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नोएडा न जाने का मिथक तोड़ चुके हैं CM योगी, क्या जिला पंचायत नतीजों के बाद भी होगा ऐसा..

सुमित शर्मा, कानपुर उत्तर प्रदेश में जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में बीजेपी ने बाजी मार ली है। इसके साथ ही बीते एक महीने से प्रदेश में ज...

सुमित शर्मा, कानपुर उत्तर प्रदेश में जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में बीजेपी ने बाजी मार ली है। इसके साथ ही बीते एक महीने से प्रदेश में जारी सियासी रस्साकशी पर भी विराम लग गया है। बीजपी ने प्रदेश के 75 में से 67 सीटों पर जीत दर्ज की है। हालांकि, में जीत को लेकर प्रदेश में एक मिथक भी चलता है। विधानसभा चुनावों के सेमीफाइनल की तरह देखी जा रही इस लड़ाई में जिसकी जीत होती है, उसे फाइनल यानी कि विधानसभा चुनावों में हार का सामना करना पड़ता है। ऐसे में देखना है कि क्या बीजेपी इस मिथक को तोड़ पाने में कामयाब रहेगी। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव जीतने से बीजेपी ने खुद को ग्रामीण क्षेत्रों में मजबूत कर लिया है। जिला पंचायत चुनाव को सत्ता दल का चुनाव कहा जाता है। इससे पहले एसपी और बीएसपी के भी बड़ी संख्या में जिला पंचायत अध्यक्ष बने थे लेकिन में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। मायावती को मिली थी हार बीएसपी सुप्रीमो मायावती की साल 2007 में पूर्ण बहुमत से सरकार बनी थी। साल 2010 में बीएसपी के कार्यकाल में जिला पंचायत चुनाव हुए थे। इस दौरान बीएसपी के 20 जिला पंचायत अध्यक्ष निर्विरोध चुने गए थे। इसके साथ ही बीएसपी के लगभग 40 जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव जीत कर आए थे। बीएसपी के 60 से ज्यादा जिला पंचायत अध्यक्ष बने थे। इसके बाद 2012 में जब विधानसभा चुनाव हुए तो उसमें एसपी की पूर्ण बहुमत से सरकार बनी थी और बीएसपी सत्ता से बाहर हो गई थी। एसपी भी हो चुकी है शिकार समाजवादी पार्टी की साल 2012 में पूर्ण बहुमत से सरकार बनी थी। साल 2016 में पंचायत चुनाव एसपी के कार्यकाल में हुए थे। एसपी के 37 जिला पंचायत अध्यक्ष निर्विरोध चुने गए थे। एसपी के प्रदेशभर में लगभग 65 जिला पंचायत अध्यक्ष जीते थे। बीजेपी के सबसे कम जिला पंचायत अध्यक्ष थे लेकिन जब 2017 के विधानसभा चुनाव हुए तो एसपी सत्ता से बाहर हो गई। बीजेपी ने पूर्ण बहुमत से सरकार बना ली। राजनीतिक जानकार इस पर नजर बनाए हुए हैं कि क्या बीजेपी इस मिथक को तोड़ पाएगी या वह भी इसका शिकार हो जाएगी। बीजेपी जिला पंचायत सदस्यों के चुनाव के परिणाम से असंतुष्ट थी। पार्टी ने जिला पंचायत चुनाव के लिए बड़ी तैयारी की थी, लेकिन परिणाम मनमुताबिक नहीं आए थे। अब प्रदेश भर में बीजेपी के सर्वाधिक जिला पंचायत अध्यक्ष चुने गए हैं। बीजेपी के लिए यह जीत किसी संजीवनी से कम नहीं है। पार्टी का आत्मविश्वास बढ़ा हुआ है।


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