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100 फीसदी लोगों को कोरोना के टीके... कोविड से जंग में लद्धाख ने रच डाला इतिहास

लेह लद्दाख देश का पहला केंद्र शासित प्रदेश बन गया है, जहां सौ फीसदी कोविड वैक्सीनेशन कर लिया गया है। यहां पर सभी निवासियों से लेकर बाहर स...

लेह लद्दाख देश का पहला केंद्र शासित प्रदेश बन गया है, जहां सौ फीसदी कोविड वैक्सीनेशन कर लिया गया है। यहां पर सभी निवासियों से लेकर बाहर से आए लोगों का वैक्सीनेशन हो गया है। अधिकारियों ने बताया कि राज्य में सभी प्रवासी मजदूरों, होटल कर्मचारियों और नेपाली नागरिकों समेत जो भी यहां के रहने वाले हैं या आकर आजीविका के लिए काम कर रहे हैं, सभी को पहली डोज दी जा चुकी है। लद्दाख में भले ही कम आबादी हो, लेकिन यहां वैक्सीनेशन चुनौतीपूर्ण है। यहां पर दुर्गम इलाके, मौसम और पहाड़ी इलाकों में वैक्सीनेशन आसान नहीं था। इनमें से कई आबादी तक पहुंचना बहुत ही मुश्किल है, इन सबके बावजूद विभाग ने यह उपलब्धि हासिल की। 61 हजार लोगों को मिली दूसरी डोज आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 18-44 साल के सभी पात्र आयु वर्ग के कुल 89,404 लोगों को कोविड वैक्सीन की पहली खुराक दी गई है। दूसरी खुराक 60,936 लोगों को दी गई है। यह टीकाकरण के तीसरे चरण को शुरू करने के तीन महीने से भी कम समय में किया गया। करीब 6,821 नेपाली नागरिक टीकाकरण करने वालों में शामिल हैं। बाहर से आए लोगों को भी लगा वैक्सीन एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, 'हमने होटल के कर्मचारियों को प्राथमिकता दी, जिनमें से अधिकांश लद्दाख के बाहर के हैं और टैक्सी, सार्वजनिक परिवहन चालकों के रूप में वे पर्यटन उद्योग में काम करते हैं। गर्मियों के दौरान दूसरे राज्यों से मजदूर और अप्रेंटिस आते हैं, इसलिए उनका भी प्राथमिकता के आधार पर वैक्सीनेशन किया गया।' पोलियो टीकाकरण की तरह चलाया अभियान पोलियो के खिलाफ बड़े पैमाने पर टीकाकरण कार्यक्रमों में अनुभवी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के व्यापक नेटवर्क ने टीकाकरण में तेजी लाने में मदद की। अधिकारी ने बताया कि पोलियो जैसे कार्यक्रमों में अनुभवी हमारे जमीनी स्तर के स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के लिए कोविड टीकाकरण कोई नई बात नहीं थी। बस यह वैक्सीनेशन अन्य टीकाकरण कार्यक्रमों की तरह ही था। टीके के नहीं हुई कमी भी अधिकारी ने कहा कि प्रशासन ने औपचारिक रूप से स्वीकृत होने से पहले वास्तव में 18-44 वर्ष आयु वर्ग का टीकाकरण शुरू कर दिया था। केंद्र ने टीके की कमी नहीं होने दी, जिसने स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के विश्वास को बढ़ावा मिला और इसने कठिनाइयों के बावजूद टीकाकरण की गति को तेज किया।


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