बिहार की राजनीति में इन दिनों एनडीए के बीच उठापटक मची हुई है। जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानून बनाने के मुद्दे से लेकर फोन टैपिंग कांड और जा...

बिहार की राजनीति में इन दिनों एनडीए के बीच उठापटक मची हुई है। जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानून बनाने के मुद्दे से लेकर फोन टैपिंग कांड और जातिगत जनगणना (Caste Census) तक पर () के सुर बीजेपी से बिल्कुल अलग दिख रहे हैं। उधर, बिहार सरकार के एक और घटक दल विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के अध्यक्ष और कैबिनेट मंत्री मुकेश सहनी ने भी एनडीए में खुद को तरजीह न मिलने की शिकायत दर्ज कराई है। वह एनडीए की पिछली बैठक में शामिल भी नहीं हुए। एनबीटी के नैशनल पॉलिटिकल एडिटर नदीम ने नीतीश मंत्रिमंडल में बीजेपी कोटे से कैबिनेट मंत्री और पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता से पूछा कि बिहार के घटनाक्रम पर उनकी पार्टी का क्या नजरिया है? प्रस्तुत हैं बातचीत के मुख्य अंश: बिहार में एनडीए के बीच खींचातानी की वजह क्या है? वहां कोई खींचातानी नहीं है। बिहार को गुंडाराज से मुक्ति दिलाने और राज्य के समग्र विकास की प्रतिबद्धता के साथ एनडीए वहां शासन चला रहा है। राज्य के कैबिनेट मंत्री के नाते मुझे तो कैबिनेट की हर बैठक में शामिल होने का मौका मिलता है। मैं उसमें देखता हूं कि सरकार के घटक दलों के मंत्रियों के बीच हर मुद्दे पर सर्वसम्मति रहती है। इस वक्त तीन सबसे चर्चित मुद्दे हैं- जनसंख्या नियंत्रण कानून, पेगासस जासूसी कांड और जातिगत जनगणना। इन तीनों पर नीतीश कुमार की राय बीजेपी से बिल्कुल अलग है। फिर भी आप कह रहे हैं कि कोई अनबन नहीं है? नीतीश कुमार बीजेपी के नहीं हैं, उनकी अलग पार्टी है। वह गठबंधन का हिस्सा हैं। पार्टी और गठबंधन में फर्क होता है। अगर सभी पार्टियों की राय एक हो तो अलग-अलग पार्टियां बनाने की जरूरत ही न पड़े। यह जरूरी नहीं कि किसी एक मुद्दे पर बीजेपी की जो राय है, वही जेडीयू की भी हो। हां, जब बात सरकार की होती है और वह कोई निर्णय लेती है तो उसमें सभी सहयोगी दलों की सहमति रहती है। कैबिनेट मंत्री मुकेश सहनी ने सार्वजनिक रूप से कहा है कि एनडीए में उन्हें तरजीह नहीं मिल रही है, वह पिछली बैठक में गए भी नहीं... तरजीह न मिलने की बात तो गलत है। उनके चार विधायक हैं, फिर भी वह एनडीए सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं। यह तरजीह नहीं है तो फिर क्या है? उपेंद्र कुशवाहा ने कहा है कि नीतीश कुमार पीएम मैटीरियल है, इसके क्या मायने हैं? हर कोई अपनी पार्टी के नेता की तारीफ करता है। उपेंद्र कुशवाहा की पहले अलग पार्टी हुआ करती थी, अब वह नीतीश जी की पार्टी में आ गए हैं। उन्हें नीतीश जी की तारीफ करने का पूरा हक है। मैं बीजेपी में हूं और मैं यह कह सकता हूं कि नरेंद्र मोदी जी 2014 में प्रधानमंत्री हुए थे, 2019 में भी वही हुए और 2024 में भी वही पीएम बनेंगे। आप लंबे वक्त से नीतीश कुमार को जानते हैं। उनकी सरकार में आप मंत्री भी हैं। आपकी क्या राय है- नीतीश कुमार पीएम बनने की काबिलियत रखते हैं या नहीं? मैं बीजेपी में हूं, मैं किसी दूसरी पार्टी के नेता की योग्यता के बारे में टिप्पणी करना उचित नहीं समझता। इधर नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के बीच नजदीकी बढ़ने की बात कही जा रही है, इसमें कितनी सचाई है? मुझे तो नहीं मालूम कि दोनों के बीच नजदीकी बढ़ रही है। पिछले दिनों तेजस्वी यादव एक ज्ञापन देने के लिए नीतीश जी के पास गए थे, मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने उसे स्वीकार किया। आरजेडी के लोग नीतीश जी को लेकर जिन शब्दों का इस्तेमाल करते हैं, उसे भुलाया नहीं जा सकता। नीतीश जी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बिहार के विकास के लिए प्रतिबद्ध है, आरजेडी से नजदीकी बढ़ने का सवाल ही नहीं। ओमप्रकाश चौटाला से भी नीतीश कुमार ने मुलाकात की है। चौटाला बीजेपी के खिलाफ गोलबंदी में लगे हैं? मुलाकात की बात को मुद्दा बनाने वालों को यह नहीं भूलना चाहिए कि एक वक्त ओमप्रकाश चौटाला भी एनडीए में थे। आधा चौटाला परिवार आज भी बीजेपी के साथ है और हरियाणा में हमारी सरकार में शामिल है। मिलना-मिलाना तो राजनीति में लगा ही रहता है। रामविलास पासवान एनडीए के पुराने साथी हुआ करते थे, लेकिन बीजेपी ने उनके बेटे चिराग से बिल्कुल किनारा कर लिया, चिराग के लिए एनडीए में कोई गुंजाइश बची है या नहीं? पासवान जी जब तक जीवित थे, एलजेपी एनडीए का हिस्सा थी और उनके न रहने पर भी वह एनडीए का हिस्सा है। हमने एलजेपी से किनारा नहीं किया है। बीजेपी ने एलजेपी कोटे से केंद्र सरकार में एक मंत्री बनाया है। यह एलजेपी का अंदरूनी मामला है कि उसके सांसद किसे लोकसभा का नेता चुनते हैं, किसे अध्यक्ष चुनते हैं। बीजेपी किसी दूसरी पार्टी का अध्यक्ष या लोकसभा में उसका नेता तो तय नहीं कर सकती! आप कितने यकीन के साथ कह सकते हैं कि बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए सरकार अपना कार्यकाल पूरा करेगी? मैं पूरे यकीन के साथ कह सकता हूं। कार्यकाल पूरा करने के मुद्दे पर कोई शक-ओ-सुबहा है ही नहीं। हमारी सरकार न केवल अपना कार्यकाल पूरा करेगी बल्कि अगला चुनाव भी हम ही लोग जीतेंगे।
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