तक निगरानी की गई।' 'किसी बच्चे में नहीं दिखा कोई दुष्प्रभाव'डॉ सिंह ने कहा कि वैक्सीन की पहली डोज देने के बाद किसी भी बच्चे में कोई दुष्प्रभाव नहीं दिखा है। वहीं अस्पताल ने तीन बच्चों के माता-पिता को एक डायरी दी है और उनसे उनके स्वास्थ्य की निगरानी करने को कहा है। अगर इस दौरान बच्चों को कोई भी दिक्कत होती है तो उन्हें फौरन पटना एम्स से संपर्क करने को कहा गया है। 28 दिन बाद दी जाएगी दूसरी डोजतीनों बच्चों को 28 दिन के अंतराल के बाद दूसरी खुराक दी जाएगी। एक बार उनका टीकाकरण पूरा हो जाने पर टीके के किसी भी दुष्परिणाम के लिए बच्चों की पूरी तरह से जांच की जाएगी। पटना एम्स में कोविड19 के नोडल प्रभारी डॉ संजीव कुमार ने कहा कि जिन तीन बच्चों को मंगलवार को पहला शॉट मिला, वो 12 से 18 साल की आयु के हैं और पटना के ही निवासी हैं। बच्चों को तीन कैटेगरी में बांटा गयाडॉक्टर संजीव के मुताबिक 'पटना एम्स 28, 42, 104 और 194 दिनों में बच्चों पर इम्युनोजेनेसिटी (SARS CoV-2 वायरस से लड़ने के लिए एक स्वस्थ शरीर में उत्पादित एंटीबॉडी की मात्रा) की जांच करने के लिए फॉलोअप करेगा। परीक्षण का अगला और अंतिम चरण भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद से मंजूरी मिलने के बाद शुरू होगा।' आपको बता दें कि पटना एम्स ने बच्चों को उनकी उम्र के आधार पर ट्रायल के लिए तीन समूहों में बांटा है। ये तीन आयु वर्ग 2-5 साल, 6-12 साल और 12-18 साल हैं।
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