गाजियाबाद कोरोना के बाद होने वाले सबसे गंभीर रोग ब्लैक फंगस अब आंख और दिमाग के बाद मरीजों के जबड़ों को भी निशाना बनाने लगा है। अब तक जबड़...
गाजियाबाद कोरोना के बाद होने वाले सबसे गंभीर रोग ब्लैक फंगस अब आंख और दिमाग के बाद मरीजों के जबड़ों को भी निशाना बनाने लगा है। अब तक जबड़े में ब्लैक फंगस के 12 मरीज सामने आ चुके हैं और इनमें से ज्यादातर के जबड़े निकालने पड़े हैं। गंभीर बात यह है कि जबड़ों में ब्लैक फंगस अनियंत्रित शुगर के चलते नहीं, बल्कि हाई शुगर के चलते हो रहा है। अब तक सामने आए मरीजों में 10 पुरुष और 2 महिलाएं हैं। इनमें से एक मरीज अभी भी अस्पताल में भर्ती है। सीनियर ईएनटी स्पेशलिस्ट डॉक्टर बीपी त्यागी के अनुसार, ब्लैक फंगस का यह नया रूप भी गंभीर है। यह अनियंत्रित शुगर की जगह हाई शुगर वाले मरीजों को चपेट में लेता है। डॉ. त्यागी बताते हैं कि उनके पास अब तक जबड़े के ब्लैक फंगस के 12 मरीज आ चुके हैं। इनमें कई मरीज दूसरे अस्पतालों से रेफर होकर भी आए हैं। ब्लैक फंगस के 11 मामले अपर जॉ के हैं, जबकि केवल एक मामला लोअर जॉ का है। इन सभी मरीजों का जबड़ा निकालना पड़ा है। ब्लैक फंगस ने दांत, जबड़ों की हड्डी और ऊपरी हिस्से को गला दिया था, जिसके बाद जबड़ा निकालना जरूरी हो गया था। यदि नहीं निकाला जाता तो मरीज के चेहरे की सभी हड्डियों को ब्लैक फंगस गला देता। धीमे फैलने पर जबड़े में जाता है ब्लैक फंगस डॉ. त्यागी के अनुसार, पोस्ट कोविड में जिन मरीजों में शुगर बहुत हाई (700 से ज्यादा) होता है, उनमें ब्लैक फंगस तेजी से फैलता है और ऊपर की ओर जाता है, जिससे आंख और दिमाग तक ब्लैक फंगस पहुंचता है। जिन मरीजों में शुगर लेवल 300 से 400 के बीच होता है, उनमें ब्लैक फंगस धीरे-धीरे बढ़ता है और जबड़ों को चपेट में लेता है। ब्लैक फंगस भी लगभग कैंसर की तरह ही होता है। यदि इसका एक भी कण अंदर रह जाए तो फिर से फैलने लगता है, इसलिए ब्लैक फंगस से संक्रमित पूरे हिस्से को निकालना पड़ता है। इनसे भी है खतरा डॉ. त्यागी कहते हैं कि जिन मरीजों में शुगर लेवल हाई रहता है, उनमें कोरोना जांच के लिए नाक में डालने वाले बड से भी खतरा होता है। यदि बड अनस्ट्रेलाइज्ड है और वह नाक की परत को छील देती है तो वहां से ब्लैक फंगस का संक्रमण शुरू हो सकता है। इसके अलावा जिंक और आयरन भी इसका खाना है। अब तक जितने मरीज उनके पास पहुंचे हैं, उनमें हाई शुगर होने के साथ जिंक और आयरन की मात्रा भी काफी अधिक थी। उपचार भी लंबा है जबड़े के ब्लैक फंगस का उपचार आंख और नाक के फंगस से ज्यादा लंबा है। जबड़े के ब्लैक फंगस वाले मरीज को एन्फोटेरिसिन-बी के 90 इंजेक्शन देने पड़ते हैं। इसमें लगभग 45 दिन का समय लगता है, जबकि आंख और नाक के मामले में 20 से 22 दिन तक इंजेक्शन देने होते हैं। बचने की संभावना 70 प्रतिशत डॉ. त्यागी बताते हैं कि संक्रमित जबड़े को निकालने के बाद मरीज के बचने की संभावना 70 प्रतिशत होती है, जबकि आंख के मामले में 50 प्रतिशत और दिमाग के मामले में केवल 5 प्रतिशत होती है। उन्होंने बताया कि जबड़े में ब्लैक फंगस का पता लगभग एक महीने बाद चल पाता है। दांत का हिलना इसका पहला लक्षण होता है, लेकिन मरीज लापरवाही बरतते हैं और जब तक कई दांत नहीं हिलने लगते तब तक डॉक्टर के पास नहीं जाते।
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