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जहां शव को पेड़ से टांगकर मांगा जाता है इंसाफ, EMI में मुआवजे का पेमेंट

अमीरगढ़ (बनासकांठा) उत्तर पूर्व गुजरात के कुछ इलाकों में अक्सर पेड़ों पर लटकी हुई लाशें दिख जाती हैं। स्थानीय लोग इसे देखकर हैरान नहीं हो...

अमीरगढ़ (बनासकांठा) उत्तर पूर्व गुजरात के कुछ इलाकों में अक्सर पेड़ों पर लटकी हुई लाशें दिख जाती हैं। स्थानीय लोग इसे देखकर हैरान नहीं होते हैं। दरअसल गुजरात के आदिवासी समुदाय के बीच कई साल पुरानी एक परपंरा आज भी चली आ रही है जिसे 'चडोतरु' कहते हैं। इसमें संदिग्ध मौत या हत्या के मामले में पीड़ित का शव पेड़ से टांगकर आरोपी पक्ष से मुआवजे की मांग की जाती है। यहां पर न्याय पाने की यह परंपरा काफी प्रचलित है। हालांकि कोविड और इसके परिणामों के चलते लोगों की आय पर असर पड़ा है और ऐसे में 'चडोतरु' के लिए मुआवजा की रकम एक साथ अदा करने में दिक्कत हो रही है। आदिवासी बुजुर्गों ने इसका उपाय निकाला और एक साथ मुआवजा देने के बजाय मासिक किश्त देने का प्रावधान तय किया। पंच (समुदाय के बुजुर्गों ने तय किया कि ईएमआई की इजाजत देना एक विवेकपूर्ण कदम है क्योंकि महामारी और आर्थिक संकट के बीच अपराधियों से एक बार में मुआवजे की रकम हासिल करना नामुमकिन है। पढ़ें: पीड़ित परिवार को बांटी जाती है मुआवजे की रकम संदिग्ध मौत के मामले में मुआवजे की रकम 8 लाख रुपये तक हो सकती है। इस 'चडोतरु' रकम को पीड़ित के परिजनों में बांट दिया जाता है। हालांकि पांच साल पहले तक 'चडोतरु' का मतलब प्रतिशोध हुआ करता था। उस समय अगर गांव में किसी की हत्या होती थी तो परिजन संदिग्ध के घर तक मार्च निकालते थे। समुदाय के बुजुर्गों का कहना है कि तब अमीरगढ़ में खूनखराबे आम थे और बदला लेना ही इंसाफ हुआ करता था। नवविवाहित की मौत पर 6 से 8 लाख का मुआवजा आदिवासी समुदाय के पंच सदस्य और अमीरगढ़ के सात गांवों को सरपंच खिमजी दुंगैसा ने बताया, 'इस हिंसा को खत्म करने के लिए हम एक प्रावधान लेकर आए जिसमें दोषी पक्ष को पीड़ित परिवार को आर्थिक मदद दे सकते हैं।' खिमजी ने आगे बताया, 'अगर कोई पीड़ित नवविवाहित महिला या पुरुष है जिसकी ससुराल आते वक्त मौत हुई हो तो मुआवजा 6 लाख से 8 लाख रुपये के बीच होता है।' लॉकडाउन के चलते आरोपी पक्ष नहीं दे पा रहे मुआवजा खिमजी ने बताया कि ईएमआई का विकल्प बनासकांठा के उत्तरपूर्व हिस्से में मुख्य रूप से डुगरी गरासिया आदिवासियों ने अपनाया है। खिमजी बताते हैं, 'हमारे पास कई ऐसे मामले आए जिसमें आरोपी पक्ष महामारी और लॉकडाउन के चलते कमाई पर पड़े असर के चलते बड़ी रकम देने में असमर्थ थे। जहां तक ईएमआई का सवाल है, तो न केवल मुख्य संदिग्ध बल्कि उसके रिश्तेदार भी भुगतान कर सकते हैं।' ईएमआई पर कर रहे मुआवजे का भुगतान उपला खापा गांव के निवासी केशाजी राठौड़ ने बताया कि उनके भाई को मोटरसाइकल पर सवार एक महिला की गिरकर मौत होने से मुआवजा देना पड़ा। केशाजी बताते हैं, 'हमें 6 लाख रुपये का भुगतान करने को कहा गया क्योंकि यह ऐक्सिडेंट का केस था लेकिन हम असमर्थ थे। फिर हमारी पंचायत ने हमें 15,000 रुपये की ईएमआई पर मुआवजा भुगतान करने को कहा।' लोगों को पुलिस के इंसाफ पर भरोसा नहीं जिले में कार्यरत एक समाजसेवी ने बताया कि आदिवासियों को राज्य पुलिस और एजेंसियों पर भरोसा नहीं है। इस अविश्वास ने ही परंपरा को बनाए रखा है।


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