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यूपी जिला पंचायत: सपा लड़ाई से बाहर... बीजेपी बागी से परेशान, उन्नाव में दिलचस्प घमासान

कानपुर उन्नाव का जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव दिलचस्प हो गया है। पहले बीजेपी की तरफ से अरुण सिंह ने बागी होकर नामांकन कराया तो नाम वापसी के ...

कानपुर उन्नाव का जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव दिलचस्प हो गया है। पहले बीजेपी की तरफ से अरुण सिंह ने बागी होकर नामांकन कराया तो नाम वापसी के दिन से शुरू हुई सियासत नए मोड़ पर पहुंच गई। बुधवार को समाजवादी पार्टी ने अपनी प्रत्याशी मालती रावत को जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव से हटा दिया। आरोप लगाया कि वह बीजेपी का साथ दे रही थीं। मालती ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। लेकिन मुख्य मुकाबला अब बीजेपी की अधिकृत प्रत्याशी शकुन सिंह और बागी अरुण सिंह के बीच है। ऐसे बदला घटनाक्रम उन्नाव जिला पंचायत के 51 सदस्य हैं। जीते हुए प्रत्याशियों में 20 समाजवादी पार्टी, 9 भारतीय जनता पार्टी समर्थित और 22 निर्दलीय हैं। बीजेपी ने नवाबगंज के पूर्व ब्लॉक प्रमुख अरुण सिंह को अध्यक्ष पद का उम्मीदवार बनाया था, लेकिन माखी रेप पीड़िता के वीडियो के बाद पार्टी ने अरुण का टिकट काटकर पूर्व एमएलसी दिवंगत अजीत सिंह की पत्नी शकुन सिंह को प्रत्याशी बनाया। समाजवादी ने मालती रावत को टिकट दिया। अरुण सिंह का टिकट कटने से बीजेपी में अंदरखाने नाराजगी थी। सांसद साक्षी महाराज और कई विधायक उनके समर्थन में थे। बागी हो गए अरुण नामांकन के दिन 26 जून को साक्षी महाराज से मिलकर अरुण ने पर्चा दाखिल कर दिया। उनके साथ सदर विधायक पंकज गुप्ता के परिवार के लोग भी थे। शकुन सिंह पहला सेट दाखिल करने के दौरान कमजोर दिखीं। दूसरा सेट दाखिल करने के दौरान शकुन के साथ 3 विधायक गए। दोपहर में कुलदीप सेंगर के धुर विरोधी देवेंद्र सिंह 5 जिला पंचायत सदस्यों को बीजेपी के पाले में ले आए। इससे शकुन मजबूत दिखने लगीं। मालती पहुंची थीं बीजेपी दफ्तर जानकारों के अनुसार, अरुण-शकुन की लड़ाई के बीच बीजेपी ने मालती रावत को ऑफर दे दिया। नाम वापसी के अंतिम दिन मंगलवार को मालती बीजेपी दफ्तर पहुंच गईं। इसकी भनक समाजवादियों को लग गई। दूसरी तरफ शकुन सिंह के बेटे मां को चुनाव लड़वाने पर अड़ गए। मालती को नाम वापसी से रोकने के लिए सपाइयों ने कलेक्ट्रेट गेट पर डेरा डाल दिया। अधिकारियों से झड़प हुई। मालती का नाम वापस नहीं हुआ, लेकिन एमएलसी सुनील सिंह साजन ने कहा था कि सरकार निर्विरोध चुनाव चाहती थी। लेकिन हमने ऐसा नहीं होने दिया। रात में मालती ने वीडियो जारी कर खुद को समाजवादी सिपाही बताया। मालती को हटाया सपा जिलाध्यक्ष धर्मेंद्र यादव ने बुधवार दोपहर चिट्ठी जारी कर अध्यक्ष के चुनाव के बहिष्कार का ऐलान कर दिया। मालती रावत को पार्टी के सारे पदों से हटा दिया गया। उनकी उम्मीदवारी वापस ले ली गई। सदस्यों को अपने विवेक से फैसला लेने के लिए कहा गया। मालती की नामवापसी तकनीकी तौर पर असंभव है। वहीं मालती ने बीजेपी दफ्तर जाने की बात कबूलकर कहा कि वह निर्दलीय चुनाव लड़ेंगी। कांटे की टक्कर मालती रावत प्रकरण के बाद अब अरुण सिंह और शकुन सिंह के बीच जोरदार टक्कर संभावित है, लेकिन मेन फैक्टर समाजवादी पार्टी है। अरुण सिंह के साथ जोखिम यह है कि वह सीधे तौर पर समाजवादियों का समर्थन नहीं ले सकते। जीत की स्थिति में वह बीजेपी को 'अस्वीकार्य' भी हो सकते हैं। वहीं शकुन सिंह गुट भी संख्याबल जुटाने का जीतोड़ प्रयास कर रहा है। अरुण ने कहा कि वह अपना संख्याबल पार्टी आलाकमान को दिखा चुके हैं। इस मामले में बीजेपी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है।


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