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Lalu Yadav : जातिवाद से समाजवाद की ओर लौट रहे लालू? क्या अब कुर्सी तक नहीं पहुंचा सकता 'MY' समीकरण?

पटना राष्ट्रीय जनता दल के स्थापना दिवस कार्यक्रम में नेताओं ने नया नाम दिया 'लालूवाद'। अब तक जातिवाद, समाजावाद के अलावा भी कई ...

पटना राष्ट्रीय जनता दल के स्थापना दिवस कार्यक्रम में नेताओं ने नया नाम दिया 'लालूवाद'। अब तक जातिवाद, समाजावाद के अलावा भी कई 'वादों' का जिक्र होता रहा है। मगर इस बार भाषणों में 'लालूवाद' आया। ने खुद अपनी भाषण को व्यापक रखा। उन्होंने अपनी बात को किसी खास जाति और धर्म तक सीमित नहीं रखा बल्कि पूरे समाज की बातें की। जिसमें उन्होंने तवा और रोटी का भी जिक्र किया। लालू ने सुनाई सामाजिक गरीबी की कहानी स्थापना दिवस के मौके पर लालू यादव ने भाषण में अपनी गरीबी की कहानी सुनाई। इस कहानी को पहले भी कई बार सुना चुके हैं। उन्होंने बताया कि उनके गांव में गरीब किस तरह की दुर्दशा में अपनी जिंदगी जीते थे। लालू ने ये भी बताया कि जबतक वो नेता नहीं बने थे, तबतक गरीब लोग वोट नहीं दे पाते थे। उन्होंने इसके लिए चुनाव आयोग तक से लड़ाई लड़ी। गरीबों को बूथों तक पहुंचाया। दरअसल लालू यादव अपनी भाषण में नब्बे की दशक से पहले की बातें सुना रहे थे। किसी भी कामयाब आदमी की गरीबी की कहानी लोग बड़े ध्यान से सुनते हैं और हमदर्दी भी जताते हैं। सियासत में आज लालू यादव, परिवार सहित सफल हैं। राजनीति और सत्ता में धमक है। लालू यादव इस बात को बखूबी समझ रहे हैं। रोटी, तवा और फिर जंगलराज की कहानी हालांकि अपने भाषण में लालू यादव ने माना कि आज बराबरी है, सबके लिए कुर्सी, सबके लिए खटिया, सबके लिए कुआं का पानी है, बराबर रूप से लोग एनजॉए कर रहे हैं। मतलब तीस साल में समाज काफी बदल गया है। लालूराज को जंगलराज कहनेवालों को भी लालू यादव ने आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि चूंकि गरीब लोगों का राज था। इसलिए उसका नाम जंगलराज दिया गया। सैकड़ों बरस से रोटी एक तवा पर एकतरफा जल रही थी। उन्होंने गरीब जनता के सहारे उसे पलट दिया। रोटी को पलटा और लोगों को तकलीफ शुरू हो गया कि जंगलराज आ गया। लालू यादव ने अपने शासनकाल में खोले गए चरवाहा विद्यालय का भी बचाव किया। लालू जी नाम नहीं विचार हैं- तेजस्वी नेता प्रतिपक्ष ने अपने भाषणों में अपने पिता लालू यादव का गुणगान किया। उन्होंने कहा कि लालू जी नाम नहीं विचार हैं। सामाजिक न्याय, धर्मनिरपेक्षता, गैर बराबरी, लोगों को बराबरी हो, समानत हो, अंतिम पायदान पर खड़ा शोषित समाज को मुख्य धारा में लाना हो, दंगाइयों को परास्त करना हो, जो वाकई में बिहार की समस्या है उसको हमलोगों ने बिहार का चुनावी मुद्दा बनाया। उन्होंने कहा कि बिहार में सबसे बड़ी समस्या है तो बेरोजगारी की है। तेजस्वी ने कहा कि बिहार की जनता ने चाहे किसी जाति के हो, कोई वर्ग के हो, किसी धर्म के हो, अगड़े हों, पिछड़े हों, दलित हों, महादलित हों, अल्पसंख्यक हों, अतिपिछड़े हों, सबलोगों ने दिल खोलकर के लालू जी को और राष्ट्रीय जनता दल को बेरोजगारी के खिलाफ वोट दिया। 'सबको एक घाट पर पानी पिलाया' जंगराज को लेकर तेजस्वी ने भी सफाई दी उन्होंने कहा कि वो लोग जंगलराज का नारा दिया करते थे, जिनको बेचैनी थी सत्ता जाने की। उनलोगों ने एक प्रोपगेंडा फैलाया जंगलराज है, जंगलराज है। तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार के विकास को नकार दिया। उन्होंने विकास के नाम पर मानव विकास की बात की और कहा कि असली विकास था सामाजिक न्याय। लालू जी को जब सत्ता मिली 1990 में तो उन्होंने एक ही घाट पर सबको पानी पिलाने का काम किया। वो होता है, असली विकास। 'आरजेडी अब MY नहीं बल्कि A टू Z' आरजेडी को आमतौर पर विपक्षी नेता MY (मुस्लिम-यादव) समीकरण वाली पार्टी कहते हैं। तेजस्वी ने इस पर भी सफाई दी। उन्होंने कहा कि लोग क्या-क्या भ्रम नहीं फैलाते थे कि ये MY की पार्टी है। मगर तेजस्वी ने कहा कि ना ये MY की पार्टी नहीं है बल्कि ये A टू Z की पार्टी है। महागठबंधन को एक करोड़ 56 लाख वोट मिले, जबकि एनडीए को एक करोड़ 56 लाख 12 हजार। अंतर सिर्फ 12 हजार वोटों का है। अगर सिर्फ MY आपको वोट देते तो एक करोड़ 56 लाख वोट नहीं मिलते। जो हाथ बढ़ाया उसे नहीं छोड़ें- तेजस्वी तेजस्वी ने कहा कि हमको तो हर लोगों ने वोट दिया। तब न जाकर मात्र 12 हजार का अंतर रहा। चाहे अगड़ी जाति के हों, चाहे पिछड़े हों, दलित हों, अल्पसंख्यक हमारे भाई हों, अतिपछड़े हैं, हम बस यही एक संदेश देना चाहते हैं कि जिन लोगों ने आपके तरफ हाथ बढ़ाया है, उसके तरफ के हाथ को छोड़िएगा मत। सब लोगों का मान-सम्मान, हर जाति, हर धर्म के लोगों को साथ लेकर आगे चलना है। ये तो विरोधियों की चाल रही है कि राजद को सीमित कर दिया MY में। ये A टू Z की पार्टी है। डॉक्यूमेंट्री में भी दिखा 'A टू Z अवतार' लालू और तेजस्वी के इन विचारों की झलक पार्टी की ओर से दिखाई गई डॉक्यूमेंट्री में भी दिखी। जिसमें कहा गया था कि 'नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने पार्टी में हर समाज के लोगों को जगह देने की स्वस्थ परंपरा की शुरुआत की। दलित-पिछड़ों की उत्थान की बात कहना सवर्ण भाइयों की कीमत पर नहीं बल्कि उनके हित में कही गई बात है। ये बात सबको समझने की आश्यकता है। आरजेडी इसी सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ रही है। किसी के पास अब राजद से मुंह फेरने का कोई बहाना नहीं होना चाहिए। सभी से पार्टी अपील करती है कि पुरानी बातों को भूल नए सिरे से राजद के साथ आएं। राजद ने सबकी ओर खुले हृदय से हाथ बढ़ाया है। सबके साथ बढ़ने और बिहार को वास्तविक विकास के मार्ग पर बढ़ाने के लिए साथ देने की जिम्मेदारी बिहारवासियों की जिम्मेदारी है। वो राजद की सकारात्मक समावेशी पहल को सराहें और साथ दें।' क्या जिताऊ वोट MY से A टू Z पर लाया? आरजेडी, लालू यादव और तेजस्वी यादव के इस अपील को जानने के लिए 2024 तक इंतजार करना होगा। मगर चुनावी राजनीति में महज 12 हजार वोटों से पिछड़ जाना ये बताने के लिए काफी है कि सत्ता पाने के जितनी जरुरत बेसवोट बैंक की है, उतनी ही जरुरत जिताऊ वोटों की भी होती है। राज्य में 15 फीसदी यादव और 16 प्रतिशत मुस्लिम वोटर हैं। मगर जिताऊ वोट नहीं होने की वजह से राष्ट्रीय जनता दल पिछड़ जा रही है। पार्टी को जीत तो मिल जाती है, मगर सत्ता आते-आते हाथ से फिसल जा रही है। रिजल्ट एनालिसिस में तेजस्वी और लालू यादव इस बात को समझ रहे हैं। यही वजह है कि लालू यादव समाजवाद की और तेजस्वी यादव MY से A टू Z की बात कर रहे हैं।


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