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Bihar Congress : बिहार कांग्रेस के सभी दिग्गजों को राहुल गांधी ने बुलाया दिल्ली, नए प्रदेश अध्यक्ष के लिए शुरू हुआ 'सर्च ऑपरेशन'

पटना: बिहार कांग्रेस के वर्तमान अध्यक्ष मदन मोहन झा सितंबर में अपना कार्यकाल पूरा कर लेंगे। उसके बाद बिहार कांग्रेस को नया अध्यक्ष मिलेगा...

पटना: बिहार कांग्रेस के वर्तमान अध्यक्ष मदन मोहन झा सितंबर में अपना कार्यकाल पूरा कर लेंगे। उसके बाद बिहार कांग्रेस को नया अध्यक्ष मिलेगा। लेकिन ये अध्यक्ष कौन होगा, इस पर कयास का दौर जारी है। इसी बीच राहुल गांधी ने बिहार कांग्रेस के दिग्गजों को दिल्ली दरबार में बुलाया है। राहुल ने बिहार के कांग्रेसियों को बुलाया दिल्ली दरबारकांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बिहार में सभी कांग्रेस विधायकों, पूर्व प्रदेश अध्यक्षों, वर्तमान और पूर्व सीएलपी नेताओं को दिल्ली तलब किया है। सूत्रों के अनुसार संभवत: राज्य पार्टी नेतृत्व में बदलाव पर चर्चा के लिए बुधवार को एक बैठक बुलाई गई है। एक वरिष्ठ विधायक ने कहा कि उन्हें इस संबंध में पार्टी के बिहार प्रभारी भक्त चरण दास से जानकारी मिली है। उन्होंने कहा कि 'हम सभी को राहुल जी के साथ बैठक के लिए मंगलवार या बुधवार सुबह तक दिल्ली पहुंचने के लिए कहा गया है। लगभग 35 लोग होंगे।' राहुल गांधी की बैठक का एजेंडा अभी गुप्त इस बैठक के एजेंडे के बारे में पूछे जाने पर एक वरिष्ठ विधायक ने कहा कि 'हमें इसके बारे में नहीं बताया गया है, लेकिन शायद यह कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष को बदलने के बारे में होगा।' वहीं कांग्रेस विधायक दल के नेता अजीत शर्मा ने कहा कि विधानसभा चुनाव के बाद उन्होंने पार्टी आलाकमान सोनिया गांधी और राहुल गांधी से मुलाकात की अपील की थी, लेकिन कोविड-19 के कारण बैठक नहीं हो सकी। उनके मुताबिक 'मैं दिल्ली के लिए प्रस्थान कर रहा हूँ। हम राहुल जी से मिलने के लिए उत्साहित हैं और हम उनके सभी निर्देशों को लागू करेंगे और बिहार में कांग्रेस को मजबूत करेंगे।' अल्पसंख्यक नेतृत्व को लेकर नाराजगी इस बीच एआईसीसी सदस्य इंतेखाब आलम ने सोमवार को पार्टी के महासचिव केसी वेणुगोपाल को एक पत्र लिखकर शिकायत की है। उन्होंने लिखा है कि बिहार कांग्रेस में अल्पसंख्यक नेतृत्व का कत्ल किया जा रहा है और मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट उन सीटों से दिया जाता है जहां अल्पसंख्यक समुदाय की आबादी कम है। आलम ने कहा कि क्षेत्रीय दल मुसलमानों को बेहतर प्रतिनिधित्व दे रहे हैं और इससे उन्हें बेहतर प्रदर्शन करने में मदद मिल रही है। इंतेखाब आलम के खत के एक हिस्से में उन्होंने लिखा है कि 'यह बहुत चिंता का विषय है कि कांग्रेस ने 2005, 2010, 2015 और 2020 के विधानसभा चुनावों में 34 जिलों में एक भी मुस्लिम उम्मीदवार को मैदान में नहीं उतारा। इसने पार्टी और अल्पसंख्यक नेतृत्व को धीरे-धीरे कमजोर कर दिया।'


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