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Modi Cabinet Expansion : नीतीश के खासमखास ललन सिंह को क्यों नहीं मिला केंद्र में मंत्रिपद? आरसीपी सिंह के इस जवाब में छिपा है बड़ा इशारा

पटना: सत्ताधारी JDU में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के शुरू से ही दो हाथ माने जाते हैं। इनमें से एक नाम है रामचंद्र प्रसाद सिंह यानि RCP सिंह...

पटना: सत्ताधारी JDU में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के शुरू से ही दो हाथ माने जाते हैं। इनमें से एक नाम है रामचंद्र प्रसाद सिंह यानि RCP सिंह और दूसरा राजीव रंजन ऊर्फ ललन सिंह। पिछली बार यानि 2019 में मोदी कैबिनेट में सिर्फ एक मंत्रिपद मिलने के चलते नाराजगी से बचने के लिए नीतीश ने समझौता नहीं किया। लेकिन इस बार क्या ललन सिंह के बारे में कुछ और बड़ा सोचा गया है। केंद्रीय मंत्री और JDU के राष्ट्रीय अध्यक्ष RCP सिंह की बात से तो यही इशारा मिल रहा है। RCP के जवाब में छिपा बड़ा इशारा? मोदी सरकार में बतौर कैबिनेट मंत्री शपथ लेने के बाद जब आरसीपी सिंह मंगलवार की रात मीडिया के सामने आए। उनसे पत्रकार धड़ाधड़ सवाल दागे जा रहे थे। इसी दौरान एक सवाल ये हुआ कि ललन सिंह मंत्री क्यों नहीं बने? आरसीपी सिंह को शायद इसी सवाल का इंतजार था। उन्होंने छूटते ही कहा 'आपलोग सुबह से ये सवाल पूछ रहे हैं, इसका जवाब जरूर देंगे। हम और ललन सिंह कोई अलग थोड़े ही न हैं। मुझमें और ललन बाबू में कोई फर्क है क्‍या? हमलोग साथ हैं और मजबूती से रहेंगे।' क्या हैं इस जवाब के मायने? अगर थोड़ा सा सोचा जाए तो ये साफ दिखता है कि अब आरसीपी सिंह केंद्र में मंत्री बन चुके हैं। ऐसे में JDU जैसी पार्टी को चलाना दो नावों पर सवारी करने के जैसा होगा। जाहिर है कि JDU के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की आज नहीं तो कल तलाश जरूर होगी। इसी दौरान आरसीपी सिंह का ये कहना कि उनमें और ललन सिंह में कोई फर्क नहीं है। तो क्या ललन सिंह बिहार में आरसीपी का विकल्प बनने जा रहे हैं? नवभारत टाइम्स की टीम ऐसा दावा तो नहीं करती लेकिन आरसीपी सिंह के जवाब से कुछ ऐसा ही इशारा मिल रहा है। क्या लव-कुश समीकरण से कुछ अलग करना चाहते हैं नीतीश? अगर आरसीपी का इशारा सही है तो क्या मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लव-कुश समीकरण से इतर भी कुछ प्रयोग करना चाह रहे हैं? हाल ही में जेडीयू के संगठन को मजबूत करने के लिए नीतीश ने सवर्ण जाति से आने वाले वशिष्ठ नारायण सिंह की जगह उमेश कुशवाहा को प्रदेश अध्यक्ष बनाया और राष्ट्रीय अध्यक्ष की कमान आरसीपी सिंह को सौंप दी थी। उसके बाद ये सवाल उठे थे कि क्या नीतीश चाह कर भी नहीं लव-कुश का मोह नहीं छोड़ पाए? अगर आरसीपी सिंह के इस बयान के इशारे थोड़े से भी सही दिशा में जा रहे हैं तो यकीन मानिए कि जल्द ही बिहार में जेडीयू एक ऐसा प्रयोग कर सकती है जिसके बारे में किसी ने सोचा तक न होगा। वैसे भी नीतीश तो चौंकाने वाले फैसले लेने में माहिर हैं।


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