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Bihar Coronavirus : 'लोगों की भारी लापरवाही ने पटना को बना दिया कोरोना का एपिक सेंटर', स्टडी में चौंकाने वाला खुलासा

पटना: बिहार में लॉकडाउन के दौरान लौटे मजदूरों की भीड़ ने नहीं बल्कि आम लोगों की लापरवाही ने कोरोना की दूसरी लहर को खतरनाक बना दिया। इतना ...

पटना: बिहार में लॉकडाउन के दौरान लौटे मजदूरों की भीड़ ने नहीं बल्कि आम लोगों की लापरवाही ने कोरोना की दूसरी लहर को खतरनाक बना दिया। इतना खतरनाक कि राजधानी पटना ही वायरस का एपिक सेंटर बन गई। एक स्टडी की रिपोर्ट में ये चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। आद्री की रिपोर्ट में खुलासा ADRI यानि एशियन डेवलपमेंट रिसर्च इंस्टीट्यूट में सेंटर फॉर हेल्थ पॉलिसी ने इसे 'लर्निंग फ्रॉम कोविड-19 केस: ए सोशियोलॉजिकल स्टडी ऑफ पटना डिस्ट्रिक्ट' नाम दिया गया है। पूर्व ब्यूरोक्रैट केसी साहा की स्टडी से पता चला कि सामाजिक दूरी यानि सोशल डिस्टेंसिंग के मानदंडों के बारे में जागरूकता की कमी और भीड़-भाड़ वाली जगहों पर मास्क न लगाने के चलते विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों में कोविड के मामलों में खतरनाक वृद्धि हुई है। हालांकि 15 लाख से अधिक प्रवासी बिहार लौट आए, लेकिन व्यस्त बाजारों, शादी समारोहों, अंतिम संस्कार और अन्य कार्यों में शामिल लोगों के कारण बड़े पैमाने पर वायरस फैल गया।' शादी समाराहों के चलते महिलाएं ज्यादा हुईं संक्रमित- स्टडी अध्ययन से पता चला कि शादी समारोहों के दौरान महिलाओं में संक्रमण तेजी से बढ़ गया, जहां वो कई दिनों तक मिल जुलकर पारंपरिक गीत गाती थीं। रिपोर्ट में कहा गया है कि 'सभी बीडीओ और मुखियाओं ने स्पष्ट रूप से कहा कि पटना ही वो एपिक सेंटर था, जहां से कोरोना का वायरस तेजी से बाकी जगहों पर फैला। अलग-अलग जिलों से पटना आए लोगों ने संक्रमण को पकड़ लिया और बाद में ये उन इलाकों में पसर गए।' पटना में जून, 2020 और 15 मई, 2021 के बीच दर्ज किए गए 23,344 नए कोरोना मामलों के आधार पर अध्ययन में सूचना के अन्य प्राथमिक स्रोतों जैसे 200 कोविड सकारात्मक रोगियों, सरकारी पदाधिकारियों के साथ-साथ स्थानीय निकायों के निर्वाचित सदस्यों के टेलीफोनिक साक्षात्कार को भी ध्यान में रखा गया। स्टडी में मिली ये जानकारी अध्ययन से पता चला है कि जुलाई, 2020 और अप्रैल, 2021 में 21-40 और 41-60 वर्ष के आयु वर्ग के पुरुषों में सबसे अधिक कोरोना पॉजिटिव केस सामने आए। स्टडी के मुताबिक 'दिलचस्प बात यह है कि पटना की किसी भी झुग्गी बस्ती में एक भी कोरोना का मामला सामने नहीं आया। पटना नगर निगम के 7,300 सफाई कर्मचारियों में से केवल तीन या चार कोरोना पॉजिटिव पाए गए। इसी तरह मोकामा टाल क्षेत्र की पंचायतों में कोई भी पॉजिटिव मामला दर्ज नहीं किया गया।' ADRI के सदस्य सचिव पीपी घोष ने बताया कि 'अध्ययन के निष्कर्ष मूल्यवान थे और महामारी को नियंत्रित करने के लिए उचित रणनीतियों की पहचान करने में मदद करेंगे। हमें उम्मीद है कि सरकार कोविड-19 से प्रभावी तरीके से निपटने के लिए रिपोर्ट की सिफारिशों को अपनाएगी।' हालांकि सामाजिक विषयों के एक्सपर्ट डॉक्टर एन के चौधरी ने बताया कि शुरू में प्रवासियों ने राज्य में वायरस का प्रसार किया। उन्होंने कहा कि 'चुनावों, धार्मिक सभाओं, त्योहारों, विवाहों और अन्य सामाजिक कार्यों के साथ-साथ लोगों के बीच कोरोना से बचाव के उपायों की कमी के कारण समस्या बढ़ गई थी।'


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